गोरखपुरस्वास्थ्य

बिना चीरा के ट्यूमर हटाने की सफल सर्जरी, गोरखपुर एम्स ने रचा इतिहास

बिना चीरा के ट्यूमर हटाने की सफल सर्जरी, गोरखपुर एम्स ने रचा इतिहास

 

अनिल कुमार

गोरखपुर अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (AIIMS) ने एक बार फिर चिकित्सा क्षेत्र में एक नया मुकाम हासिल किया है। यहां बिहार के 13 वर्षीय एक बच्चे के नाक से दुर्लभ वास्कुलर ट्यूमर का सफलतापूर्वक ऑपरेशन किया गया है।यह सर्जरी 14 अक्टूबर को एआईआईएमएस गोरखपुर में हुई, जिसमें कोई बाहरी चीरा नहीं लगाया गया, जो इस प्रकार के मामलों में एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है।बच्चे को बार-बार नाक से खून बहने और दाहिने नथुने से सांस लेने में कठिनाई का सामना करना पड़ रहा था, जिसके कारण उसके माता-पिता ने आपातकालीन चिकित्सा सेवा का सहारा लिया। एक महीने के उपचार, ब्लड ट्रांसफ्यूजन और इमेजिंग अध्ययन के बाद, डॉक्टरों ने पाया कि ट्यूमर उसकी नाक से पीछे के गाल के क्षेत्र, आंख के निकट और सिर के आधार के पास फैल गया था।

सर्जरी की टीम का नेतृत्व डॉ. पंखुरी मित्तल असिस्टेंट प्रोफेसर ने किया, जिसमें सीनियर रेजिडेंट डॉ. आकांक्षा रावत, डॉ. अभिजीत, और डॉ. सौम्या, साथ ही जूनियर रेजिडेंट डॉ. लक्षय और डॉ. निष्ठा शामिल थे। एनेस्थीसिया टीम में प्रोफ. डॉ. विक्रम वर्धन, डॉ. भूपिंदर सिंह, डॉ. रविशंकर शर्मा और सीनियर रेजिडेंट डॉ. गौरव शामिल थे, जिन्होंने सर्जरी के दौरान बच्चे की सुरक्षा सुनिश्चित की।

डॉ. मित्तल ने आधुनिक सर्जिकल उपकरणों, जैसे कि कोब्लेशन और नेसल ड्रिल, के उपयोग पर प्रकाश डाला, जो बिना कोई चीरा छोड़े ट्यूमर को सटीक रूप से हटाने की अनुमति देते हैं। उन्होंने कहा, ‘इन नवाचारों ने हमारी दृष्टिकोण में परिवर्तन किया है, जिससे हम युवा मरीजों का प्रभावी ढंग से इलाज कर सकते हैं और रिकवरी का समय कम कर सकते हैं।”

डॉ. रुचिका अग्रवाल, ईएनटी विभाग की एसोसिएट प्रोफेसर, ने तात्कालिक हस्तक्षेप की आवश्यकता पर जोर दिया, कि अनुपचारित ट्यूमर गंभीर जटिलताओं का कारण बन सकते हैं, जिनमें भारी रक्तस्राव और महत्वपूर्ण क्षेत्रों में वृद्धि शामिल है।सर्जरी के बाद, बच्चे की स्थिति स्थिर है और वह अच्छी तरह से ठीक हो रहा है।अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान गोरखपुर के कार्यकारी निदेशक प्रोफ. डॉ. अजय सिंह ने इस चुनौतीपूर्ण सर्जरी को सफलतापूर्वक करने के लिए पूरी चिकित्सा टीम को बधाई दी।

यह सफल ऑपरेशन न केवल युवा मरीज और उसके परिवार के लिए आशा लाता है, बल्कि भारत में मिनीमली इन्वेसिव सर्जिकल तकनीकों में हुई प्रगति को भी दर्शाता है।

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