धर्म संस्कृतिनीमचमध्यप्रदेश

नवरात्रि में शक्तिपीठ आंतरी मां के दरबार में भक्तों का जन सैलाब उमड़ रहा

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नीमच जिला मुख्यालय से 50 किलोमीटर दूर मनासा तहसील मुख्यालय से 25 किलोमीटर दूर मां आंतरी माता जी का मंदिर चमत्कारिक शक्तिपीठ के रूप में सुविख्‍यात हैं। नवरात्रि के प्रथम दिवस मां शेल पुत्री के रूप में घट स्थापना के साथ शारदीय नवरात्रि की शुरुआत हुई। सुबह से देर रात्रि तक हजारों मां भक्तो ने मां भगवती आंतरी माता के दरबार में आकर दिव्य दर्शन किए।

आज भी परिक्रमा मार्ग में देखने को मिलते

जनश्रुति के अनुसार मां भगवती आंतरी माता जी चितौड़गढ़ कालका से 1000 वर्ष पहले आतरी माता जी आई थी। स्वयं प्रतिष्ठित माता का यह दरबार मंदिर के मुख्य गर्भ गृह में मां भगवती आंतरी माताजी शेर पर सवार श्याम वर्ण मूर्ति और चन्द्रावत कुल की कुल देवी मां भगवती भवानी विद्यमान हैं। मंदिर के अंदर ही हनुमान जी विराजमान हैं। मंदिर के दक्षिण भाग में काल भेरू जी और उतर भाग में गौरी नंदन श्री गणेश विराजित है। मान्‍यता है, कि माता जब आई थी, तो माता का एक पैर रेतम नदी में और एक पैर माता के परिकर्मा मार्ग में विराजमान हैं। मन्दिर के परिक्रमा मार्ग में ही मंदिर के पीछे महावीर स्वामी विराजमान है, मां ने अपने अंगूठे के निशान पांचों अंगुलियों के निशान , कोहनी के निशान आज भी परिक्रमा मार्ग में देखने को मिलते हैं।

प्रकृति की आलौकिक छटा बिखेरे -रेतम नदी के तट पर प्राचीन देवी मां का यह दरबार है। यहॉ गांधीसागर बांध का बेक वाटर मंदिर के तीनो और भर जाता है प्राकृतिक सौंदर्य से परिपूर्ण आलौकिक नजारा इस मंदिर के दिव्य दर्शन कर, भक्त जन नौका विहार स्टिंबर बोट से घूमने का आनंद लेते हैं। पूरे वर्ष भर मां के भक्त इस चमत्कारी दरबार में दर्शन को आते है और अपनी मन्नत पूरी करते है।

भक्त  हँसते-हँसते मां को अपनी जीभ काटकर चढ़ाते

ग्राम आंतरी माता निवासी श्री फकीर चंद सोनी ने बताया, कि यहां मां के भक्त अपनी मनोकामना पूर्ण होने पर हँसते-हँसते मां को अपनी जीभ काटकर चढ़ाते है और पुनः मां की असीम कृपा से 9 दिनों बाद पूर्वानुसार प्राप्त करते है। 1974 में प्रथम भक्त जल्लारा नाहरगढ़ निवासी भेरूलाल दम्मामी ने जीभ काटकर चढ़ाई तब से यह सिलसिला शुरू हुआ, जो अनवरत चालू है। अभी तक यह आंकड़ा 6500 से अधिक हो गया हैं। वर्ष भर में सैकड़ों मां भक्त अपनी मनोकामना पूर्ण होने पर जीभ काटकर चढ़ाते हे और पुनः अपनी जीभ को पाते हैं। माता की सेवा पूजा यहां राठौड़ परिवार द्वारा की जाती है। मां अहिल्याबाई होलकर ने इस मंदिर की सेवा पूजा के लिए पंडित पुजारी परिवार के लिए 500 बीघा जमीन की व्‍यवस्‍था कर रखी हैं। नवरात्रि में मां भगवती के दरबार में 150के लगभग अखंड ज्योत 9 दिनों के लिए भक्तो द्वारा ज्योत जलाई गई हैं। नवरात्रि की नवमी को माता का विधिविधान से हवन यज्ञ होता हैं। प्रति दिन 9 बजे रात्रि धूमधाम से ढोल धमाके के साथ हजारों माता भक्त आरती में सम्मिलित होते हैं।

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