उदयपुर के बड़गांव थाना इलाके की मदार पंचायत के राठौड़ों का गुड़ा गांव में लेपर्ड ने मंदिर के पुजारी का शिकार कर लिया। लेपर्ड पुजारी को मंदिर से घसीटकर सड़क के रास्ते 150 मीटर दूर मक्का के खेत में ले गया। लेपर्ड पुजारी की गर्दन, एक हाथ और छाती का हिस्सा खा गया।
उदयपुर में लेपर्ड के हमले में यह सातवीं मौत है। अब लेपर्ड ने राठौड़ों का गुड़ा में मंदिर के पुजारी विष्णु पुरी (65) को मार डाला। पुजारी का शव सोमवार सुबह लोगों को क्षत-विक्षत हालत में खेत में एक बिजली के खंभे के पास पड़ा मिला। खेत में नजर आ रहे मंदिर से घसीटते हुए लेपर्ड पुजारी को 150 मीटर दूर खेत और जंगल में ले गया।
भतीजा बोला- रात में अंदर ही सोये थे
पुजारी के भतीजे सुरेश पुरी ने बताया- मेरे ताऊ बाल ब्रह्मचारी थे। कल रात 8 बजे हम यहां से गए थे। तब सब नॉर्मल था। वे कोठरी के अंदर ही सोये थे। बाहर कुछ (बिस्तर) नहीं था। रात में वे सोने के लिए बाहर आए होंगे, तब घटना हुई। हमें सुबह 6 बजे पता लगा। यहां जगह-जगह ब्लड पड़ा था। खेत की तरफ गए तो बॉडी मिली।
स्थानीय निवासी तेज सिंह ने बताया- लेपर्ड महाराज का शरीर खा गया, एक हाथ खा गया। पुलिस और वन विभाग की टीम बॉडी को गोगुंदा ले गई है। लेपर्ड मंदिर से बॉडी लेकर मग्गी (खेत) में गया। परिवार वाले सुबह आए तो महाराज मंदिर में नहीं थे। कोठरी के बाहर प्लेटफार्म पर बिस्तर बिछाकर सो रहे थे पुजारी।
कोठरी के बाहर प्लेटफार्म पर बिस्तर मिले, 6 फीट नीचे खून के धब्बे
मंदिर में 65 वर्षीय पुजारी विष्णु गिरी सेवा-पूजा करते थे। बताया जा रहा है कि पुजारी मंदिर के बाहर प्लेटफार्म पर बिस्तर बिछातर सो रहे थे। देर रात लेपर्ड ने उन पर हमला किया। प्लेटफार्म से उन्हें घसीटकर 6 फीट नीचे गिराया फिर घसीटते हुए खेत और जंगल की तरफ ले गया।
सुबह जब लोग मंदिर पहुंचे तो पुजारी नहीं मिले। मंदिर के आसपास खून के निशान दिखे तो अनहोनी की आशंका हुई। पुजारी की आसपास तलाश की लेकिन वे नहीं मिले। कुछ ग्रामीण पास के खेत में तलाशने पहुंचे तो शव पड़ा मिला।
क्षत-विक्षत शव देखकर हर कोई सहम गया। सूचना पर गोगुंदा थाना पुलिस और वन विभाग की टीम मौके पर पहुंची।सड़क पर खून के धब्बे देख लोगों ने पुजारी की तलाश शुरू की।
लगातार लेपर्ड के हमलों से खौफ में ग्रामीण
लगातार लेपर्ड के बढ़ते हमलों से ग्रामीणों में खौफ पैदा हो गया है। ग्रामीण घरों से अकेले बाहर नहीं निकल रहे। खेतों में काम करना और मवेशियों को चराना मुश्किल हो गया है।
पुजारी ने शादी नही की थी। वे बाल ब्रह्मचारी थे। वे हनुमान जी मंदिर के पुजारी थे। मंदिर छोटा होने से वे रोज मंदिर के खुले परिसर में ही सोते थे। मंदिर के ठीक पास एक पानी की टंकी है। जहां सुबह करीब 6 बजे कुछ ग्रामीण पानी भरने के लिए आए तो वे मंदिर के बाहर खून के निशान देखकर हैरान रह गए।
उन्हें रास्ते में भी कुछ जगह खून के निशान दिखाई दिए। पुजारी मंदिर में नही होने से उन्हें अनहोनी की आंशका हुई। उन्होंने अन्य ग्रामीणों को इसकी सूचना दी। इसके बाद पुजारी की तलाश की गई।