भोपालमध्यप्रदेश

मध्यप्रदेश में जल्द ही निगम-मंडलों में नियुक्तियां हो सकती इस तरह की चर्चाएं मध्यप्रदेश के सियासी गलियारों में

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भोपाल: मध्य प्रदेश में इस साल फरवरी से 45 सरकारी बोर्ड और निगम बिना अध्यक्ष के रह गए हैं। पिछली भाजपा सरकार ने जो सरकारी बोर्ड और निगमों में राजनीतिक नियुक्तियां की थीं, उन्हें मौजूदा बीजेपी सरकार ने रद्द कर दिया, लेकिन नई नियुक्तियां अभी तक नहीं की गई हैं।

हटाए गए लोगों को पूर्व सीएम शिवराज सिंह चौहान सरकार ने नियुक्त किया था और वे ज्यादातर पूर्व सीएम से सीधे जुड़े हुए थे। लोकसभा चुनाव के बाद नई नियुक्तियां होने की उम्मीद थी, लेकिन यह मामला ठंडे बस्ते में पड़ा हुआ है। बोर्ड और निगमों के अध्यक्ष और उपाध्यक्ष की नियुक्ति सीएम द्वारा राज्य पार्टी इकाई के परामर्श से की जाने वाली राजनीतिक नियुक्तियां हैं।

मध्यप्रदेश में जल्द ही निगम-मंडलों में नियुक्तियां हो सकती हैं। इस तरह की चर्चाएं मध्यप्रदेश के सियासी गलियारों में तेजी से चल रही हैं। चर्चाओं के जोर पकड़ने की वजह बीते दिनों सीएम मोहन यादव का दिल्ली दौरा है। दिल्ली दौरे के दौरान सीएम मोहन यादव ने पार्टी आलाकमान के नेताओं से मुलाकात की थी और अब चर्चाएं हैं कि इस दौरान सीएम और आलाकमान के बीच निगम-मंडलों की नियुक्ति को लेकर भी बातचीत हुई है।

मध्यप्रदेश में लंबे समय से निगम-मंडलों में राजनीतिक नियुक्तियों के लिए बीजेपी नेता जोर लगा रहे हैं. लेकिन सीएम मोहन यादव के आने के बाद से इन नियुक्तियों पर रोक लगी हुई थी. लेकिन अब संगठन की तरफ से दिशा-निर्देश सामने आने के बाद संभावना बन रही है कि जल्द ही निगम-मंडलों में राजनीतिक नियुक्तियां हो जाएंगी. बीजेपी के अंदर इसे लेकर हलचल तेज हो गई है. उम्मीद जताई जा रही है कि कांग्रेस पार्टी छोड़कर जो नेता बीजेपी में शामिल हुए थे लेकिन उनको लोकसभा या विधानसभा का टिकट नहीं मिल पाया थे तो ऐसे नेताओं को निगम-मंडल में एडजस्ट किया जाएगा. इसके साथ ही बीजेपी के मूल कैडर के उन नेताओं को इसमें एडजस्ट किया जाएगा जो लगातार पार्टी पर उपेक्षित करने के आरोप लगाते रहे हैं. पूर्व संगठन मंत्री और बीजेपी सदस्यता अभियान में अच्छा रिजल्ट देने वाले कार्यकर्ताओं को इस बार निगम-मंडल में जगह मिल सकती है

मध्यप्रदेश में बीते लंबे समय से निगम-मंडलों में नियुक्तियां नहीं हुई हैं जिसके कारण निगम-मंडलों में अध्यक्ष, उपाध्यक्ष सहित अन्य पद खाली पड़े हैं। निगम-मंडलों में नियुक्तियों के लिए पार्टी आलाकमान की हरी झंडी जरूरी है। बता दें कि मध्यप्रदेश भाजपा में ऐसे कई नेता हैं जो लंबे समय से निगम-मंडलों में नियुक्तियां का इंतजार कर रहे हैं। कई नेता तो ऐसे भी हैं जिन्हें विधानसभा और लोकसभा चुनाव में टिकट नहीं मिला था तो उन्हें ये भरोसा दिलाया गया था कि निगम-मंडलों में उन्हें एडजस्ट किया जाएगा, इसलिए इन सभी नेताओं को आलाकमान के निर्णय का इंतजार है।

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