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शिक्षक सेवा कर्म से कभी निवृत नही होते समाज और राष्ट्र निर्माण में अपनी महती भूमिका निभाते है – श्री पाटीदार

शिक्षक सेवा कर्म से कभी निवृत नही होते समाज और राष्ट्र निर्माण में अपनी महती भूमिका निभाते है – श्री पाटीदार
सहायक शिक्षक श्री पाराशर का विदाई समारोह सानन्द संपन्न
मंदसौर। सांदीपनि विद्यालय गुर्जरबर्डिया सीएम राइज में हेमंत कुमार पाराशर प्राथमिक विद्यालय बर्डियाखेड़ी वाले का विदाई समारोह सांनन्द संपन्न हुआ।  प्रारंभ में विद्यालय के वाइस प्रिंसिपल दशरथ पाटीदार, देवप्रकाश भाना, हेमन्त पाराशर, शेलेन्द्र आचार्य ने दिप प्रज्वलन कर माता सरस्वती को माल्यार्पण कर सरस्वती वदंना का सामुहिक गान हुआ। तथा प्रशस्ति पत्र, शाल श्रीफल शाफा भेट कर तथा पुष्प माला एवं पुरस्कार से सम्मानित किया गया।
इस अवसर पर विद्यालय के वाइस प्रिंसिपल दशरथ पाटीदार ने कहा कि शिक्षक सेवा कर्म से कभी निवृत नही होते समाज और राष्ट्र निर्माण में अपनी महती भूमिका निभाते है। शिक्षक सदैव नियमित सयमित एवं अनुशासित जीवन जीते है और छात्र-छात्राओं को जीवन जीने की कला सिखाता है। इस अवसर पर सुनील त्रिवेदी ने कहा कि शिक्षक का जीवन उस दिपक के समान है जो स्वयं प्रकाशित होकर औरों को प्रकाशित करता है। शिक्षक और छात्र के संबंध गुरू शिष्य परंपरा को जीवित रखते है और गुरू के प्रति श्रृ़द्धाभाव जगाते है।
देवप्रकाश भाना ने कहा कि आना जाना विदाई के क्षण बड़े भावुक होते है जीवन मृत्यु की तरह हि शिक्षकीय कार्य में अपनी अजरता अमरता छोड़ना अपनी संवेदन शीलता का परिचय है। श्री पाराशर सर का 38 वर्षीय कार्याकाल अपनी अजरता अमरता को जीवित रखेगा। एक विदाई गीत के माध्यम से कार्यक्रम मे समा बांध दिया। इस अवसर पर मनीष पारीख सर ने कहा कि जीवन मुल्यो की शिक्षा हमे नैतिकता एवं इंसानियत सिखाता है एक श्रेष्ट नागरिक एवं अच्छा इंसान बनने के लिये हमें शिक्षा प्राप्त करना चाहिए ना कि धन कमाने के लिये। एक अच्छा शिक्षक ही अच्छे और सच्चे राष्ट्रभक्त तैयार कर सकता है। संचालन करते हुए श्री शैलेन्द्र आचार्य ने कहा कि शिक्षा एवं शिक्षक का कार्य अत्यंत ही महत्वपूर्ण है। पूरा जीवन समर्पित कर राष्ट्र के उत्थान मे शिक्षक सदैव कर्मशील रहा है। शिक्षक कभी रिटायर्ड नही होता वह तो समाज व राष्ट्र के उत्थान मे लगा रहता है। इस अवसर पर श्री पाराशर सर के परिजन तथा ईष्ट मित्र तथा शिक्षक शिक्षिकाएं उपस्थित थें। अंत में आभार वेद प्रकाश भाना ने माना। यह जानकारी मनीष पारीख सर ने दी।

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