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राज्य सरकार ने परिवहन विभाग में भर्ती किए गए 45 कॉन्स्टेबलों की नियुक्तियां निरस्त

 

 

भोपाल – मध्य प्रदेश के बहुचर्चित व्यापमं महाघोटाले से जुड़ी बड़ी खबर सामने आई है। राज्य सरकार ने परिवहन विभाग में 12 साल पहले भर्ती किए गए 45 कॉन्स्टेबलों की नियुक्तियां निरस्त कर दी गई हैं। इन अरक्षकों की नियुक्तियां अवैध थी। लेकिन 12 साल से ये अवैध रूप से बतौर ट्रांसपोर्ट कांस्टेबल कार्यरत थे।

सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर राज्य के परिवहन सचिव सीबी चक्रवर्ती ने 19 सितंबर को नियुक्तियां निरस्त करने संबंधी आदेश जारी किया था। हालांकि, ये आदेश आज सामने आया है। इसे लेकर विपक्षी दल कांग्रेस हमलावर है। कांग्रेस ने कहा कि यदि नियुक्तियां वैध थी तो निरस्त क्यों की गई और यदि अवैध थी तो इसका जिम्मेदारी लेते हुए तत्कालीन मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और तत्कालीन परिवहन मंत्री जगदीश देवड़ा को इस्तीफा देना चाहिए।

कांग्रेस के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष अरुण यादव ने इस मुद्दे को जोरशोर से उठाया था। मामला सामने आने पर यादव ने कहा कि व्यापमं ने साल 2012 में परिवहन आरक्षक भर्ती परीक्षा ली थी, 12 साल बाद सरकार ने 45 परिवहन आरक्षकों की नियुक्तियां निरस्त की,।सरकार ने कोर्ट में जिरह के दौरान नियुक्तियों को वैध ठहराया था। अगर नियुक्तियां वैध थी तो अब निरस्त क्यों की?

बता दें कि साल 2012 में ट्रांसपोर्ट कॉन्स्टेबल की भर्ती की गई थी। इस भर्ती प्रक्रिया में महिलाओं के लिए आरक्षित पदों पर पुरुष उम्मीदवारों की नियुक्तियां की गई थीं। मामले को लेकर हिमाद्री राजे ने साल 2013 में हाईकोर्ट की ग्वालियर खंडपीठ में याचिका दायर की थी। अदालत ने 2014 में फैसला सुनाते हुए पुरुष कॉन्स्टेबल्स की नियुक्तियों को अवैध माना था। इस फैसले को मध्य प्रदेश सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी।

सुप्रीम कोर्ट ने भी हाईकोर्ट के फैसले को सही मानते हुए इन नियुक्तियों को रद्द करने का आदेश दिया था। इस पर सरकार की ओर से कार्रवाई नहीं होने पर हिमाद्री राजे ने सुप्रीम कोर्ट में अवमानना याचिका लगाई थी। तब जाकर राज्य सरकार द्वारा नियुक्तियां निरस्त की गई।

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