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कोलकाता पुलिस कमिश्नर के नाम पर रजिस्टर्ड है दरिंदे संजय रॉय की बाइक, कोलकाता कांड में बड़ा खुलासा

कोलकाता पुलिस कमिश्नर के नाम पर रजिस्टर्ड है दरिंदे संजय रॉय की बाइक, कोलकाता कांड में बड़ा खुलासा

 

 

कोलकाता रेप मर्डर केस में चौंकाने वाला खुलासा हुआ है. वारदात की रात को आरोपी संजय रॉय द्वारा इस्तेमाल की गई बाइक कोलकाता “पुलिस आयुक्त” के नाम पर पंजीकृत थी. सीबीआई ने दो दिन पहले ही आरोपी की बाइक को जब्त किया था. सीबीआई के अनुसार, आरोपी संजय रॉय की ये बाइक साल 2024 मई में रजिस्टर्ड कराई गई थी. पुलिस के नाम पर रजिस्टर्ड से बाइक से आरोपी ने नशे की हालत में 15 किलोमीटर का सफर तय किया था.

इस जानकारी के सामने आने के बाद मालूम होता है कि मामले में मुख्य आरोपी संजय रॉय और पुलिस के तार कहीं-न-कहीं आपस में जुड़े हुए हैं और ये सबूत सीबीआई के हाथ लग गए हैं. सीबीआई द्वारा जब्त की गई ये वही बाइक है जिसको आरोपी वारदात की रात नशे की हालत में चला रहा था. आरोपी ने वारदात की रात को इस बाइक से 15 किलोमीटर का सफर तय किया था.

वहीं, इस मामले पर पुलिस का कहना है कि RG KAR अस्पताल में ट्रेनी डॉक्टर से रेप और हत्या मामले में मुख्य आरोपी संजय रॉय द्वारा इस्तेमाल की गई बाइक को सीबीआई को सौंपने से पहले कोलकाता पुलिस ने जब्त कर लिया था. वो बाइक कोलकाता पुलिस आयुक्त के नाम पर रजिस्टर्ड थी. इस मामले में सोशल मीडिया पर कुछ लोग भ्रम फैलाने की कोशिश कर रहे हैं. हम ये स्पष्ट कर देना चाहते हैं कि कोलकाता पुलिस से संबंधित सभी सरकारी वाहन विभिन्न यूनिटों को सौंपने जाने से पहले आधिकारिक तौर पर पुलिस आयुक्त के तहत रजिस्टर्ड होते हैं.

इस मामले में पुलिस की ओर से कहा गया कि कोलकाता पुलिस द्वारा उपयोग किए जाने वाले सभी वाहन और बाइक आयुक्त पुलिस कार्यालय के तहत पंजीकृत होते हैं. जबकि संजय रॉय के केस पर कोलकाता पुलिस से जुड़े सूत्रों ने बताया कि वह बाइक कल्याण बोर्ड के लिए थी. संजय भी कल्याण बोर्ड का मेंबर था. यह वालंटियर के इस्तेमाल के लिए ही थी. इसलिए संजय भी उसका इस्तेमाल करता था.

कहां से आई पुलिस की बाइक?

सीबीआई सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, सीबीआई ये पता लगाने की कोशिश कर रही थी कि उसके पास ये बाइक कहां से आई थी. क्या ये बाइक उसकी थी या किसी और की थी. जिसमें सीबीआई को मिली जानकारी में पता चला कि ये बाइक कोलकाता पुलिस कमिश्नर के नाम पर रजिस्टर्ड है. अब सीबीआई इस बात का पता लगा रही है कि आरोपी के पास ये बाइक कहां से आई थी, क्योंकि एक सिविक वालंटियर होने के नाते पुलिस के नाम पर रजिस्टर्ड बाइक चलाने का संजय रॉय को कोई अधिकार नहीं था.

 क्या हैं पुलिस की बाइक के फायदे

बता दें कि अगर कोई व्यक्ति पुलिस की बाइक का इस्तेमाल करता है तो इस व्यक्ति को किसी भी नाकाबंद, किसी भी बैरिकेड्स या किसी भी चेकिंग के दौरान नहीं रोका जाता. घटना वाले दिन भी आरोपी ने शराब पीने के बाद नशे में लगभग 15 किलोमीटर बाइक चलाइ थी और उसके बाद वह आरजी कर अस्पताल पहुंचा था. बाइक चलाते वक्त संजय रॉय ने पुलिस का हेलमेट भी पहना हुआ था. तमाम नाकाबंदी होने के बाद भी पुलिस ने आरोपी को नहीं रोका गया था.

आपको बता दें कि 8-9 अगस्त को कोलकाता के आरजी कर अस्पताल के सेमिनार हॉल में एक महिला डॉक्टर के साथ हैवानियत हुई थी. सरकारी आरजी कर मेडिकल कॉलेज और अस्पताल में ड्यूटी पर तैनात 31 वर्षीय पोस्ट ग्रेजुएट रेजिडेंट डॉक्टर का 8-9 अगस्त की रात कथित तौर पर यौन उत्पीड़न किया गया. वह बेहोशी की हालत में सेमिनार हॉल में मिली था. उसे तुरंत डॉक्टर के पास ले जाया गया, लेकिन इलाज के दौरान उसकी मौत हो गई. उसके शरीर पर कई चोटों के निशान थे.

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