नई दिल्ली। राज्यों के साथ मिलकर स्कूली शिक्षा की गुणवत्ता को मजूबती देने में जुटे केंद्र ने अब सभी राज्यों को दसवीं और बारहवीं के लिए एक ही स्कूली शिक्षा बोर्ड बनाने की सलाह दी है। केंद्र ने राज्यों को यह सलाह तब दी है, जब अभी भी पश्चिम बंगाल,ओडिशा, असम सहित देश के आठ राज्यों में दसवीं व बारहवीं के लिए अलग-अलग स्कूली शिक्षा बोर्ड मौजूद है।
इतना ही नहीं, इनके परीक्षा व मूल्यांकन आदि का तरीका भी अलग-अलग ही है। हालांकि अब तक इन राज्यों में शामिल कर्नाटक ने केंद्र की सलाह की मानते हुए पिछले वर्ष ही अपने दसवीं और बारहवीं के सभी बोर्डों का आपस में विलय कर एक बोर्ड बना दिया है। शिक्षा मंत्रालय का मानना है कि राज्यों में दसवीं और बारहवीं के एक शिक्षा बोर्ड होने से वह नौवीं से बारहवीं कक्षा तक पढ़ाई करने वाले छात्रों के विकास के लिए एक साझा रणनीति तैयार कर सकेंगे। जहां परीक्षा कराने से लेकर मूल्यांकन के एक जैसे मानक होंगे।
छात्रों के प्रदर्शन में होता है अंतर
अभी इन सभी राज्यों में दसवीं और बारहवीं के शिक्षा बोर्डों के काम-काज का तरीका एक-दूसरे से बिल्कुल अलग है। जिसका खामियाजा छात्रों को भुगतना पड़ता है। इसके चलते इन राज्यों में दसवीं और बारहवीं में छात्रों के प्रदर्शन में भारी अंतर भी देखने को मिलता है।फिलहाल नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति के आने के बाद शिक्षा मंत्रालय इन दिनों में राज्यों के साथ मिलकर शिक्षा में सुधार और एकरूपता लाने की कोशिश में जुटा हुआ है। मंत्रालय की एक रिपोर्ट के मुताबिक मौजूदा समय में देश में कुल 59 स्कूली शिक्षा बोर्ड है। इनमें तीन राष्ट्रीय स्तर और 56 राज्य स्तरीय बोर्ड है। इनमें से 41 बोर्ड ऐसे है, जो दसवीं और बारहवीं के लिए कामन बोर्ड है।
इन आठ राज्यों में हैं दसवीं-बारहवीं के अलग-अलग बोर्ड
देश के जिन आठ राज्यों में दसवीं और बारहवीं के लिए अलग-अलग शिक्षा बोर्ड है, उनमें पश्चिम बंगाल, ओडिशा, आंध्र प्रदेश, असम, केरल, मणिपुर, तेलंगाना और बिहार शामिल है। इनमें बिहार में दसवीं के लिए अलग से एक संस्कृत बोर्ड है, जबकि असम में दसवीं और बारहवीं के लिए दो-दो बोर्ड है। वहीं केरल में भी बारहवीं के लिए दो बोर्ड है। ऐसे में कुल 18 बोर्ड ऐसे है, जो दसवीं और बारहवीं के लिए अलग-अलग संचालित होते है। इनमें दसवीं के नौ और बारहवीं के भी नौ बोर्ड है।
छह बोर्ड में एनसीईआरटी पाठ्यक्रम लागू नहीं
नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति के तहत शिक्षा मंत्रालय भले ही स्कूलों के लिए नई पाठ्यपुस्तकें तैयार करने में जुटा हुआ है, लेकिन देश के छह शिक्षा बोर्ड ऐसे है, जो अपने यहां एनसीईआरटी की पाठ्यक्रम नहीं पढ़ाते है। वह अपना खुद का पाठ्यक्रम अपने बोर्ड में पढ़ाते है। इन शिक्षा बोर्डों में आंध्र प्रदेश, ओडिशा, तेलंगाना , बिहार, तमिलनाडु और पश्चिम बंगाल बोर्ड शामिल है।