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सोश्यल मीडिया पर वायरल हुआ छात्रावास में अनियमितता वीडियो घटना के दिन छात्रावास से गायब हुए थे छात्र
नीमच। रामपुरा छात्रावास में अनियमितता उजागर करने गए दो पत्रकारों के खिलाफ रामपुरा पुलिस ने बिना जांच किए ही एक्टोिसिटी एक्ट सहित गंभीर धाराओं में प्रकरण दर्ज कर जेल भेज दिया था इस मामले में जिले की विशेष अदालत में दोनों पत्रकारों के परिजनों के जमानती आवेदन पर सुनवाई करते हुए दोनों पत्रकारों को जमानत दे दी है। गौरतलब है की रामपुरा के प्री-मैट्रिक छात्रावास रामपुरा के अधीक्षक मोहन सिंह चंद्रवंशी के द्वारा 30 जुलाई को शाम 5 बजे दो पत्रकारों के खिलाफ शिकायत करते हुए आवेदन दिया था कि में 29 जुलाई बाजार के काम से बाहर गया था आधे घंटे के बाद छात्रावास में आया तो छात्रों ने बताया है की तुम हमें बाइट दे दो कि तुम्हारा अधीक्षक तुम्हारे खाने पीने की वस्तुओं में पैसा कमा रहा है्र धमकाया टेबल पर पुस्तक पड़ी थी वो पुस्तक फाड़ दी धमकी दी, बाद चले गये। जिस पर पुलिस ने 30 जुलाई को बिना जांच किए ही आवेदन दिए जाने के एक घंटे बाद ही पत्रकार मुकेश राठौर सहित एक साथी के खिलाफ धारा-119 (1), 332 (सी), 324(4), 351 (2). 3(5) भारतीय न्याय संहिता एवं अधिनियम की धारा-3 (1) (द). 3(1) (घ), 3(2) (वी.ए.), 3(2) (वी) के अंतर्गत अपराध पंजीबद्ध कर गिरफ्तार कर लिया।
जिस पर अधिवक्ता नौशाद खान ने पत्रकारों की ओर से पैरवी करते तर्क दौरान आवेदन पत्र में अभिवचित तथ्यों को बतौर तर्क व्यक्त किया कि आवेदक के विरुद्ध असत्य प्रकरण पंजीबद्ध किया गया है। उनका आपराधिक रिकार्ड नहीं है। दस्तावेज प्रस्तुत करते हुए यह दर्शित किया गया है कि जिस छात्रावास की घटना बताई गई है, उसमें घटिया क्वालिटी का खाना वहां रह रहे छात्रों को प्रदान किया जा रहा है और इस बात की सूचना मिलने पर ही आरोपीगण उनके पत्रकार होने के दायित्व को निभाने हेतु घटनास्थल पर गये थे। घटना के दौरान छात्रावास से तीन छात्र गायब थे जिसके बाद छात्रावास के अधीक्षक के द्वारा स्वयं को बचाने के लिए असत्य आधारों पर रिपोर्ट दर्ज कराई गई है। जिस पर विशेष न्यायालय न्यायाधीश के द्वारा अधिवक्ता नौशाद खान के तर्क से सहमत होकर पत्रकार मुकेश राठौर व उसकी सहयोगी को जमानत दी गई।
पत्रकार संगठनों ने प्रकरण वापस लेने की मांग
प्रेस क्लब अध्यक्ष अजय चौधरी नीमच जिला प्रेस क्लब के पूर्व अध्यक्ष कपिल चौहान जावद प्रेस क्लब अध्यक्ष दीपेश जोशी के नेतृत्व में पत्रकार संगठनों के द्वारा दो दिन पुर्व ही एक ज्ञापन देकर पुलिस के द्वारा झूठी शिकायत पर बिना जांच किए ही प्रकरण दर्ज करने के मामले में एएसपी को ज्ञापन सौंपकर प्रकरण वापस लेने व अनियमितता के खिलाफ प्रकरण वापस लेने दोषी अधीक्षक श्री चंद्रवंशी के खि लाफ विधि पूर्वक कार्रवाई की जाने की मांग की गई। रामपुरा के पत्रकार श्री मुकेश राठौर को 27 जुलाई को छात्रावास से तीन छात्रों के लापता होने और चौकीदार, अधीक्षक के रात के गायब रहने जैसी गंभीर अनियमितताएं होने की सूचना मिली थी। इसके बाद वे वहां कवरेज करने के लिए गए थे। जब राठौर वहां कवरेज के लिए पहुंचे तब वहां छात्रावास अधीक्षक श्री मानसिंह चंद्रवंशी मौजूद नहीं थे।दौरान मुकेश राठौर को छात्रों ने बताया कि अधीक्षक महोदय रात के समय छात्रावास में नहीं रहते हैं और तीन बच्चे भी गायब हो गए हैं। तब मामले की गंभीरता ओर बढ़ जाती है। छात्रावास में हमें अच्छा खाना नहीं दिया जाता है और शिकायत करने पर डराया धमकाया जाता है। जिसके विडियों सोश्यल मिडिया वायरल हो रहे है। पुलिस के द्वारा भी अधीक्षक के आवेदन पर जांच नहीं करते हुवे आवेदन दिए जाने के बाद 1 घंटे बाद सोची समझी साजिश के तहत दिनांक 30 जुलाई 2024 को पुलिस थाना रामपुरा द्वारा पत्रकार मुकेश राठौर को न्यूज़ बताने के लिए बुलाया गया और अधीक्षक चंद्रवंशी की रिपोर्ट का हवाला देकर गिरफ्तार कर लिया गया। पूरे मामले में मुकेश राठौर का पक्ष भी नहीं जाना और बिना जांच किए प्रकरण दर्ज कर गिरफ्तार कर लिया गया। गंभीर अपराध की धाराओं में प्रकरण दर्ज किया साथ नगर में उनके जुलूस भी निकाल स्पष्ट रूप से रंजिश की ओर इंगित करता है, अधीक्षक मानसिंह खुद बता रहे हैं कि वे कवरेज के दौरान वहां मौजूद नहीं थे, तो फिर एट्रोसिटी एक्ट का प्रकरण बनता ही नहीं है। अधीक्षक मानसिंह के अलावा छात्रों द्वारा कोई रिपोर्ट नहीं की गई, इस कारण डराने-धमकाने या उकसाने का प्रकरण भी नहीं बनता है। इस तरह से पुलिस ने बिना तथ्यों के आधार पर झूठा प्रकरण दर्ज किया है, जबकि पत्रकार राठौर के पास छात्रावास में गंभीर अनियमितताओं के पर्याप्त सबूत मौजूद हैं, जिनकी अनदेखी की गई है।