किसान प्राकृतिक आपदाओं से घिरा हुआ, कभी अतिवृष्टि, कभी अनावृष्टि तो कभी पाले से परेशान , और अब रोजड़ों से भी परेशान

=======================
रोजड़ों से परेशान किसानों ने कहा: आखिर कब मिलेगी रोजड़ों से निजात ?
यही हाल रहा तो आगामी 5 वर्ष बाद फसल कमाना बॉर्डर पर दुश्मनों से लड़ना बराबर होगा
बापुलाल डांगी/ संस्कार दर्शन
दलौदा – पिछले कई वर्षों से किसानों की दुर्गति होती आ रही है। कभी फसलों के अच्छे दाम नहीं मिलते। तो कभी समय पर रासायनिक खाद बीज नहीं मिलता। तो कभी समय पर बारिश नहीं होती। या असमय बारिश हो जाती है। कभी ठंड नहीं गिरती, तो कभी अत्यधिक ठंड के कारण पाला गिरने से फसलें झुलस जाती है। किसान परेशान होता आ रहा है। किसान प्राकृतिक आपदाओं से इस कदर परेशान है। कि साल भर कमाने के बाद भी परिवार के पालन पोषण लायक फसल भी नहीं कमा पा रहा है। और किसी तरह कमा भी लेता है, तो फसल का उचित दाम नहीं मिलने से किसानों को मायूस होना पड़ता है। इनसे किसी तरह किसान पार पाता है। तो वर्तमान में सबसे बड़ी एवं विकट समस्या कुछ है, तो वह किसानों के सामने रोजड़ों की है। वर्तमान में सबसे बड़ी समस्या, या यूं कहें कि किसानों का सबसे बड़ा आतंकवादी दुश्मन कोई है। तो वह रोजडे़। किसान जो प्राकृतिक आपदा के साथ रोजड़ों की अलग ही समस्या जुड़ गई। और वह इस से जूझ रहा है। पर सरकार या प्रशासन का कोई भी नुमाइंदा इस ओर ध्यान नहीं दे रहे, या देना नहीं चाहते। इन रोजड़ों के कारण फसल कमाना खतरों से खाली नहीं है।
किसान अपने परिवार के पालन पोषण के लिए खेती में फसल लगाता है। इसी आशा के साथ कि इस फसल को कमाने के बाद मैं परिवार का पालन पोषण करूंगा। बच्चों की परवरिश करूंगा। बच्चों को अच्छी पढ़ाई लिखाई करवाउंगा, और उन्हें अच्छी नौकरी दिलवाउंगा। पर वही सपना किसानों का तब चकनाचूर हो जाता है। जब कभी अतिवृष्टि से या अनावृष्टि से फसल बर्बाद हो जाती है। फिर किसान वही सपना रबी सीजन में देखता है। तो वहां भी प्रकृति अपना रौद्र रूप दिखाती है। और पाले से फसल नष्ट हो जाती है। रही सही कसर यह रोजडे कर देते हैं। यह रोजडे़ फसलों को अपने पैरों तले रौंद कर पूरी तरह से फसल बर्बाद कर देते हैं।
अंचल क्षेत्र खजूरी आंजना के परमेश्वर सोलंकी, विष्णु दास बैरागी, मुंडला फौजी के पुष्कर दास बैरागी, कुचड़ोद के महेश गुजरिया, राहुल पंवार, दिनेश हाबरिया, निपानिया के सरपंच प्रतिनिधि बापू लाल डांगी, जोगी खेड़ा के राजकुमार धनगर, दलोदा के शुभम धोका सहित अंचल क्षेत्र के किसानों ने बताया किसानों की कोई सुनने वाला नहीं है। पिछले 5 सालों से किसान प्राकृतिक आपदाओं से परेशान होता आ रहा है। जैसे तैसे किसान प्राकृतिक आपदाओं से पार पाता है, तो यह जंगली जानवर रोजडे़ किसानों की फसलों पर दुश्मनों की तरह वार करते हैं। यह खड़ी फसलों में जिस जगह से निकलते हैं। पूरी फसल बर्बाद करते जाते हैं। किसान अपनी आंखों के सामने अपनी फसल को बर्बाद होते देखता है। फसल को किसान बच्चों की तरह परवरिश कर पालन पोषण करता है। उसी फसल को यह रोजडे़ आंखों के सामने पैरों तले रौंद कर चले जाते हैं। और किसान चाह कर भी कुछ नहीं कर सकता। यह रोजडे़ फसल को खाने के साथ-साथ पैरों तले रौंदते जाते हैं। और जहां बैठते हैं, वहां पर पूरी फसल धरती में मिला देते हैं। किसान महंगाई के दौर में जैसे तैसे रासायनिक खाद दवाई बीच की आपूर्ति कर फसल कमाने के लिए खेत जोतता है। फसल बोता है। किसान सर्दी, गर्मी, बारिश, दिन-रात कुछ नहीं देखता। जहरीले जीव जंतुओं सांप बिच्छू से भी नहीं डरता। बस दिन-रात फसल कमाने को मेहनत करता रहता है। और अच्छी फसल कमाकर परिवार की उन्नति के सपने देखता है। पर वही सपने कभी प्राकृतिक आपदाओं के साथ, तो कभी जंगली जानवरों रोजड़ों के कारण सपने चकनाचूर होते देखता है। रोजडे़ पैरों तले फसल रौंद कर चकनाचूर कर देते हैं। यह रोजड़े जहां से निकलते हैं पगडंडी बना देते हैं।
किसानों ने कहा सरकार को इन जंगली जानवरों पर सख्त एक्शन लेकर निजात दिलाना चाहिए। अन्यथा आगामी 5 वर्ष बाद खेती करना दुश्मनों से बॉर्डर पर युद्ध करना बराबर होगा।
अगर समय रहते किसानों की फसलों पर सरकार ने ध्यान नहीं दिया। तो कृषि प्रधान कहलाने वाला देश, बंजर भूमि वाला देश कहलाएगा।
क्योंकि जो फसल किसान अपनी उन्नति, देश की उन्नति के लिए उगाना चाहता है। हर देशवासी का पेट भरने की चाह रखता है। वही फसल चोर डाकू नहीं बल्कि किसानों के सबसे बड़े आतंकवादी और सबसे बड़े दुश्मन जंगली जानवर रोजडे़। आंखों के सामने बर्बाद कर देते हैं। और जो फसल खेतों में लगाई वह फसल किसान कमाकर कर घर नहीं ला सकता। तो इससे अच्छा खेती करना ही बंद कर दे।
इन जंगली जानवरों रोजड़ों के कारण कई बार हादसे भी हो रहे। यह रोजड़े रात्रि एवं देर शाम के समय सड़क मार्ग पर दौड़ लगा देते हैं। इस कारण कई बार वाहन सवार हादसों का शिकार हो रहे।