भाजपा ने गवाया प्रोडक्शन बढ़ाने और एक्सपायरी रिन्यू करने का अच्छा अवसर

त्वरित टिप्पणी
भाजपा ने गवाया प्रोडक्शन बढ़ाने और एक्सपायरी रिन्यू करने का अच्छा अवसर
-ललित एम पटेल, मंदसौर
वर्तमान में देश जिस मोदी युग से गुजर रहा है शायद यह इंदिरा काल से भी अधिक प्रभावी है। जबकि इसी भाजपा का एक वो दौर भी था जब भारतीय जनता पार्टी के शीर्ष पुरुष स्व अटल बिहारी वाजपेयी को देश के सर्वोच्च लोकतंत्र के मंदिर लोकसभा में यह तक कहना पड़ा था कि आज जिस भाजपा की आप हंसी उड़ा रहे हो वही भाजपा एक दिन देशभर में आपके सुपड़े साफ करने को आमादा होगी और जनता इसे जी भरकर दुलार देने के लिए आतुर होगी। अटलजी के इन वाक्यों के अक्षरशः सत्य साबीत होने की कल्पना तब से ही पर लेने लगी थी जब गुजरात से निकलकर नरेंद्र दामोदरदास मोदी देश के प्रधान सेवक चुने गए। दो बार के लोकसभा चुनावों ने मोदी-मोदी की ऐसी आंधी चलाई कि अब तीसरी बार आते-आते कांग्रेस जैसा मजबूत विपक्ष चुनावी तैयारियों की बजाय अपनों को अवेरने में ही उलझा हुआ है। रही बात भाजपा की तो इसमें कोई अतिशयोक्ति नहीं कि कुछ अपवाद छोड़कर भाजपा की लगभग सारी सीटों पर प्रचंड जीत तय मानी जा रही है। ऐसे में भाजपा के पास यह अवसर था प्रोडक्शन को बढ़ाने का लेकिन ये क्या हुआ कि एक से एक चौकानें वाले निर्णय करने वाले बीजेपी के आला नेतृत्व ने अपनी पहली सूची में तकरीबन सभी टिकिट रिपीट कर दिए। जबकि यह समय था कि आप नए और युवा चेहरों को लोकसभा की टिकीट देकर नई पौध मजबूत कर सकते थे, जिससे भाजपा की एक्पायरी डेट भी आगे बढ़ सकती थी। खैर भाजपा इन चेहरों पर भी जीत ही रही है, जिसकी सभी भाजपाईयों को अग्रिम बधाई।
बात यदि मंदसौर लोकसभा सीट की करें तो कोई अतिशयोक्ति नहीं कि वर्तमान सांसद सुधीर गुप्ता का अपना एक अलग ग्राफ है और उनकी शब्दावली व उत्कर्ष ज्ञान के आगे दिल्ली तक कई धुरंधर नतमस्तक हैं। वो अलग बात है कि कुछ मामलों में जनता में उनके प्रति आक्रोश भी है लेकिन मोदी लहर के आगे सब कुछ गौण है। किन्तु देश की तमाम सीटों की तरह इस सीट पर भी कई युवा और आश्यर्चजनक चेहरे टिकीट को लेकर घुंघरू बांधे हुए थे कि शायद इस बार उनका नम्बर लग जाए, लेकिन ऐसा नहीं हुआ और एक बार फिर भाजपा के शीर्ष नेतृत्व ने गुप्ता पर भरोसा जताया। जबकि इस सीट पर नए चेहरे को उतारने की सबसे अधिक आवश्यकता इसलिए भी थी कि विस चुनाव में भी यहाँ से हर बार चुनाव लड़ने वाले चेहरों पर ही भरोसा किया गया। ऐसे में आम कार्यकर्ता या यों कहें कि पार्टी के प्रति सालों से अपनी वफादारी निभाने वाले मंदसौर, नीमच और जावरा के भजपाईयों में अंदरखाने कई तरह की चर्चाएं जन्म ले रही है और कुछ तो दबी जुबान में यह तक कहते दिख रहे हैं कि *कई है यार यो बार-बार… ई का ई इज लोग दिखे कई… अबे घणी वई गी राजनीति आपणे तो आपणा काम धंधा हमारो…।* वास्तव में बात भी सही है कि यदि मंदसौर संसदीय क्षेत्र से किसी नए को टिकीट मिलती तो वह न सिर्फ मोदी लहर में जीत जाता बल्कि क्षेत्र को इन जमे जमाए क्षत्रपों से छुटकारा मिलता और एक नया नेतृत्व भी उभरता। किन्तु बात वही है कि अब ऐसे कार्यकर्ताओं के पास सिवाय इन क्षत्रपों के आगे-पीछे दौड़ने और जय-जय मोदी… घर-घर मोदी के नारे लगाने के अतिरिक्त कुछ नहीं बचा…।
ललित एम पटेल, मंदसौर
*(7049016361)*