मंदसौरमंदसौर जिला
अ.भा. साहित्य परिषद का जिला सम्मेलन एवं अहिल्याबाई देवी व्याख्यान सम्पन्न

गौरव गान गायक नंदकिशोर राठौर एवं लघुकथा लेखक रमेश मनोहरा का हुआ सम्मान
शिव के सहारे सत्ता को सम्हाला अहिल्याबाई होल्कर ने
मन्दसौर। अखिल भारतीय साहित्य परिषद मंदसौर इकाई का जिला सम्मेलन एवं लोक माता अहिल्याबाई होल्कर व्याख्यान राज्यसभा सांसद श्री बंशीलाल गुर्जर के मुख्य आतिथ्य, पूर्व भाजपा जिलाध्यक्ष श्री मदनलाल राठौर की अध्यक्षता, वरिष्ठ पत्रकार घनश्याम बटवाल, देवेश्वर जोशी, शिक्षाविद् रमेशचन्द्र चन्द्रे, प्रेस क्लब अध्यक्ष ब्रजेश जोशी, पूर्व प्राचार्य श्यामलाल बोराना, संरक्षक डॉ. उर्मिला तोमर, लाफ्टर फेम मुन्ना बैटरी, रेकी ग्रेड मास्टर श्रीमती चंदा डांगी, बंशीलाल टांक, राजाराम तंवर, अजीजउल्लाह खान, रविशंकर शर्मा नीमच, अभय कोठारी रतलाम के सानिध्य में लोकमाता अहिल्याबाई होल्कर के बारे में मालवा प्रांत अध्यक्ष श्री त्रिपुरारीलाल शर्मा द्वारा दिये व्याख्यान के साथ सम्पन्न हुआ।
इस विषय पर बोलते हुए श्री शर्मा ने कहा कि ईश्वरीय आस्था से किये गये कार्यों को स्वयं ईश्वर की मानसिक बल के साथ शारीरिक क्षमता प्रदान करते है। अहिल्याबाई होल्कर ने शिव की आराधना करते हुए मालवा साम्राज्य को स्थापित किया और शिव के सहारे ही सत्ता को सम्हाला। इसी कारण उनमें करूणा एवं प्रजा के हित की भावना का समावेश हुआ और सभी का ध्यान रखने से ही उनको पुण्य श्लोका लोकमाता कहा गया है। आपने महिलाओं को शस्त्र चलाने की दिशा देकर महिला सेना बनाई, सेना के जवानेां की मृत्यु हो जाने पर उनकी विधवाओं को रोजगार से जोड़ा। साड़ी बनाने का कार्य सिखाया उसी जमाने से महेश्वर की साड़ियों का उत्पादन हुआ आज भी महेश्वर की साड़ी प्रसिद्ध है। आपने न्याय की अनूठी परम्पराओं को स्थापित किया जिसमें न्याय के तराजू पर सभी बराबर थे। न्याय के लिये अपने बेटे को भी आपने मृत्युदंड सजा देने में कोई हिचक नहीं दिखाई। धर्म के आधार पर शासन चलाया। पूरे भारत में 100 से अधिक मंदिरों का जीर्णोद्धार कराया। जिसमें काशी विश्वनाथ, सोमनाथ, हरिद्वार, उज्जैन के कई मंदिर शामिल थे। अहिल्याबाई ने अनेक युद्ध लड़े तो सारे भारत के राजाओं को राखी भेजकर भाई बनाया जिससे युद्ध की आशंका कम हुई साथ ही कुटनीति अपनाकर उन्होंने राघोबा जैसे पेशवा को भी एक पत्र लिखकर युद्ध के बिना लौटा दिया कि ‘‘आपसे महिलाओं की सेना लड़ेगी जिससे जीते तो भी कोई उपलब्धि नहीं मानी जाएगी और हारे तो भी कलंक लगेगा कि महिला सेना से हारे।’’
इस अवसर पर परिषद ने जिले में भारतीय कुटुम्ब परम्परा कहानी प्रतियोगिता का आयोजन किया जिसमें स्कूल वर्ग में यशराज प्रथम, कुरंजना द्वितीय, राहुल सेन, शाईन रंगरेज तृतीय रहे। कॉलेज वर्ग में कु. कविता पाटीदार प्रथम, कु. रविना चड़ावत द्वितीय तथा राधिका मराठा पिपल्यामंडी तृतीय रही। साहित्यकार में दीपिका किशोरी मनवानी प्रथम, नरेन्द्र भावसार द्वितीय तथा मनीषा शर्मा तृतीय रहे। सभी प्रतिभागी को प्रमाण पत्र प्रदान कर पुरस्कृत किया गया। साथ ही सरस्वती स्कूल प्राचार्य प्रकाश धाकड़ का भी सम्मान मंच पर किया गया।
इस अवसर पर विजय अग्निहोत्री एवं प्रमिला अग्निहोत्री परिवार ने जिले के गौरवगान गायक नंदकिशोर राठौर एवं लघुकथा लेखक रमेश मनोहरा को साहित्यकार सम्मान अपनी माता स्व. श्रीमती राधादेवी पं. शिवनारायण अग्निहोत्री की स्मृति में दिया। कार्यक्रम में नरेन्द्र भावसार की प्रथम पुस्तक ‘‘बंद दरवाजे के खिलाफ’’ का विमोचन भी अतिथियों द्वारा किया गया।
कार्यक्रम के द्वितीय सत्र में त्रिपुरारीलाल शर्मा ने संगठन हित की बातों पर चर्चा। नई तहसील बनाने के निर्देश दिये। पश्चात् काव्य पाठ हुआ जिसमें भेरू सुतार मनासा, रवि वर्मा नीमच, भंवर नीमच, सुनील माली पिपल्या, रमेश मनोहरा जावरा, मनोहर मधुकर जावरा, राहुल राठौर, दीपिका मावर, घनश्याम शर्मा, उदिता मेहरा, सतीश शिकारी ललित बटवाल, नरेन्द्र राणावत, जीवन कुमोतर ने काव्य पाठ किया। राजकुमार अग्रवाल व स्वाति रिछावरा ने भजन प्रस्तुत किये। कार्यक्रम का संचालन नरेन्द्र त्रिवेदी ने किया तथा आभार नंदकिशोर राठौर ने माना।
इस विषय पर बोलते हुए श्री शर्मा ने कहा कि ईश्वरीय आस्था से किये गये कार्यों को स्वयं ईश्वर की मानसिक बल के साथ शारीरिक क्षमता प्रदान करते है। अहिल्याबाई होल्कर ने शिव की आराधना करते हुए मालवा साम्राज्य को स्थापित किया और शिव के सहारे ही सत्ता को सम्हाला। इसी कारण उनमें करूणा एवं प्रजा के हित की भावना का समावेश हुआ और सभी का ध्यान रखने से ही उनको पुण्य श्लोका लोकमाता कहा गया है। आपने महिलाओं को शस्त्र चलाने की दिशा देकर महिला सेना बनाई, सेना के जवानेां की मृत्यु हो जाने पर उनकी विधवाओं को रोजगार से जोड़ा। साड़ी बनाने का कार्य सिखाया उसी जमाने से महेश्वर की साड़ियों का उत्पादन हुआ आज भी महेश्वर की साड़ी प्रसिद्ध है। आपने न्याय की अनूठी परम्पराओं को स्थापित किया जिसमें न्याय के तराजू पर सभी बराबर थे। न्याय के लिये अपने बेटे को भी आपने मृत्युदंड सजा देने में कोई हिचक नहीं दिखाई। धर्म के आधार पर शासन चलाया। पूरे भारत में 100 से अधिक मंदिरों का जीर्णोद्धार कराया। जिसमें काशी विश्वनाथ, सोमनाथ, हरिद्वार, उज्जैन के कई मंदिर शामिल थे। अहिल्याबाई ने अनेक युद्ध लड़े तो सारे भारत के राजाओं को राखी भेजकर भाई बनाया जिससे युद्ध की आशंका कम हुई साथ ही कुटनीति अपनाकर उन्होंने राघोबा जैसे पेशवा को भी एक पत्र लिखकर युद्ध के बिना लौटा दिया कि ‘‘आपसे महिलाओं की सेना लड़ेगी जिससे जीते तो भी कोई उपलब्धि नहीं मानी जाएगी और हारे तो भी कलंक लगेगा कि महिला सेना से हारे।’’
इस अवसर पर परिषद ने जिले में भारतीय कुटुम्ब परम्परा कहानी प्रतियोगिता का आयोजन किया जिसमें स्कूल वर्ग में यशराज प्रथम, कुरंजना द्वितीय, राहुल सेन, शाईन रंगरेज तृतीय रहे। कॉलेज वर्ग में कु. कविता पाटीदार प्रथम, कु. रविना चड़ावत द्वितीय तथा राधिका मराठा पिपल्यामंडी तृतीय रही। साहित्यकार में दीपिका किशोरी मनवानी प्रथम, नरेन्द्र भावसार द्वितीय तथा मनीषा शर्मा तृतीय रहे। सभी प्रतिभागी को प्रमाण पत्र प्रदान कर पुरस्कृत किया गया। साथ ही सरस्वती स्कूल प्राचार्य प्रकाश धाकड़ का भी सम्मान मंच पर किया गया।
इस अवसर पर विजय अग्निहोत्री एवं प्रमिला अग्निहोत्री परिवार ने जिले के गौरवगान गायक नंदकिशोर राठौर एवं लघुकथा लेखक रमेश मनोहरा को साहित्यकार सम्मान अपनी माता स्व. श्रीमती राधादेवी पं. शिवनारायण अग्निहोत्री की स्मृति में दिया। कार्यक्रम में नरेन्द्र भावसार की प्रथम पुस्तक ‘‘बंद दरवाजे के खिलाफ’’ का विमोचन भी अतिथियों द्वारा किया गया।
कार्यक्रम के द्वितीय सत्र में त्रिपुरारीलाल शर्मा ने संगठन हित की बातों पर चर्चा। नई तहसील बनाने के निर्देश दिये। पश्चात् काव्य पाठ हुआ जिसमें भेरू सुतार मनासा, रवि वर्मा नीमच, भंवर नीमच, सुनील माली पिपल्या, रमेश मनोहरा जावरा, मनोहर मधुकर जावरा, राहुल राठौर, दीपिका मावर, घनश्याम शर्मा, उदिता मेहरा, सतीश शिकारी ललित बटवाल, नरेन्द्र राणावत, जीवन कुमोतर ने काव्य पाठ किया। राजकुमार अग्रवाल व स्वाति रिछावरा ने भजन प्रस्तुत किये। कार्यक्रम का संचालन नरेन्द्र त्रिवेदी ने किया तथा आभार नंदकिशोर राठौर ने माना।