स्त्रोत और सूत्रों का उल्लेख और वाचन होता,जिससे की हमे दरिद्रता से मुक्ति मिलती

सुवासरा- जो अमंगल को मंगल कर दे। और उसके साथ ही मनुष्य की शारीरिक व्याधि, रोग को नष्ट कर दे। ऐसा ही चमत्कार महामांगलिक को श्रवण करने से मिलता हे। उक्त बात अध्यात्मयोगी पूज्य गणिवर्य श्री आदर्श रत्न सागर जी महाराज ने शुक्रवार को आनंद धाम तीर्थ परिसर में महामांगलिक कार्यक्रम के दौरान कहीं। उन्होंने बताया की महामांगलिक में कई ऐसे स्त्रोत और सूत्रों का उल्लेख और वाचन होता है जिससे की हमे दरिद्रता से मुक्ति मिलती हे और हमारा कल्याण होता हे।
दोपहर 12:39 बजे तीर्थ परिसर में महामांगलिक प्रारंभ हुई । जो दोपहर 3 बजे तक चली। महामांगलिक का आयोजन गुरु नव आदर्श भक्त मंडल के द्वारा किया गया। इससे पूर्व दोपहर 12 बजे तीर्थ संकुल में बने सुकमला केसर कक्ष का शुभारंभ पूज्य गुरुदेव श्री आदर्श रत्न सागर जी महाराज और श्री सुजानमल रामशणा परिवार के द्वारा किया गया। कार्यक्रम के दौरान मांगलिक के लाभार्थी परिवारों का बहुमान तीर्थ पेढ़ी के द्वारा किया गया। इस अवसर पर लाभार्थी परिवारों के द्वारा पूज्य गुरुदेव को कांबली अर्पण की गई। शाम को 5 बजे पूज्य गुरुदेव ने नागेश्वर तीर्थ की ओर विहार किया।