भगवान ने जो दिया उसमें संतुष्ट रहो, जीवन सुखमय हो जायेगा – स्वामी आनन्दस्वरूपानंदजी सरस्वती
मन्दसौर। श्री केशव सत्संग भवन खानपुरा मंदसौर पर दिव्य चातुर्मास पूज्यपाद 1008 स्वामी आनन्दस्वरूपानंदजी सरस्वती ऋषिकेश के सानिध्य में प्रारंभ हो चुका है। स्वामी जी द्वारा प्रतिदिन प्रात: 8.30 से 10 बजे तक श्रीमद् भागवद् महापुराण के एकादश स्कन्द का का वाचन किया जा रहा है।
मंगलवार को धर्मसभा को संबोधित करते हुए स्वामी श्री आनन्दस्वरूपानंदजी सरस्वती ने कहा कि हमें भगवान के चरण कमल की पूजा करना चाहिए। ईश्वर को समझने का प्रयास करेंगे तो स्वयं को समझ पाओंगें क्योंकि ईश्वर सबके अंदर है। इस दुनिया में ऐसा कोई जीव नहीं जिसके अंदर ईश्वर न हो। आपने बताया कि व्यक्ति को बचपन में खिलौने चाहिए, जवानी में सजीव लोेग चाहिए वृद्धा अवस्था में परिवार की चिंता सताती है लेकिन ईश्वर का ध्यान नहीं करते। जबकि वृद्धा अवस्था में तो कम से कम सब छोडकर ईश्वर का ध्यान करना चाहिए।
आपने कहा कि जिस प्रकार बगीचे की देखभाल एक माली करता है लेकिन उसके फल और फूलों पर अधिकार बगीचें के मालिक का होता है और बगीचे का मालिक जो माली को दे देता है वह उसमें खुश रहता है। ठीक उसी प्रकार यह संसार भी भगवान का एक बगीचा है इसमें लगने वाले सभी फल फूल भगवान के ही है और इसमें से भगवान जो हमें दें उसमें संतुष्ट रहना चाहिए। जीवन में संतुष्टी की आदत डालों, ईष्वर ने दिया उसमें संतुष्ट रहोेगे तो जीवन सुखमय हो जायेगा।
आपने धर्मसभा में कहा कि मृत्यु से पहले मन को ईश्वर से जोडें और अपना सबकुछ ईश्वर को समर्पित कर दें क्योंकि यह सब ईश्वर का ही है। मन को प्रभु भक्ति में लगाये।
कार्यक्रम के अंत में भगवान की आरती उतारी गई एवं प्रसाद वितरित किया गया। इस अवसर पर स्वामी प्रभासमुनि हरिद्वार उदासिन आश्रम, जगदीशचन्द्र सेठिया, कारूलाल सोनी, रमेषचन्द्र चन्द्रे, डॉ रविन्द्र पाण्डेय, जगदीश गर्ग,आर सी पंवार, इंजि आर सी पाण्डे, पं शिवनारायण शर्मा, अजय मित्तल, राजेष तिवारी, राजेष देवडा, शंकरलाल सोनी, रामचंद्र कोकन्दा, बाल किशन चैधरी, कन्हैयालाल रायसिंघानी, घनष्याम मोदी सहित बडी संख्या में महिलाएं पुरूष उपस्थित थे।