आलेख/ विचारमंदसौरमध्यप्रदेश

संगठित भूमाफिया कर रहे मंदिरों, गोचर और सरकारी जमीनों नालो का चीर हरण कैसे बचाएंगे मोहन…!!’

चक्रव्यूह में श्री लक्ष्मीनारायण मंदिर – श्री जैन

मंदसौर। संगठित भूमाफिया कर रहे मंदिरों, गोचर और सरकारी जमीनों नालो का चीर हरण कैसे बचाएंगे मोहन… इन माफियों से प्रदेष को। उक्त आरोप लगाते हुवे कांग्रेस नेता कमलेश जैन ने बताया की प्राचीन मंदिर और ऐतिहासिक धरोहरें नहीं है सुरक्षित, मुख्यमंत्री मोहन यादव के निर्देशों की मंदसौर जिला प्रशासन और नगरपालिका उड़ा रहा धज्जियां अतिक्रमणकारियों के हौसले बुलंद। शासकीय गोचर, मंदिर की जमीनो और सरकारी नालो को हड़पने के व्यापार में कहां खो गया मंदसौर का सुशासन। भ्रष्टाचार और रसूखदारी की आड़ में पनप रहे हैं संगठित भूमाफिया मंदिरों नालों और चरनोई की जमीनों को हड़प कर निजी स्वार्थ सिद्ध करने वालों की वजह से हाल में सम्पन्न हुए विधानसभा चुनाव में भाजपा को मंदसौर में हार का सामना करना पड़ा धर्म की जय हो अधर्म का नाश हो की हुंकार भरने वाले धर्म प्रेमियों का भी भाजपा से हो रहा है मोह भंग शहर के गौरवशाली गणपति चैक की प्राचीन भव्यता पर लगे टाट के पेबंध को सत्ताधारी नेताओ के इशारे पर कब तक बचाया जाएगा आखिर वो कौन नेता हैं जिसके दबाव में फर्जी और अस्तित्वहीन दस्तावेजों को ढाल बना कर मंदिर को नुकसान पहुंचाने वाले लोगो को बचाया जा रहा है। जंनकुपूरा स्थित भगवान श्री लक्ष्मी नारायण मंदिर की दुर्दशा किसी से छुपी नहीं है पर सवाल यह है की आखिर सब मौन क्यों है।
श्री जैन ने बताया कि मंदिर के मुख्य द्वार पर अतिक्रमणकारियों ने कब्जा कर एक तरीके से मंदिर के अस्तित्व को ही खत्म कर दिया है और मंदिर की दीवाल पर तो नगरपालिका ने स्वयं ही सार्वजनिक मूत्रालय बना दिया जिस पर हाल ही में न्यायालय ने मंदिर के पक्ष में फैसला दिया है पहले भी दो बार नगरपालिका ने नोटिस नोटिस का खेल खेला लेकिन पूर्व जनप्रतिनिधि के दबाव और आर्थिक स्वार्थ के चलते मंदिर को जीर्ण शीर्ण होने के लिए छोड़ दिया गया ताकि मंदिर का अस्तित्व खत्म हो और मंदिरों की जमीन के लालची उन जमीनों को सरे बाजार नोच कर डकार सके। सरकार धार्मिक पर्यटन को बढ़ावा दे रही हैं लेकिन मंदसौर का जिला प्रशासन और नगरपालिका ऐसे में 500 वर्ष पुराने श्री लक्ष्मीनारायण मंदिर का जीर्णोद्धार कर पशुपतिनाथ आने वाले दर्शनार्थियों को मंदसौर शहर में एक और दार्शनिक स्थान के पर्यटन का सौभाग्य दे सकती है और गणपति चैक की भव्यता भी वापस लौट आएगी साथ ही पुराने जनकुपुरा के डूबते व्यापार को भी सहारा मिलेगा सुशासन का दावा ठोकने वाला राजस्व विभाग और नगरपालिका छोटे-मोटे अतिक्रमण तोड़कर वाह वाही लूट रहा है सबसे बड़ी बात की सारे राजस्व रिकार्ड में मंदिर शासकीय भूमि पर है तो इतने साल से पुजारी अपनी मिल्कियत समझ कर लाखो रुपए किराया केसे डकार गया पुलिस के पास प्रमाणित शिकायत होने के बाद भी पुजारी पर मुकदमा दर्ज क्यों नही किया और वो कोन नेता हैं जो भगवा गमछा डाल कर अपनी राजनेतिक रोटियां सेंकते है और अपने ही धर्म स्थानों को नुकसान पहुंचाने वाले शरारती तत्वों का साथ देते हैं सार्वजनिक रूप से नारे लगाते हैं की धर्म की जय हो और अधर्म का नाश हो पर पीठ पीछे अधर्मियो का साथ देते हैं।

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