ऐसा भी हो रहा है -भवन स्वामी एक,नामांतरण हो रहा दो जगह, उठाना पड़ रहा आर्थिक नुकसान
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पार्षद सुमित्रा पोरवाल ने उठाई आवाज रहवासियों के साथ किया जाये न्याय
नीमच। हाउसिंग बोर्ड द्वारा निर्मित शहर का इन्दिरा नगर क्षेत्र ऐसा क्षेत्र बन चुका है जहां के रहवासी समस्या निदान के लिये निरंतर किसी ना किसी रूप में जंग लड़ते आ रहे है। हालात ये हो रहे है कि हाउसिंग बोर्ड से संबंधित छोटे-छोटे कामों के लिये मंदसौर तक की दौड़ लगाना पड़ रही है। इतना ही काफी नहीं, यहां के रहवासियों को दो-दो विभागों में नामांतरण करवाना मजबूरी बन चुकी है। हाउसिंग बोर्ड और नगरपालिका दो विभागों के बीच में फंस रहवासी जंग लड़ रहे है। उन्हें भारी आर्थिक नुकसान उठाना पड़ रहा है।
इस संबंध में वार्ड नं. 07 की पार्षद श्रीमती सुमित्रा मुकेश पोरवाल ने आवाज उठाते हुए कहा कि नगरपालिका द्वारा इंदिरानगर वासियों के साथ छल कपट किया जा रहा है। इंदिरा नगर में लगभग 1500 भवन, भूखंडधारी निवास करते हैं । मध्यप्रदेश गृह निर्माण मंडल द्वारा विकसित की गई कॉलोनी में यहां के रहवासियों को दोहरी नामांतरण प्रक्रिया से गुजरना पड़ रहा है। मध्य प्रदेश शासन के दो विभाग अलग-अलग हैं लेकिन भवनधारी एक है उसे दो-दो जगह नामांतरण प्रक्रिया से गुजरना पड़ रहा है जिससे कि आम जनता पर भारी आर्थिक भार पड़ रहा है,आम जनता का समय भी बर्बाद हो रहा है और भ्रष्टाचार को बढ़ावा मिल रहा है। कई सालों से नगर पालिका में नामांतरण लंबित रखे में जबकि गृह निर्माण मंडल ने नाम मात्र आदेश दे दिया है। एक प्रतिलिपि नगर पालिका को दी जाती है उसी के आधार पर संपत्ति कर एवं जलकर शाखा में परिवर्तन कर देना चाहिए ऐसा नहीं करते हुए हाउसिंग बोर्ड में नामांतरण होने के बाद नगर पालिका पुनः उसी मकान के स्वामी का नामांतरण हेतु प्रेस विज्ञप्ति निकालती है और कई महीनो तक उसको लटका के रखती हैं और फिर आ°र्डर करती है निर्धारित नाम मात्र शुल्क के बाद नगर पालिका में नामांतरण होता है लेकिन नामांतरण को लेरकर भ्रष्टाचार के नाम पर कितने लगते हैं इसका पता नहीं है। नपा में भवनदारी को देखकर तिलक लगाया जाता है। पार्षद सुमित्रा पोरवाल ने नपा को सुझाव देते हुए कहा कि मप्र गृह निर्माण मंडल के आदेश के बाद नगर पालिका रू.2000 शुल्क निर्धारित करें और आवेदन के साथ ही उसका नामांतरण की कॉपी लेकर संपत्तिकर व जल कर शाखा में दर्ज करें जिससे कि आम जनता को न्याय मिलेगा। नगर पालिका अध्यक्ष के अधिकार क्षेत्र में हो तो उन्हें समस्या का निदान करना चाहिये अन्यथा प्रकरण को परिषद में रखकर आम जनता को राहत दिलाना चाहिये।