देशनई दिल्ली

केंद्र सरकार पेट्रोल-डीजल को GST के दायरे में लाने के लिए तैयार, राज्यों को मिलकर इसके बारे में फैसला लेना

 

जीएसटी काउंसलिंग की मीटिंग में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि केंद्र सरकार पेट्रोल-डीजल को GST के दायरे में लाने के लिए पहले से तैयार है. राज्यों को मिलकर इसके बारे में फैसला लेना है* जीएसटी में पेट्रोल डीजल करीब आठ महीने बाद शनिवार यानी 22 जून को GST Council की महत्वपूर्ण बैठक हुई. मोदी 3.0 सरकार की यह पहली जीएसटी काउंसिल मीटिंग थी. कई अहम मुद्दों पर चर्चा की गई. पेट्रोल और डीजल पर जीएसटी को लेकर वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि केंद्र सरकार की मंशा हमेशा से पेट्रोल और डीजल को जीएसटी के दायरे में लाने की रही है और अब यह राज्यों पर निर्भर है कि वे एक साथ आकर इसकी दर तय करें.उन्होंने कहा कि पूर्व वित्त मंत्री अरुण जेटली ने पेट्रोल और डीजल को जीएसटी कानून में शामिल करके पहले ही प्रावधान कर दिया है. अब बस राज्यों को एक साथ आकर इस पर चर्चा करनी है और कर की दर तय करनी है. सीतारमण ने कहा, “जीएसटी का उद्देश्य, जैसा कि पूर्व वित्त मंत्री अरुण जेटली ने लाया था, पेट्रोल और डीजल को जीएसटी में लाना था. अब यह राज्यों पर निर्भर है कि वे दर तय करें. मेरे पूर्ववर्ती का इरादा बहुत स्पष्ट था, हम चाहते हैं कि पेट्रोल और डीजल जीएसटी में आएं.

इन 5 वस्तुओं पर फिलहाल GST नहीं लगता है जब 1 जुलाई 2017 को जीएसटी लागू किया गया था, जिसमें एक दर्जन से अधिक केंद्रीय और राज्य शुल्क शामिल थे, तो पांच वस्तुओं – कच्चे तेल, प्राकृतिक गैस, पेट्रोल, डीजल और विमानन टरबाइन ईंधन (एटीएफ) को जीएसटी कानून में शामिल किया गया था, लेकिन यह निर्णय लिया गया था कि बाद में इन पर जीएसटी के तहत कर लगाया जाएगा. *सरकार इसे GST में लाने के लिए पहले से तैयार पेट्रोल-डीजल पर GST रेट राज्यों को तय करना है*

इसका मतलब यह हुआ कि केंद्र सरकार उन पर उत्पाद शुल्क लगाती रही, जबकि राज्य सरकारें VAT वसूलती रहीं. इन करों, खास तौर पर उत्पाद शुल्क सहित, को समय-समय पर बढ़ाया जाता रहा है. सीतारमण ने कहा कि जीएसटी लागू करते समय केंद्र सरकार की मंशा यह थी कि अंततः किसी समय (बाद में) पेट्रोल और डीजल को भी जीएसटी के दायरे में लाया जा सकेगा. *राज्य सरकारों को सहमत होना होगा* उन्होंने कहा, इस बात का प्रावधान पहले ही किया जा चुका है कि इसे जीएसटी में शामिल किया जा सकता है. एकमात्र निर्णय जो अपेक्षित है, वह यह है कि राज्य सहमत हों और जीएसटी परिषद के पास आएं और फिर तय करें कि वे किस दर पर सहमत होंगे.” सीतारमण ने 53वीं जीएसटी परिषद की बैठक के बाद संवाददाताओं से कहा, “एक बार जब राज्य परिषद में सहमत हो जाएंगे, तो उन्हें यह तय करना होगा कि कराधान की दर क्या होगी. एक बार यह निर्णय हो जाने के बाद इसे अधिनियम में डाल दिया जाएगा।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button
site-below-footer-wrap[data-section="section-below-footer-builder"] { margin-bottom: 40px;}