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जन-मन में उमंग है,क्या बिहार भाजपा वाक़ई में वैश्य के भविष्य के संग

 

कभी आपने सुना है कि केंद्र और राज्य ने बिहार में वैश्य के लिए कोई साझा प्रयास किया हो ?- विजय कुमार गुप्ता

भारत को सुप्रसिद्ध व्यावसायिक, समाजसेवी वैश्य पुत्र विजय कुमार गुप्ता ने कहा कि
हिंदु वर्ण व्यवस्था का तीसरा स्तंभ वैश्य वर्ग है किसान, पशुपालक और व्यापारी समुदाय इस वर्ण में शामिल हैं।
बहुत दुःख की बात है की मोदी 3.0 में इस बार वैश्य समाज से कोई बिहार का सांसद मंत्री पद पर नहीं रहेगा। बिहार में 28 से 32 % आबादी के वैश्य समाज की इस परिस्थिति के ज़िम्मेवार किसे मानते है।

भारत देश विश्व की तीसरी अर्थव्यवस्था बन्ने को है तैयार परंतु देश में वैश्य समाज चुनाव 2024 का मुद्दा क्यों नहीं था ? “क्या बिहार भाजपा के वैश्य नेता लगातार जनता के चरणों में जाते रहते हैं, क्या वो जनता से मिलने में अपनी बेइज्जती समझते है।”हमने और आपने कई सारे नेता बनते हुए देखे, लेकिन बिहार को बदलते हुए नहीं देखे: चाहे रथ पर हो, या पैदल या हैलिकॉप्टर – बिहार की तथाकथित ज़मीन से जुड़ी राजनीति का यही सच है।संभलिए, नहीं तो और पीछे छूटते जाएंगे हम।

पूर्णियाँ पुख़्ता प्रमाण है कि बिहार में “जाति” एक थोथा नारा है। संघर्ष सिर्फ़ परिवार और मुठ्ठी भर दलालों तक सत्ता को सीमित रखने का है। जाति के नाम पर सबने ‘दरी बिछाने, झंडा उठाने वालों’ को ठग कर संगठित किया और सत्ता पाकर लूटा है। जो भी जीते, पूर्णियाँ तथा अन्य लोक सभा हारे है, क्या बिहार फिर वैश्य समाज परास्त हुवा है।

नीतीश कुमार पूरे बिहार को अपना परिवार बता रहे हैं। विडम्बना है कि उनके कार्यकाल में लाखों-करोड़ों बिहारी के वैश्य अपने परिवार का पेट पालने के लिए उसी परिवार से दूर परदेस में चाकरी करने को मजबूर हैं। क्या नीतीश कुमार परिवार जोड़ने नहीं तोड़ने वाले व्यक्ति रहे हैं या डिवाइड एंड रूल आज भी बिहार में क़ायम है।

कांग्रेस का एक नेता JDU में शामिल होता है, और कुछ ही सालों में नीतीश कुमार का सबसे करीबी बन जाता है। जबकि इसकी जाति के लोग भी इसे नेता नहीं मानते। बिना चुनाव लड़े, बैकडोर से MLC और मंत्री बनता है। अपनी बेटी को चिराग पासवान की पार्टी से टिकट भी दिला देता है। जबकि वो लोजपा में कभी थी भी नहीं।

अप्रैल फूल पे एक दिन के लिए आप एक, दो, दस लोगों को ठगते हैं। लेकिन 20 साल तक, हर दिन, वैश्य लोगों को एक साथ ठगते रहने की कला सिर्फ़ बिहार भाजपा में है।

और कहा कि क्या बिहार में ऊंची जाति को बीजेपी का कोर वोटर माना जाता है, इसकी छाप बीजेपी के लोकसभा उम्मीदवारों की लिस्ट में भी देखने को मिली है।यही वजह है कि (लोक सभा चुनाव 2024)17 में 10 प्रत्याशी सवर्ण समाज से थे।

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