दोनों पैर गंवाने के बाद भी नहीं टूटा हौंसला, बीस साल से स्वयं के साथ पत्नी और मां का भी रख रहे ख्याल

इरादे हो जिनके पक्के.. वह आगे बढ़ जाते हैं,
टकराते हैं जो तूफानों से मंजिल भी वह पाते है’…...
मंदसौर जिले के अरनिया जटिया (पारली) गांव के दिव्यांग रामसिंह की संघर्ष की कहानी कुछ इसी बात को साबित कर रहा है, जांबाज रामसिंह की कहानी खासकर उन लोगों के लिए भी प्रेरणा जो छोटी- छोटी बातों में अपने जिंदगी से थक हारने की बात सोच लेते हैं और दिव्यांग रामसिंह उस समाज के लिए है जहां छोटी सी छोटी परेशानी में अपने ही लोग अपनों का साथ छोड़ कर उसे बदहाली और बेबसी में जीने को मजबूर कर देते हैं।
जी हां हम बात कर रहे हैं रामसिंह पिता लक्ष्मी नारायण मीणा जो मल्हारगढ़ तहसील की ग्राम पंचायत अरनिया जटिया के गांव पारली निवासी हैं जिन्होंने 20 साल पहले कैंसर की बीमारी की वजह से शासकीय जिला चिकित्सालय मंदसौर में ऑपरेशन के दौरान दोनों पैरों को गंवा चुके थे। परंतु उन्होंने अपनी जिंदगी में हार नहीं मानते हुए गांव के बाहर चौपाटी पर एक गुमटी लगाकर पंचर निकालने की दुकान चालू की। तथा वर्तमान समय में मंहगाई आदि समस्याओं से जूझते हुए स्वयं के साथ पत्नी और मां का भी ख्याल रख रहे हैं।
राम सिंह ने बताया कि टायर पंचर निकालने से 100 -200 रुपए की उन्हें रोज मजदुरी हो जाती है। उनके साथ परिवार में पत्नी और मां भी साथ रहती है। रामसिंह ने कहा कि वहीं शासन से पेंशन का लाभ मिल रहा है परंतु अन्य किसी योजना प्रधानमंत्री आवास, आने जाने के लिए बाइसिकल आदि नहीं मिला है।