धर्म संस्कृतिमंदसौर जिलाशामगढ़

माकड़ी माताजी के दूर-दराज से दर्शनाथी दर्शन करने आते ,होती उनकी मुरादे पूर्ण

नवरात्रि विशेष-

शामगढ़ तहसील मुख्यालय से 12 किलोमीटर की दूरी पर बसा माकड़ी माताजी मंदिर जो काफी पुराना पहाड़ों के बीच बसा हुआ मंदिर है इस मंदिर में कुइया है कुए के पानी को लगा लेने से मरीज को मिलती है राहत होते हैं इस मंदिर में दर्शन करने के लिए दूर दराज से लोग पहुंचते हैं मंदिर में माताजी विराजित है मंदिर की खूबसूरत वादियां जंगल नुमा है यहां पर आकर श्रद्धालु अपने आप में हल्का पर महसूस करता है एवं इस चमत्कारी स्थान को माकड़ी माता जी के नाम से जाना जाता है यहां पर छोटी बड़ी नवरात्र में 9 दिनों तक होते हैं कई प्रकार के आयोजन नवरात्र में रात भर भजन कीर्तन चलते हैं  दूर-दराज से दर्शनाथी दर्शन करने आते हैं होती है उनकी मुरादे पूर्ण नवरात्र में भक्तों की भीड़ लगती है

माताजी का इतिहास कितना पुराना है यह बताना तो संभव नहीं है। माकड़ी माताजी को चामुंडा माताजी नाम से भी जाना जाता है। पूर्वज बताते थे कि कालांतर में जहां माताजी का स्थान है उससे कुछ ही दूरी पर एक छोटी गुफा थी। इसमें माताजी की प्रतिमा विराजित थी। गांव की ही वृद्ध महिला भक्त रोज माताजी के दर्शन और पूजा करने आती थी। गुफा का द्वार छोटा होने के कारण अंदर जाते समय अक्सर उसके माथे सिर में लग जाती थी। एक दिन जब उसे माथे पर लगी तो उसने कहा माताजी आप तो डरती हो इसीलिए अंदर बैठी रहती हो यह कहकर वह अपने घर चली गई। जब अगले दिन आई तो माताजी की प्रतिमा गुफा के बाहर दिखी। तब से माताजी की प्रतिमा यहीं पर विराजित है। कालांतर में माता की मूर्ति के नीचे पेढ़ी थी। 25 साल पहले गांव के 10 सदस्यों की एक समिति बनाकर मंदिर नव निर्माण की रूपरेखा तैयार की थी। प्रचार प्रसार किया गया और जन सहयोग से यहां मंदिर का निर्माण किया गया एवं साथ में ही अब यहां कॉम्प्लेक्स व धर्माशाला का निर्माण चल रहा है। कई सालों से दोनों नवरात्रि पर यहां मेला लगता है एवं भंडारे का आयोजन होता है।

कामना पूरी होने पर मां से जुड़ी कड़ी तो कहलाई माकड़ी माता,

पंडित शिवनारायण जोशी बताते हैं कि यहां विराजित माताजी की पहली पूजा गांव के सिसोदिया परिवार की लगती हैं इसके बाद ही अन्य भक्त यहां पूजा-अर्चना करते है। वही भक्तों की मुराद को जल्द पूरा करती है। जिसकी भी मुराद पूरी होती थी तो कहते थे कि इसकी मां से कड़ी जुड़ी है। इसी कारण माताजी को माकड़ी चामुंडा माताजी नाम से पुकारा जाता है। खास बात यह है कि माता रानी के दरबार में चोर, कंजर भी मां दरबार में आते हैं। आज भी रात या सुनसान राह में इस क्षेत्र या आस-पास कोई कहे की वह माकड़ी चामुंडा माताजी के दर्शन करने जा रहा है या दर्शन करके आ रहा है तो उसे कोई परेशान नहीं करता है।

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