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मप्र में 45 हजार नर्सिंग छात्रों को बड़ी राहत, सीबीआई जांच में अपात्र काॅलेजों के छात्र भी दे सकेंगे परीक्षा

 

जबलपुर। हाई कोर्ट ने सीबीआई जांच में अनुपयुक्त पाए गए नर्सिंग कालेजों के छात्रों को परीक्षा में शामिल करने का महत्वपूर्ण राहतकारी आदेश पारित किया है। सोमवार को न्यायमूर्ति संजय द्विवेदी व न्यायमूर्ति एके पालीवाल की युगलपीठ ने अपने आदेश में तल्ख टिप्पणी करते हुए कहा कि सरकारी कर्मचारियों की गलतियों का खामियाजा उन्हें भुगतना पड़ रहा है। छात्रों को एक अवसर प्रदान करने हुए परीक्षा में शामिल किया जाए। इस आदेश से राज्य के लगभग 45 हजार नर्सिंग छात्रों को बड़ी राहत मिली है। उल्लेखनीय है कि मध्य प्रदेश के नर्सिंग कालेजों में चल रह फर्जीवाड़े के संबंध में दायर जनहित याचिका पर हाई कोर्ट ने सीबीआई जांच के आदेश दिए गए थे। हाई कोर्ट के आदेशानुसार प्रदेश में पंजीकृत सभी नर्सिंग कालेजों की सीबीआई जांच की गई।

308 नर्सिंग कालेजों को तीन श्रेणियों में बांटा गया

सीबीआइ जांच के आधार पर राज्य में परिचालित 308 कालेजों को तीन श्रेणियों में विभाजत किया गया। इसमें 169 कालेज ऐसे पाए गए जो कि तय मापदंडों अनुसार चलने योग्य थे, उन्हें उपयुक्त अर्थात सूटेबल की श्रेणी में रखा गया। वहीं 74 नर्सिंग काॅलेज ऐसे पाए गए, जिनमें कुछ सुधार योग्य खामियां पायी गईं, उन्हें डेफिशिएंट की श्रेणी में रखा गया। जबकि 65 नर्सिंग काॅलेज ऐसे भी पाए गये, जो अनुपयुक्त अर्थात अनसूटेबल की श्रेणी में रखे गए। हाई कोर्ट ने इन्हें चलने योग्य नहीं माना गया।

हाई कोर्ट ने सुनवाई के बाद आदेशित किया गया था कि डेफिशिएंट श्रेणी के कालेजों के अभ्यर्थियों को उपयुक्त यानि सूटेबल कालेजों में परीक्षा हेतु स्थानांतरित किया जाए। हाई कोर्ट द्वारा गठित समिति द्वारा कालेज की जांच उपरांत ही उपयुक्त पाए जाने पर उन्हें अगले वर्ष हेतु मान्यता प्रदान की जाए। इस आदेश के बाद डेफिशिएंट नर्सिंग काॅलेजों द्वारा हाई कोर्ट के समक्ष पुनः इस आशय के आवेदन पेश किया गया कि उनके कालेजों में सूक्ष्म प्रकृति की खामियों को पूरा करने का मौका देते हुए उन्हें अभ्यर्थियों की विधिवत परीक्षाएं लेने एवं सत्र जारी रखने की अनुमति प्रदान की जाए।

हाई कोर्ट ने इस मामले में राहत प्रदान करते हुए आदेशित किया था कि डेफिशिएंट काॅलेज परीक्षा लेने हेतु स्वतंत्र होंगे बशर्ते जांच समिति लगातार जांच जारी रखते हुए इस बिंदु पर जांच करेगी कि डेफिशिएंट कालेजों द्वारा खामियों को दूर किया गया है अथवा नहीं। डेफिसिएंट नर्सिंग कालेजों की ओर से अधिवक्ता निखिल भट्ट व दिव्य कृष्णा बिल्लैया ने पक्ष रखा था। इसके साथ ही हाई कोर्ट ने अनुपयुक्त पाए गए काॅलेजों के अभ्यर्थियों को भी परीक्षा में सम्मिलित होने की राहत प्रदान कर दी। इस आदेश से मध्य प्रदेश के करीब 45 हजार नर्सिंग छात्रों को लाभ होगा।

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