आध्यात्ममध्यप्रदेशसीतामऊ

अब हंसी भी नकली, पहले वास्तविक हंसी अंदर से आती थी,हम हंसना नाचना भूल गए क्योंकि हम अंदर से दुखी- डॉ कृष्णानंदजी महाराज

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ढोल ढमाके के साथ नगर में निकली भव्य कलश यात्रा, जबरेश्वर महादेव कि मंत्रोच्चार के साथ हुई प्राण प्रतिष्ठा

*संस्कार दर्शन*
सीतामऊ।जब हम मैं- मैं करते हैं तो वो हमसे दुर हो जाता है। और हम दुखी रहते हैं। जब कोई अच्छा काम हो या कही हंसना हैं तो सब दिखावे का हंसते हैं।अब हंसी भी नकली पहले वास्तविक हंसी अंदर से आती थी।हम हंसना नाचना भूल गए क्योंकि हम अंदर से दुखी हैं।उक्त ज्ञानामृत राष्ट्रीय संत डॉ कृष्णानंद जी महाराज ने छोटी काशी सीतामऊ में बस स्टैंड पर श्री जबरेश्वर महादेव प्राण प्रतिष्ठा महोत्सव के अवसर पर कहें।
गुरुदेव ने कहा कि हंसी भगवान का प्रसाद है। हंसी आनंद है भक्ति है। इसलिए खुब हंसों, आपका क्या जा रहा है। गुरुदेव ने कहा कि एक बार एक व्यक्ति कहता कि मैं रोज कमाता हूं और कुछ नहीं केवल दस रुपए ही बचते हैं कैसे व्यवस्था चलें गुरुदेव ने कहा कि भगवान चढ़ावे से नहीं भगवान मन भाव से स्वीकार करते हैं।हम दिखावे का चढ़ावा चढ़ाने से तो भाव पूर्वक अपने अपने आराध्य को चढ़ाएं। हम कंजूस नहीं बनें मन से भाव आंखों को बंद कर भाव पूर्वक चढ़ाएं। भगवान उसी को स्वीकार करते हैं।भाव पूर्वक जो चाहों वो चढ़ा सकते हैं।
गुरुदेव ने कजुस का प्रसंग सुनाते हुए कहा कि एक कंजूस के यहां मेहमान आए मेहमान को खिलाने के लिए सबसे महंगी अच्छी वाली मिठाई को बेटे को लेकर आने को कहा बेटा एक नहीं दो घंटे बाद लोटा और वह भी पानी लेकर आया। पिता के पूछने पर बेटे ने कहा पिताजी मिठाई वाले के वहां गया और अच्छी से अच्छी मिठाई कि कहा तो उसने कहा कि बहुत अच्छी मख्खन कि तरह दूंगा। मैंने सोचा कि फिर मख्खन ही ले लेता हूं। मख्खन वाले से अच्छा मख्खन देने कि कहा तो उसने कहा कि मख्खन शहद कि तरह दूंगा। उसने कहा कि फिर शहद ही लें लेता हूं।शहद वाले से कहा कि अच्छा शहद दे दो तो शहद वाले ने कहा कि शहद पानी जैसा दूंगा तो मैंने सोचा कि इससे बढीया तो अपने घर ही चलते हैं। और घर के अंदर से मेहमान के लिए अच्छा वाला पानी लेकर आया हूं। पिता ने कहा दो घंटे से घुम कर तुमने चप्पल कितनी घिसा दि बेटा बोला चप्पल मेहमान कि ही लेकर गया था। कहने का तात्पर्य है कि जीवन में इतना भी कंजूसी नहीं करना चाहिए कि हम अपनी हंसी को खो दें। गुरुदेव ने कहा कि द्वापर में भगवान श्री कृष्ण को प्रेम करने वाले ने कोई खर्च किया तो वह भाव खर्च कर भगवान से जुड़े रहे।जीवन में कंजूसी नहीं करें भगवान हो मेहमान परिवार के सदस्य सभी को भाव पूर्वक प्रेम करें भगवान को मन से अपने को चढ़ा दे। किसी से झगड़ा करने चुगली करने में अपना जीवन नहीं बिताएं। जीवन अनमोल है। अपने प्रभु भगवान श्री जबरिया हनुमान जी को समर्पित कर आनंद कि और बढ़े।
गुरुदेव ने भगवान के भाव को समझाते हुए कहा कि अवध में भगवान राम लला का भव्य दिव्य विग्रह हैं। पहले प्रतिष्ठा से पहले और प्रतिष्ठा के बाद भगवान राम मुस्कुराते हुए दिखेंगे। इसलिए हम भी मुस्कुराते रहे।हंसने से आधी बिमारी क्लेश भाग जाते हैं कितना भी कष्ट आए सबके सामने नहीं रोए क्योंकि वह खुद भी रो रहा है।रोए तो उसके सामने रोएं जो मुस्कुरा रहा है वह भगवान राम है। उसके सामने अपने आप को समर्पित कर जो मांगोगे वह जरूर देता है।
गुरुदेव ने कहा कि जब हम आए थें हमारे बचपन जब न ना नाम था ना ज्ञान था ना रिश्ता परिचय नहीं था कुछ नहीं था। नन्हे बच्चे थे। बचपन में जब बालक मंद मंद हंसता है। तो वह क्यों हंसता क्योंकि वह भगवान से जुड़ा हुआ है।उसे भगवान हंसाता है। और वह हंसता रहता है। ऐसे ही हम अपने समर्पित भाव से उसके दिव्य विग्रह हंसते हुए के दर्शन करते हैं। अपने जीवन को प्रभू के चरणों में समर्पित कर दें और मुस्कुराते रहे।

भव्य कलश यात्रा के साथ हुई जबरेश्वर महादेव कि प्राण प्रतिष्ठा –


गुरुदेव डॉ कृष्णानंद जी महाराज के आशिर्वचन से पूर्व आजाद चौक भगवान गोवर्धन नाथ मंदिर से ढोल ढमाके बैंड बाजे के साथ भव्य कलश यात्रा सदर बाजार महाराणा प्रताप चौराहा होते हुए बस स्टैंड पर पहुंची जहां पर गुरुदेव के आशिर्वचन के पश्चात गुरुदेव के सानिध्य में पंडित नंदकिशोर द्विवेदी बांके बिहारी एवं आचार्यो श्री मुख से मंत्रोच्चार के साथ विधि-विधान पूर्वक धनोतिया परिवार रणायरा वाला श्री जगदीश धनोतिया, गोपाल धनोतिया के द्वारा जबरेश्वर महादेव कि प्राण प्रतिष्ठा कि गई।

इस अवसर पर जबरिया हनुमान मंदिर समिति के श्री दिलीप पटवा, दिनेश सेठिया, राजेंद्र घाटिया एवं संपादन लक्ष्मीनारायण मांदलिया, शामगढ़ नगर परिषद अध्यक्ष श्रीमती कविता यादव नरेंद्र यादव, रामगोपाल काला, दिनेश गुप्ता सुवासरा, अनिल पांडेय, महेंद्र बाबु जैन, सुरेश गुप्ता रामेश्वर जामलिया हेमंत जैन दीपक डोसी राजेंद्र शुक्ला सहित बड़ी संख्या में भक्तों ने जबरिया हनुमान जी जबरेश्वर महादेव तथा महाराज श्री के दर्शन और आशिर्वचन का लाभ प्राप्त किया।

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