300 साल बाद महाशिवरात्रि पर बन रहा दुर्लभ संयोग, बढ़ेगी सुख-समृद्धि, होगी मनोकामना पूरी

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हिंदू धर्म में महाशिवरात्रि का विशेष महत्व है। भगवान शिव को समर्पित इस दिन व्रत रखने और विधिवत पूजा करने से व्यक्ति को हर क्षेत्र में सफलता हासिल होती है और जीवन में सुख-संपन्नता आती है। बता दें कि फाल्गुन माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को महाशिवरात्रि का व्रत रखा जाता है। इस साल महाशिवरात्रि 8 मार्च 2024, शुक्रवार को पड़ रही है। वहीं ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, इस दिन काफी दुर्लभ योग बन रहा है। माना जा रहा है कि ऐसा योग करीब 300 साल बाद बन रहा है।
इस बार महाशिवरात्रि के साथ शुक्र प्रदोष व्रत भी है. जिससे इसका महत्व कहीं अधिक बढ़ जाएगा। साथ इस दिन शिव योग और सर्वार्थ सिद्धि योग का संयोग बन रहा है. इन योगों में किए गए पूजा-पाठ और शुभ कार्य का कई गुना ज्यादा फल मिलता है।
ग्रह संयोग
इस बार महाशिवरात्रि पर शनिदेव अपनी मूल त्रिकोण राशि कुंभ में विराजमान है. साथ ही सूर्यदेव अपने पुत्र शनि की राशि कुंभ में चन्द्रमा के साथ विराजित रहेंगे. ग्रहों की ये स्थिति त्रिग्रही योग का निर्माण कर रही है, जो कि फलदायी है. इस दिन निशा काल रात्रि 9 बजकर 58 मिनट से 12 बजकर 31 मिनट तक रहेगा. इस दौरान भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा की जाएगी.
महाशिवरात्रि का शुभ मुहूर्त
पहले प्रहर का समय 8 मार्च को शाम 6 बजकर 25 मिनट से रात 9 बजकर 23 मिनट तक रहेगा
वहीं दूसरे प्रहर का समय रात 9 बजकर 28 मिनट से 12 बजकर 31 मिनट तक रहेगा
तीसरा प्रहर रात 12 बजकर 31 मिनट से 3 बजकर 34 मिनट तक रहेगा
चौथा प्रहर सुबह 3 बजकर 34 मिनट से सुबह 6 बजकर 37 मिनट तक रहेगा
300 साल बाद महाशिवरात्रि पर इस बार सर्वार्थ सिद्धि योग, शिवयोग, सिद्ध योग और श्रवण नक्षत्र का संयोग बनने जा रहा है, जो कि बहुत ही खास है. ज्योतिषियों की मानें तो महाशिवरात्रि कुछ राशियों के लिए अच्छी मानी जा रही है जिससे उन्हें धन लाभ होगा
बन रहा सर्वार्थ सिद्धि योग
इसके बाद धनिष्ठा नक्षत्र, शिवयोग, गुरु करण और मकर/कुंभ राशि में चंद्रमा रहेगा. कुंभ राशि में सूर्य, शनि और बुध की युति रहेगी. इस प्रकार का योग तीन वृषभ में एक या दो बार बनता है, जब नक्षत्र, योग और राशि की त्रिकोण स्थिति केंद्र के साथ संबंध में आती है. जन्मदिन पर सर्वार्थ सिद्धि योग बन रहा है. सर्वार्थ सिद्धि योग में शिव की पूजा करने से उनकी विशेष कृपा प्राप्त होती है. सर्वार्थ सिद्धि योग आर्थिक लाभ और कार्य सिद्धि के लिए विशेष शुभ माना जाता है. इस शुभ योग में कोई भी नया कार्य, व्यवसाय या नौकरी शुरू करना शुभ फल देने वाला माना जाता है।
महाशिवरात्रि के संयोग से राशियों पर असर –
300 साल बाद महाशिवरात्रि पर इस बार सर्वार्थ सिद्धि योग, शिवयोग, सिद्ध योग और श्रवण नक्षत्र का संयोग बनने जा रहा है, जो कि बहुत ही खास है. ज्योतिषियों की मानें तो महाशिवरात्रि कुछ राशियों के लिए अच्छी मानी जा रही है जिससे उन्हें धन लाभ होगा
मेष राशि (Mesh Zodiac)
मेष राशि के जातकों के ऊपर भोले बाबा की असीम कृपा होगी। इस राशि के जातकों को वित्तीय लाभ के साथ हर इच्छाएं पूरी हो सकती है। करियर में उन्नति, पदोन्नति मिलने के भी प्रबल योग बन रहे हैं। इसके साथ ही आय में बढ़ोतरी होगी।कड़ी मेहनत का फल अब आपको मिलेगा। इसके साथ ही आपके अंदर नेतृत्व क्षमता बढ़ने वाले हैं। करियर के क्षेत्र में चल रही सभी समस्याएं समाप्त हो सकती हैं और तरक्की के मार्ग में प्रशस्त हो सकते हैं। इसके साथ ही बिजनेस की बात करें, तो आपको कई सुनहरे अवसर मिल सकते हैं, जिससे आप खूब लाभ कमा सकते हैं। आर्थिक स्थिति की बात करें, तो आय के नए स्त्रोत खुलेंगे। इसके साथ ही भविष्य में किए गए निवेश में अब लाभ मिलने के पूरे आसार नजर आ रहे हैं। स्वास्थ्य में भी अनुकूल प्रभाव पड़ सकता है।
मिथुन राशि (Mithun Zodiac)
इस राशि के जातकों के ऊपर भी भगवान शिव की विशेष कृपा हो सकती है। पेशेवर जीवन की बात करें, तो आपको उन्नति मिलने के पूरे आसार नजर आ रहे हैं। आप अपनी पहचान बनाने में कामयाब हो सकते हैं। इसके साथ ही बिजनेस की बात करें, तो कोई नई डील साइन हो सकती है। इसमें आपको भविष्य में काफी लाभ मिलेगा। रिश्तों में भी खूब लाभ देखने को मिलेगा। भगवान शिव की कृपा से लंबे समय से रुके काम एक बार फिर से शुरू हो सकते हैं और उसमें आपको सफलता भी हासिल हो सकती है।
सिंह राशि (Leo Zodiac)
सिंह राशि के जातकों को भी काफी लाभ मिलने वाला है। इस राशि के जातकों को धन कमाने के कई अवसर मिल सकते हैं। इसके साथ ही पार्टनरशिप में किए गए बिजनेस में खूब लाभ मिलने वाला है। वित्तीय स्थिति अच्छी हो सकती है। इसके साथ ही कर्ज से छुटकारा मिलेगा और बैंक बैलेंस भी बढ़ेगा। नया वाहन, घर या संपत्ति खरीदने का सपना पूरा हो सकता है। इसके साथ ही रिश्तों क बात करें, तो आपके पक्ष में ही रहने वाला है। शिवजी और पार्वती जी की कृपा से आपके लिए एक अच्छा सा रिश्ता आ सकता हैं। लव लाइफ काफी अच्छी जाने वाली है।
महाशिवरात्रि का महत्व –
महाशिवरात्रि का आध्यात्मिक महत्व
महा अर्थार्थ ‘महान’, रात्रि अर्थार्थ ‘अज्ञान की रात’ और जयन्ती अर्थार्थ ‘जन्म दिवस’। परमपिता परमात्मा शिव तब आते हैं जब अज्ञान अंधकार की रात्रि प्रबल हो जाती है। परम-आत्मा का ही नाम है शिव, जिसका संस्कृत अर्थ है ‘सदा कल्याणकारी’, अर्थात वो जो सभी का कल्याण करता है। शिवरात्रि व शिवजयन्ती भारत में द्वापर युग से मनाई जाती है। यह दिन हम ईश्वर के इस धरा पर अवतरण के समय की याद में मनाते हैं। शिव के अलावा ओर किसी को भी हम ‘परम-आत्मा’ नहीं कहते। ब्रह्मा, विष्णु, शंकर को देवता कहते है। बाकि सभी है मनुष्य। तो हम उसी निराकार परमपिता (सभी आत्माओ के रूहानी बाप) के अवतरण का यादगार दिवस मनाते है।
महाशिवरात्रि पर पहली बार प्रकट हुए थे शिवजी
शिव पुराण की कथाओं के अनुसार, महाशिवरात्रि के दिन शिवजी पहली बार सृष्टि में प्रकट हुए थे। शिव का प्राकट्य ज्योतिर्लिंग यानी अग्नि के शिवलिंग के रूप में था। ऐसा शिवलिंग जिसका ना तो आदि था और न अंत। बताया जाता है कि शिवलिंग का पता लगाने के लिए ब्रह्माजी हंस के रूप में शिवलिंग के सबसे ऊपरी भाग को देखने की कोशिश कर रहे थे लेकिन वह सफल नहीं हो पाए। वह शिवलिंग के सबसे ऊपरी भाग तक पहुंच ही नहीं पाए। दूसरी ओर भगवान विष्णु भी वराह का रूप लेकर शिवलिंग के आधार ढूंढ रहे थे लेकिन उन्हें भी आधार नहीं मिला।
64 जगहों पर प्रकट हुए थे शिवलिंग
एक और कथा यह भी है कि महाशिवरात्रि के दिन ही शिवलिंग विभिन्न 64 जगहों पर प्रकट हुए थे। उनमें से हमें केवल 12 जगह का नाम पता है। इन्हें हम 12 ज्योतिर्लिंग के नाम से जानते हैं। महाशिवरात्रि के दिन उज्जैन के महाकालेश्वर मंदिर में लोग दीपस्तंभ लगाते हैं। दीपस्तंभ इसलिए लगाते हैं ताकि लोग शिवजी के अग्नि वाले अनंत लिंग का अनुभव कर सकें। यह जो मूर्ति है उसका नाम लिंगोभव, यानी जो लिंग से प्रकट हुए थे। ऐसा लिंग जिसकी न तो आदि था और न ही अंत।
महाशिवरात्रि पर शिव और शक्ति का मिलन
महाशिवरात्रि को पूरी रात शिवभक्त अपने आराध्य का ध्यान करते हुए जागरण करते हैं। शिवभक्त इस दिन शिवजी का विवाह उत्सव मनाते हैं। मान्यता है कि महाशिवरात्रि को शिवजी के साथ शक्ति स्वरूपा देवी पार्वती की शादी हुई थी। इसी दिन शिवजी ने वैराग्य जीवन छोड़कर गृहस्थ जीवन में प्रवेश किया था। शिव जो वैरागी थी, वह गृहस्थ बन गए। माना जाता है कि शिवरात्रि के 15 दिन पश्चात होली का त्योहार मनाने के पीछे एक कारण यह भी है।