मध्य प्रदेश में कोविड बाल योजना में शामिल बच्चों को 10 महीने से नहीं मिली किस्त

योजनाओं का लाभ लेने वाले बच्चों व केयरटेकरों को करना पड़ रहा इंतजार, प्रदेश में दस हजार से ज्यादा लाभार्थियों पर असर
भोपाल। आर्थिक तंगहाली का असर योजनाओं पर दिखने लगा है। कोविड के दौरान जिन बच्चों के मां-बाप या इनमें से कोई एक नहीं रहा, उनकी आर्थिक सहायता के लिए आरंभ की गई दो योजनाओं के सामने बजट का संकट है। हालत यह है कि किसी योजना में अप्रैल तो किसी में अक्टूबर के बाद से बच्चों को किस्त नहीं मिली है। बाल आशीर्वाद योजना में पांच हजार रुपये, मुख्यमंत्री बाल आशीर्वाद योजना में चार हजार रुपये मासिक और स्पांसरशिप में बेसहारा बच्चों को पालने के लिए चार हजार मासिक दिए जाने का प्रविधान है। इस लेटलतीफी का असर प्रदेश की इन योजनाओं का लाभ ले रहे 10 हजार से ज्यादा लाभार्थियों पर है।
बता दें कि कोरोना संक्रमण के दौरान कई लोग इसका शिकार हुए थे जिसमें कई परिवार बिखरे तो बच्चों के सिर से माता पिता का साया उठ गया। प्रदेश सरकार में तत्कालीन मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने मुख्यमंत्री बाल कोविड योजना शुरू की, जिसमें कोरोना वायरस के कारण अपने माता पिता खो चुके बच्चों को मदद दिए जाने के प्रविधान किए गए।
इस योजना में बच्चों को पांच हजार रुपये की मासिक किस्त और पढ़ाई की निशुल्क व्यवस्था के साथ निशुल्क खाद्यान्न देना भी शामिल किया गया। इस योजना में प्रदेशभर के ऐसे बच्चों को चिह्नित कर आवेदन लिए गए। इसके बाद पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की ओर से मुख्यमंत्री बाल आर्शीवाद योजना शुरू की जिसमें कोविड के अलावा भी जो विभिन्न कारणों से बच्चे बेसहारा हुए उन्हें शामिल किया गया। सीएम बाल कोविड में अप्रैल से तो बाल आर्शीवाद में अक्टूबर से किस्त देने के लिए धन नहीं है।
स्पांसरशिप योजना में केंद्र से बजट का इंतजार
केंद्र सरकार की ओर से स्पांसरशिप योजना के तहत धन दिया जाता है जिसे महिला एवं बाल विकास विभाग की ओर से चलाया जाता है। इस योजना में पहले दो हजार मासिक किस्त दी जाती थी जो अब चार हजार कर दी गई है। इसमें बेसहारा बच्चों की केयर करने वालों को यह राशि मिलती है। जन्म से 18 साल तक की उम्र के लाभार्थी को यह लाभ दिया जाता है।