मंदसौरमध्यप्रदेश

गुरु की हुई साधना शिष्यों के  जीवन में वरदान साबित होती है

मंदसौर। अपने आस-पड़ोसियों से मधुर संबंध होने चाहिए, उनकी बढ़ती हुई मंजिलें, ओर नई खरीदी कारों से हमें भी खुशी हो, क्योंकि दुःख के समय रिश्तेदार समय पर नहीं पहुंचते,ओर न ही कुछ मदद करते । पड़ोसी अपना नैतिक धर्म निभाता है, ओर दुःख की घड़ी में साथ देता है, यह उदगार भागवतभूषणाचार्य पं. श्रीकृष्ण वल्लभ शास्त्री (मालवा स्वामी) व्यक्त ने किये। संत कंवरराम कालोनी, श्री नागेश्वर मन्दिर प्रांगण, रेलवे स्टेशन,मन्दसौर (म.प्र)  अयोध्या के राममंदिर में श्रीराम लला मूर्तियो की प्रतिष्ठा शुभ मुहूर्त उपलक्ष्य में सप्तदिवसिय राममय श्रीमद्भागवत कथा सम्पन्न हुई। जहां पूरे विश्व में राम-सीताराम के अखण्ड पाठ, कीर्तन,भजन,जयकारा ,कथाएं हुई,दशपुर (मंदसौर) में भी भागवतभूषणाचार्य पं.श्रीकृष्ण वल्लभ शास्त्री (मालवा स्वामी) ने श्रीमद्भागवत ज्ञान यज्ञ किया, वंही तलाई वाले बालाजी मन्दिर, शिखर पर कलश हेतु आचार्य पं.देवेन्द्र शास्त्री ने स्वाहार यज्ञ सम्पन्न करवाया, तथा भानपुरा पीठाधीश्वर जगद्गुरु शंकराचार्य के कर कमलों से कलश की स्थापना हुई। ओर गुजरात के आचार्यों ने भी ज्ञान यज्ञ से शहर का वातावरण श्रीराम मय, श्री कृष्णमय बनाकर इतिहास बना दिया। श्री नागेश्वर ,मन्दिर प्रांगण में पं.श्री शास्त्री ने सात दिनों में अपनी अमृतवाणी में श्रीराम व श्रीकृष्ण की लीलाओं के द्वारा उपदेश देते हुए बताया कि भक्त शबरी ने जंगल में प्रभु श्रीराम के पधारने की प्रतीक्षा में  अपनी कुटिया को प्रतिदिन स्वच्छ किया,ओर प्रभु को अर्पण करने के लिए ताजा पुष्प तथा ताजा फलों को सजाकर रखा।तथा कीर्तन करते हुए वृद्ध हो गयी तब प्रभु श्रीराम और लक्ष्मण ने कुटिया में पधारकर नवधा भक्ति प्रदान की। पं. शास्त्री जी ने श्रीराम द्वारा माता सीता के त्याग प्रसंग का रो – रो कर करुणा का वातावरण बना दिया था। कथा विश्राम ,महाआरती के बाद कन्या पूजन,ओर महाप्रसादी भी हुई।

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