चहरे को नही चरित्र को चमकाने का प्रयास करे – श्रीमहामडलेश्वर श्री उत्तम स्वामीजी
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उत्तमस्वामीजी के मुखारविन्द से श्रीकृष्ण-रुकमणी विवाह का प्रसंग श्रवण कर आनंदित हुये धर्मालुपन
मंदसौर। काबरा व गर्ग (केडिया) परिवार के द्वारा दिनांक 17 से 23 दिसम्बर तक सात दिवसीय श्रीमद भागवत कथा (ज्ञान गंगा महोत्सव) का आयोजन रुद्धाक्ष माहेश्वरी धर्मशाला में किया जा रहा है। रामगोपालजी प्रहलाद महेश काबरा परिवार, सत्यनारायणली हरिश, महेश, रम्मु गर्म (केडिया) परिवार, कुन्दनमलजी, प्रहलाद बहमप्रकाश, पियुष गर्ग (केडिया) परिवार अपने पितृजनो की पूज्य स्मृति में प.पू. महर्षि महामण्डलेश्वर श्री उत्तम स्वामीजी के मुखारबिन्द्र से यह भागवत कथा का आयोजन करा रहा है। भागवत कथा के छठे दिवस शुक्रवार को श्री उत्तमस्वामीजी ने श्रीकृष्ण की बाललीलाओ के बाद की कथा श्रवण करायी। उन्होने भगवान श्री कृष्ण के द्वारा कंस का वध, और उसके बाद मथुरा मे हुए घटनाक्रमों का विस्तार से वर्णन श्रवण कराया।
श्री महामडलेश्वर श्री उत्तम स्वामी जी ने कहा कि चेहरा उम्र के साथ बदल जाता है इसलिए चहरे को नही चरित्र को चमकाने का प्रयास करें। अपना समय ब्यूटी पार्लर व सैलुन पर लगाने की बजाय उतना ही समय चरित्र के निर्माण के चिन्तन पर करे। संत श्री ने श्रीकृष्ण रूकमणी विवाह का प्रसगं श्रवण कराया। श्रीकृष्ण-रूकमणी विवाह का प्रसंग कराते हुये कहा कि विदर्भ राज्य की राजकुमारी रुकमणी श्रीकृष्ण की वीरता व प्रराक्रम के कारण मन ही मन उनसे प्रेम करने लगी थी लेकिन उसका भाई रुकमी श्रीकृष्ण के प्रति बैर भाव रखता था वह अपनी बहन रुकमणी का विवाह शिशुपाल से करना चाहता था यह बात जब रुकमणी को ज्ञात हुई तो उसने श्रीकृष्णजी को पत्र भेजा और उनसे विवाह करने की इच्छा जतायी। रुकमणी का संदेश पाकर कृष्णजी ने उनका ह्रण किया और पूरे धार्मिक रीति रिवाज से उनसे ब्याह रचाया। रूकमणी के भाई ने कृष्ण का मार्ग रोकने का प्रयास किया लेकिन वह पराजित हुआ, कृष्ण रुकमणी विवाह का प्रसंग भागवत जी का अनुठा प्रसंग है जिसमे श्रीकृष्ण ने अकेले ही विदर्भ राज्य में जाकर रूकमणी का हरण कर उनसे विवाह किया और उसके भाई रूकमी से युद्ध किया और उन्हे पराजित किया। प.पू. उत्तम स्वामीजी के मुखारविन्द से श्रीकृष्ण रूकमणी विवाह का प्रसंग सुन धर्मालुजन आनंदित हो उठे और उन्होंने कृष्ण रूकमणी के जयकारे लगाये। इस विवाह पर काबरा परिवार की बिटिया अंकिता अजमेरा व दामाद तरुण अजमेरा ने रुकमणी व कृष्ण के स्वरूप में कथा पाण्डाल में प्रवेश किया, दोनों पर पुष्प वर्ष की गयी। कृष्ण व रूकमणी बने जोडे ने एक दुसरेे को वरमाला पहनायी तो पुरा पाण्डाल कृष्णजी के जयकारो से गुज उठा।
विशिष्ठ अतिथियों ने पौथी पूजन किया – भागवत कथा के 6 ठे दिवस शुक्रवार को काबरा व गर्ग परिवार के आमंत्रण पर कथा श्रवण करने पहुंचे अति विशिष्ठ व्यक्तियों ने भागवत पौथी का पुजन किया। विधायक श्रीविपीन जैन, सेवानिवृत्त न्यायधीश श्रीगिरिराज सक्सेना, खाटृश्याम मंदिर ट्रस्ट अध्यक्ष शिवकरण प्रधान, समाजसेवी मोहन मेघनानी अन्नक्षेत्र न्यास कमेटी अध्यक्ष शान्तिलाल बड़जात्या, चिकत्सक डॉ. गोविन्द छापरवाल, डॉ अजय जैन, डॉ चेलावत समाजसेवी जगदीय रमेशचंद्र सोडानी, कांग्रेस नेता अध्यक्ष प्रकाश रातडिया, महेन्द्रसिंह गुर्जर ने भागवत पौथी का पूजन किया।
कई संस्थाओं के द्वारा संत श्री का स्वागत किया गया।
कथा शुभारंभ के पर केशव सत्सगं भवन खानपुरा ट्रस्ट, जिला स्वर्णकार समाज, कांग्रेस परिवार, गावर्धननाथ मंदिर ट्रस्ट, पारख समाज, जागंडा पोरवाल समाज व महिला मण्डल कुमावत समाज, अग्र उत्सव महिला मण्डल, सेवनस्टार ग्रुप सहित कई संस्थाओं के प्रतिनिधियों ने संत श्री का स्वागत किया। इन संस्थाओं के द्वारा काबरा व गर्ग, परिवार के सदस्यों के साथ गुरु भक्त तपन भौमिक का भी स्वागत सम्मान।
इन्होंने भी किया पौथी पूजन – भागवत क्या में प्रेम मुन्दडा अजमेर, राजेन्द्र नवाल, दिनेश अग्रवाल रतलाम, अविनास अग्रवाल मुम्बई, अशोक अग्रवाल, निखिल गुप्ता, महेन्द्र मंगल देवली, पार्षद प्रमिला संजय गोयल, दिव्या अनुप माहेश्वरी गोवर्धन कुमावत ने भी पौथी का पूजन किया। इस अवसर पर कांग्रेस नेता राघवेन्द्र सिंह तोमर, रवि रांका, कमलेश सोनी लाला, राजनारायण लाड़, मनजीतसिंह मनी, लच्छु मेघनानी, समाजसेवी जमीचंद्र सेठिया, कारूलाल सोनी, अजय सोनी, संजय वर्मा, प्रदीप सोनी, कैलाश सोनी. पूर्व जिला पचायत सदस्य अंशुल बैरागी, कुमावत समाज के राधेश्याम बरानिया, गोवर्धन कुमावत, लोकेन्द्र कुमावत, वरदीचंद छापरवार, ओम कुमावत आदि ने भी स्वागत किया। संचालन संजय लोड़ा ने किया।