
संसद की सुरक्षा में चूक पर चर्चा के लिए विपक्ष की मांग के बीच अब तक सदन से 92 सांसद निलंबित हो गए हैं।
नई दिल्ली: संसद की सुरक्षा में चूक मामले पर लोकसभा और राज्यसभा में आज भी हंगामा हुआ। सदन में हंगामा कर रहे 30 से ज्यादा विपक्षी सांसदों को और सस्पेंड कर दिया गया है। आज सुबह लोकसभा की कार्यवाही शुरू होते ही विपक्ष हंगामा करना शुरू कर दिया। इसकी वजह से सदन की कार्यवाही दोपहर 12 बजे तक स्थगित करनी पड़ी। इसके बाद राज्यसभा की कार्यवाही जैसे ही शुरू हुई विपक्ष ने फिर हंगामा करना शुरू कर दिया। इसकी वजह से राज्यसभा दोपहर दो बजे तक के लिए स्थगित कर दी गई। बता दें कि विपक्ष के हंगामे की वजह से 141 सांसदों को अब तक निलंबित किया जा चुका है।
कांग्रेस सांसद गौरव गोगोई ने कहा कि पूरा देश देख रहा है कि संसद में ‘बुलडोजर’ चलवाया जा रहा है और विपक्ष की आवाज दबाई जा रही है। शिवसेना सांसद प्रियंका चतुर्वेदी ने कहा कि सरकार जो कर रही है, वह ठीक नहीं है। उन्होंने कहा कि सरकार लोगों का मत जीतकर आई है, वह सुरक्षा के मुद्दे पर चुनाव जीती है, लेकिन आज देश के सबसे सुरक्षित भवन भी सुरक्षित नहीं है, और विपक्ष जब इस मुद्दे को उठाता है, तो आप उसे निलंबित कर देते हैं।
प.बंगाल की सीएम ममता बनर्जी ने कहा कि सरकार डर गई है और अगर इसी तरह विपक्ष के सांसद सस्पेंड होते रहे तो संसद में लोगों की आवाज उठाएगा कौन बेहतर हो वो पूरी संसद ही सस्पेंड कर दें खुलेआम लोकतंत्र का मज़ाक उड़ाया जा रहा है। ममता बनर्जी विपक्षी गठबंधन की बैठक के लिए दिल्ली में हैं और बंगाल की कुछ मांगों को लेकर प्रधानमंत्री से उनकी मुलाकात भी होनी है। नाराज ममता ने ये भी कहा कि अगर सरकार के पास संख्या बल है तो वे हमें निष्कासित क्यों कर रहे हैं। बिल तो वे पास करा ही सकते हैं, फिर इतनी बड़ी संख्या में निष्कासन क्यों किया जा रहा है। भाजपा सांसद राजेंद्र अग्रवाल ने कहा कि ये सभी सांसद जो निष्कासित किए गए हैं, वे लगातार सदन की कार्यवाही बाधित कर रहे थे।
सदन में स्पीकर द्वारा बार-बार चेतावनी दिए जाने के बावजूद कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी समेत विपक्ष के कई नेताओं ने तख्तियां लहराईं भाजपा सांसद ने कहा कि टीएमसी के कल्याण बनर्जी, सौगत राय, प्रतिमा मंडल, डीएमके सांसद टीआर बालू और ए राजा, इसी तरह से आरएसपी के एनके प्रेमचंद्रन समेत 33 सांसदों को शीतकालीन सत्र की बाकी अवधि के लिए निलंबित कर दिया गया हालांकि, इसके पहले सरकार ने दूरसंचार विधेयक 2023 को ध्वनिमत से पारित करवा लिया लोकसभा के तीन सांसद विजय वसंत, अब्दुल खालिक और के जयकुमार का मामला विशेषाधिकार समिति के पास भेज दिया जब तक इस समिति से रिपोर्ट नहीं आ जाती है, तब तक ये सांसद भी निलंबित रहेंगे।
लेकिन विपक्षी सांसदों द्वारा ‘कार्यवाही में व्यवधान’ डालने के आरोप में अब तक 92 सांसदों को संसद की शेष शीतकालीन सत्र की कार्यवाही से निलंबित कर दिया गया है। जिसके बाद से तमाम राजनीतिक दलों की प्रतिक्रियाएं सामने आई है।
संसद परिसर में गांधी प्रतिमा के सामने विपक्ष का प्रदर्शन
मौजूदा शीतकालीन सत्र के शेष समय के लिए 92 सांसदों के निलंबन के बाद एनसीपी के शरद पवार और कांग्रेस के मल्लिकार्जुन खड़गे सहित विपक्षी सांसदों ने संसद परिसर में गांधी प्रतिमा के सामने विरोध प्रदर्शन किया।
इन सांसदों किया गया सस्पेंड
लोकसभा में केंद्रीय मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने सुप्रिया सुले, मनीष तिवारी, शशि थरूर, मोहम्मद फैसल, कार्ति चिदंबरम, सुदीप बंधोपाध्याय, डिंपल यादव और दानिश अली सहित अन्य विपक्षी सांसदों को निलंबित करने का प्रस्ताव रखा।
लोकसभा में केंद्रीय मंत्री प्रह्लाद जोशी ने कहा, “सदन के अंदर तख्तियां नहीं लाने का निर्णय लिया गया। हाल के चुनाव हारने के बाद हताशा के कारण वे ऐसे कदम उठा रहे हैं। यही कारण है कि हम एक प्रस्ताव (सांसदों को निलंबित करने का) ला रहे हैं।
संसद में घटी विपक्ष की ताकत
संसद में सोमवार को कुल 78 सांसदों को अनुचित व्यवहार और पीठ के निर्देशों की अवहेलना के लिए निलंबित कर दिया गया, जिसके बाद विपक्षी गठबंधन ‘इंडिया’ राज्यसभा में अपने लगभग आधे और लोकसभा में एक तिहाई सदस्यों को खो बैठा। राज्यसभा में विपक्षी गठबंधन ‘इंडिया’ के 95 सांसद हैं जिनमें से 45 को सोमवार को निलंबित कर दिया गया। वहीं दूसरी ओर लोकसभा में विपक्षी गठबंधन के कुल 133 सांसद हैं, जिनमें से 46 यानी की लगभग एक-तिहाई निलंबित हैं। लोकसभा के कुल 46 निलंबित सांसदों में से सोमवार को 33 सांसदों को निलंबित किया गया जबकि 13 को पूर्व में निलंबित किया गया था।
निलंबित सांसदों का प्रदर्शन
निलंबित विपक्षी सांसदों ने संसद के मकर द्वार पर सरकार के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया। सांसदों ने सरकार के खिलाफ जमकर नारेबाजी की।
सरकार ने लोकतांत्रिक मानदंडों को कूड़े में फेंका- मल्लिकार्जुन
कांग्रेस के अध्यक्ष और राज्यसभा में विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खरगे ने कहा कि पहले घुसपैठियों ने लोकतंत्र के मंदिर ‘संसद’ पर हमला किया, अब मोदी सरकार सदन में इस मुद्दे पर चर्चा न करवाकर लोकतंत्र और संसद पर हमला कर रही है। मोदी सरकार ने लोकतांत्रिक मानदंडों को कूड़े में फेंक दिया, जब उन्होंने 47 सांसदों को निलंबित किया है। विपक्ष से रहित संसद के साथ मोदी सरकार अब महत्वपूर्ण लंबित कानूनों को कुचल सकती है। बिना किसी बहस के इन्हें कूचल सकती है।
अखिलेश यादव ने केंद्र पर हमला बोला
विपक्षी सांसदों के निलंबन पर समाजवादी पार्टी प्रमुख अखिलेश यादव ने कहा, “यह सरकार सही बात सुनना नहीं चाहती है। भाजपा से यह पूछना चाहिए कि वे लोकतंत्र का मंदिर बोलते हैं। हम सब अपने भाषणों में लोकतंत्र का मंदिर कहते हैं। ये किस मूंह से इसे लोकतंत्र का मंदिर कहते हैं, जब ये विपक्ष को बाहर कर रहे हैं। अगर ये दूसरी बार सरकार में आ गए तो यहां बाबासाहेब अंबेडकर का संविधान नहीं बचेगा।
वहीं शिवसेना (यूटीबी) सांसद प्रियंका चतुर्वेदी ने कहा कि सांसदों को निलंबित किया जा रहा है, ऐसी तानाशाही नहीं चलेगी। यह देश को स्वीकार्य नहीं है। जनता के विश्वास पर उन्हें भी जनादेश मिला है। जनादेश इसलिए मिला क्योंकि उन्होंने राष्ट्रीय सुरक्षा को एक महत्वपूर्ण मुद्दा माना था। आज सबसे सुरक्षित इमारत पर ही हमला हो रहा है। इस पर न तो प्रधानमंत्री बोल रहे, न ही गृह मंत्री बोल रहे। जब सांसदों ने सरकार ने मुद्द पर चर्चा करने की मांग की तो सांसदों को निलंबित कर दिया गया।