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अ.भा. साहित्य परिषद की रिमझिम काव्य गोष्ठी सम्पन्न


साहित्य की रचना दिमाग से नहीं दिल से होती है- श्री चन्द्रे
तप से तपी धरा आसमां समझ जा, बन के बूंद बूंद बदरा बरस जा

मन्दसौर। अखिल भारतीय साहित्य परिषद मंदसौर इकाई की रिमझिम काव्य गोष्ठी डॉ. निलेश नील एवं लायंस क्लब गोल्ड अध्यक्ष सीए सिद्धार्थ अग्रवाल के मुख्य आतिथ्य, वरिष्ठ पत्रकार डॉ. घनश्याम बटवाल, पं. देवेश्वर जोशी, शार्ट फिल्म निर्माता संजय भारती के विशेष आतिथ्य एवं शिक्षाविद् रमेशचन्द्र चन्द्रे की अध्यक्षता तथा महंत गोपाल बैरागी शास्त्री संगीत ज्ञाता ललित बटवाल, स्पीक मैके कोऑर्डिनेटर श्रीमती चंदा डांगी, दीपिका किशोरी गोधरा, श्री नरेन्द्र राणावत, विजय अग्निहोत्री, अनुष्का मांदलिया, राजकुमार अग्रवाल, प्रीति कुमावत, अजीजुल्लाह खान, डॉ. चंदवानी एवं चेतन व्यास के सानिध्य में सम्पन्न हुई। अतिथियों का स्वागत पुष्पमाला व श्रीफल से संस्था के पदाधिकारियों ने किया।
इस अवसर पर मुख्य अतिथि सीए सिद्धार्थ अग्रवाल ने कहा कि साहित्यकारों का साहित्य के प्रति रूझान से नगर में साहित्यिक माहौल बना है। जैसे डॉक्टर, सीए का एक दिवस मनाया जाता है वैसे एक दिन कवि दिवस के रूप में मनाना चाहिये। श्री चन्द्रे ने कहा कि दिमाग जो नकारात्मकता पैदा करता है उसी नकारात्मकता को दिल ही सकारात्मक साहित्य से सकारात्मकता की ओर ले जाता है क्योंकि साहित्य की रचना दिमाग से नहीं दिल से होती है।
इस अवसर पर डॉ. घनश्याम बटवाल के कहा कि सुर से संगीत एवं शब्दों से साहित्य का सृजन होता है। दशपुर इन दोनों विधाओं में समृद्ध होता जा रहा है। इस अवसर पर जावरा के साहित्यकार मनोहरसिंह चौहान की पुस्तक श्री बटवाल को भेंट की गई।
सरस्वती वंदना पश्चात् सभी कवियों ने रिमझिम काव्य गोष्ठी के अनुरूप कविताएं सुनाई।
देवेश्वर जोशी ने गीत ‘‘हरे कच्छ खेतों में कॉस के दुकुल, तोड़ दिये नदियों ने संयमी उसूल’’ सुनाया। नंदकिशोर राठौर ने ‘‘तप से तपी धरा, आसमां समझ जा, बन के बूंद बूंद बदरा बरस जा’’ सुनाई।  नरेन्द्र राणावत ने ‘‘घिर आये बदरा आये ना तुम’’ कविता सुनाई। विजय अग्निहोत्री ने ‘‘गीत रिमझिम रिमझिम पानी फुहार, धरती करती तेरा इंतजार’’ सुनाया। अनुष्का मांदलिया ने ‘‘झूमती हवा बादल ले आई, अठखेलियां करते घटा घिर आई’’ कविता सुनाई। चंदा डांगी ने ‘‘पोलीथीन में फूलों की माला उपयोग के बाद सड़कों पर दोनों को फेंक देने का भाव वाली कविता सुनाई। दीपिका किशोरी ने ‘‘बूंद बूंद भरा प्यार, वर्षा की पहली फूहार’’ कविता सुनाई। ललित बटवाल ने  शास्त्रीय संगीत पर आधारित वर्षा गीत ‘‘श्याम धन आये बादल’’ सुनाया। डॉ. निलेश नील ने ‘‘अयोध्या को राम ने छोड़ा, पुनः अयोध्या पाने को’’ काव्य गीत सुनाया। गोपाल बैरागी ने ‘‘शिवना करे पुकार अब तो बरसो वर्षा रानी अब खत्म हो रहा मेरा भी पानी’’ सुनाई। राजू अग्रवाल एवं चेतन व्यास ने सावन के गीत सुनाये।
इस अवसर पर नरेन्द्र भावसार ने कार्यक्रम का संचालन करते हुए कविता ‘‘कुत्तों को हड्डी आकर्षित करती’’ कविता सुनाई और कहा कि अ.भा. साहित्य परिषद मालवा प्रांत इंदौर अध्यक्ष श्री त्रिपुरारीलाल शर्मा से प्राप्त निर्देशों के अनुसार परिषद के लोक व्यापीकरण कार्यक्रम के अंतर्गत चार स्तर पर कहानी प्रतियोगिता का आयोजन 5 से 25 जुलाई तक किया जा रहा है। जिसके अनुसार कक्षा 8 से 12 के लिये 500 शब्द महाविद्यालय स्तर के लिये 1000 शब्द, गैर विद्यार्थियों के 30 वर्ष आयु तक 1200 शब्द एवं 30 से अधिक के लिये 1500 शब्दों से कहानी लेखन किया जा सकेगा। प्रत्येक स्तर पर प्रथम, द्वितीय एवं तृतीय कहानियों का चयन कर चयनितों को 28 जुलाई को साहित्य परिषद के जिला सम्मेलन में पुरस्कार प्रदान किये जायेंगे। अंत में आभार नन्दकिशोर राठौर ने माना।

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