रतलामतालराजनीति

आलोट विधानसभा भाजपा कांग्रेस सहित अन्य दलों व निर्दलीय प्रत्याशियों ने किये नामांकन दाखिल

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सूत्रों की मानें तो दोनों मुख्य दलों में गुटबाजी चरम पर, कहीं जिसका जोरा उसका मोरा वाली कहावत चरितार्थ न हो जाए

ताल – शिवशक्ति शर्मा

आलोट विधानसभा निर्वाचन को लेकर 30 अक्टूबर को मुख्य रूप से पांच प्रत्याशियों ने एसडीएम कार्यालय में अपना नामांकन पत्र भरें। प्रेमचंद गुड्डू कांग्रेस व निर्दलीय रूप में पहले से नामांकन प्रस्तुत कर चुके हैं।

भाजपा प्रत्याशी चिंतामणि मालवी अपने कार्यकर्ताओं सहित विट्ठल मंदिर से रैली निकाल कर नामांकन प्रस्तुत करने पहुंचे।इसी प्रकार कांग्रेस के प्रत्याशी मनोज चावला अपने समर्थकों के साथ बड़ोद नाके से रैली निकाल कर अपने समर्थकों के साथ नामांकन पत्र प्रस्तुत करने पहुंचे। भाजपा के बागी उम्मीदवार रमेश चंद मालवीय अपने समर्थकों के साथ अनादि कल्पेश्वर महादेव मंदिर से रैली निकालकर अपने समर्थकों के साथ नामांकन पत्र प्रस्तुत करने हेतु एसडीएम कार्यालय पहुंचें। आजाद समाजवादी पार्टी के गोवर्धन लाल परमार भी चुनाव मैदान में उतरकर अपना भाग्य आजमा रहे हैं। इसी प्रकार तीन बार कांग्रेस और निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में चुनाव लड़ चुके प्रहलाद वर्मा ने भी अपने समर्थकों के साथ नामांकन पत्र दाखिल किया।

कांग्रेस के बागी प्रेमचंद गुड्डू दो दिन पूर्व कांग्रेस एवं निर्दलीय के रूप में नामांकन भर चुके हैं। उन्हें अंतिम समय तक यह उम्मीद है कि कांग्रेस अपना इरादा बदलकर इन्हें प्रत्याशी घोषित कर देगी। प्रेमचंद गुड्डू के नामांकन प्रस्तुत करते समय उनके साथ सैकड़ो लोगों की भीड़ एकत्र थी इससे कांग्रेस को झटका लग सकता है ऐसी जन चर्चा सुनी गई है , और कहा जा रहा है कि जिसका जोरा उसका मोरा वाली कहावत चरितार्थ नहीं हो जाएं और पार्टियां देखतीं न रह जाए।आगे क्या होगा यह फार्म वापसी के पश्चात तय होगा कि कितने प्रत्याशी अधिकृत रूप से मैदान में रहते हैं। आलोट विधानसभा सीट रतलाम जिले में चर्चा का विषय बनी हुई है ।अधिकांश लोगों की नजरे यही टिकी हुई है। देखना है इस रोचक षट् कोणीय मुकाबले में इनमें से किस स्थानीय या बाहरी भाग्यशाली प्रत्याशी को मतदाता अपना आशीर्वाद देता है व रैलीयों में उमड़ा जनसैलाब मतों में परिवर्तित होता है तो कुछ बात बने।फिलहाल यह भविष्य के गर्भ में छुपा हुआ है जो 3 दिसंबर को नतीजे आने पर स्पष्ट होगा तब तक आमजन को प्रतीक्षारत रहना होगा! प्रत्याशियों के साथ भीड़ देखकर अनुमान लगाना कठिन है क्योंकि आजकल का मतदाता भी प्रत्याशियों को छकाकर चुनावी आनंद लेने के मुड में नजर आ रहा है।

विश्वसनीय सूत्रों की मानें तो ग्रामीण मतदाताओं की तो पो बारह हो रही है किंतु शहरी क्षेत्रों में ऊपरी सतह पर शांति होकर अंदर ही अंदर पक रही खिचड़ियां? यदि अपरोक्ष रूप से इसे गुटबाजी का संकेत माना जाए तो अतिशयोक्ति नहीं होगी? समाचार लिखे जाने तक नामांकन दाखिल किए जा रहे थे।

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