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मल्हारगढ़ में दोनों दल के एक एक नेता के निर्दलीय नामांकन से मुकाबला, चतुष्कोणिय होने की बजाय एक तरफा होता दिख रहा ?

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भाजपा में खिलाफत अंतिम समय में एक हो जाती।वही कांग्रेस में अंतिम समय में ओर बिगड़ जाती।

इस बार कांग्रेस प्रत्याशी से बागी श्याम लाल भारी पड़ रहे,इसी कारण इमोशनल होते हुए। फूट-फूट कर रोए कांग्रेस प्रत्याशी

कुचड़ौद। (दिनेश हाबरिया) मध्य प्रदेश में इस बार विधानसभा के चुनाव में काफी राजनीतिक उठा पटक एवं बागी होकर निर्दलीय मैदान में उतरने की ज्यादा जिद देखी जा रही। यही कारण है कि हर सीट से टिकट के दावेदार टिकट नहीं मिलने की स्थिति में, बागी होकर मैदान में उतर रहे।

मल्हारगढ़ विधानसभा में भाजपा कांग्रेस प्रत्याशियों के अलावा दोनों दल से एक-एक बागी ने नामांकन दाखिल कर ताल ठोक दी।

यहां भाजपा से जगदीश देवड़ा लगातार चौथी बार मैदान में है। वहीं कांग्रेस के प्रत्याशी परशुराम दूसरी बार मैदान में है। यहां पिछले तीन चुनाव में भाजपा 3 हजार, 6 हजार, 12 हजार, गुणित प्रक्रिया में बढ़त बनाए हुए चल रही।

यहां कांग्रेस के दोनों प्रबल दावेदार हमेशा एक दूसरे को हराने में कोई कसर नहीं छोड़ रहे। (जैसा चुनाव के बाद आरोप भी लग रहे।)

इस बार कांग्रेस से श्यामलाल टिकट के लिए प्रबल दावेदार थे। पर अंतिम समय में पिछली बार के प्रत्याशी परशुराम टिकट लाने में फिर से कामयाब हो गए। तो श्यामलाल ने बगावती तेवर दिखा दिए। और कार्यकर्ताओं के बलबूते शक्ति प्रदर्शन करते हुए नामांकन दाखिल कर दिया। श्याम लाल के नामांकन दाखिल होने के बाद इमोशनल होते हुए, कांग्रेस प्रत्याशी फूट-फूट कर रोने लगे। नामांकन दाखिल से अब तक परशुराम के चेहरे पर श्याम लाल की बगावत साफ झलक रही। इधर नामांकन दाखिल के समय मीडिया से बात करते हुए, जिला प्रभारी ने श्याम लाल को वोट देने की अपील कर दी। जो सोशल मीडिया पर तेजी से वाइरल हुई।

इधर भाजपा में भी जिला पंचायत सदस्य बसंतीलाल मालवीय जगदीश देवड़ा को बाहरी बताकर टिकट के लिए दौड़ लगा रहे थे। पर अंतिम समय में भाजपा ने प्रदेश के नंबर दो के दिग्गज नेता, वित्त मंत्री जगदीश देवड़ा को मैदान में उतारने का फैसला किया। तो बसंती लाल मालवीय ने भी बागी तेवर दिखाते हुए नामांकन दाखिल कर दिया।

मुकाबला चतुष्कोणीय होने की जगह एक तरफा होता अधिक रहा?

पहले कयास लगाए जा रहे थे, कि इस बार मल्हारगढ़ में जगदीश देवड़ा एवं श्यामलाल को टिकट मिलता है, तो मुकाबला कड़ा होगा। यह बात कहीं ना कहीं भाजपा कार्यकर्ता भी मान रहे थे। पर जैसे ही कांग्रेस पार्टी से परशुराम का टिकट पक्का हुआ। भाजपा कार्यकर्ताओं में उत्साह छा गया। वहीं कांग्रेस कार्यकर्ता भी दबी जुबान हार मान रहे। वहीं परशुराम की चिंता उस वक्त और ज्यादा बढ़ गई जब श्यामलाल ने हजारों समर्थकों के साथ नामांकन दाखिल कर दिया।

इधर भाजपा के भी बागी जिला पंचायत सदस्य बसंतीलाल मालवीय ने नामांकन दाखिल कर दिया। इन्होंने जिला पंचायत चुनाव भी बागी होकर लड़ा और जिते, तो इनका उत्साह भी सातवें आसमान पर है।यही कारण है कि विधानसभा में चतुष्कोणीय मुकाबला होता दिख रहा था। पर जैसे-जैसे समय बिता जा रहा नए-नए मतदाता के साथ अनुभवी कार्यकर्ता मतदाता भी अब गुणा भाग लगने लगे। चर्चा यह चल रही है कि कांग्रेस ने जिसे उम्मीदवार घोषित किया। उससे ज्यादा भारी तो बागी श्यामलाल पढ़ रहा। वही भाजपा के बागी बसंती लाल, देवड़ा के मुकाबले काफी कमजोर दिखाई दे रहे।इस कारण मुकाबला एक तरफा भाजपा के पक्ष में होता दिख रहा ? वही भाजपा के बागी भाजपा वोटो में कितनी सेंध लगा सकते हैं। यह केवल सुनी सुनाई और चर्चाओं का बाजार हो सकता है परन्तु यह तो आने वाली 17 नवंबर को मतदाता का क्या निर्णय होगा वक्त ही बताएगा।

भाजपा अंतिम समय में बागियों को एक कर लेती है। वहीं कांग्रेस के बागी अंतिम समय तक बागी ही रहते हैं। इसी कारण भाजपा को बढ़त मिलती रही।

भाजपा कांग्रेस में बागियों को मनाने के तरीके में भाजपा जीत रही। भाजपा के कार्यकर्ता एवं नेता कांग्रेस के मुकाबले हमेशा पार्टी के प्रति कर्तव्य निष्ठ रहते हैं। बागियों को हमेशा अंतिम समय में भाजपा अपनी तरफ कर लेती हैं। वहीं कांग्रेस अंतिम समय तक भी बागियों को अपने वश में नहीं कर पाती। बल्कि अंतिम समय में स्थिति ओर बिगड़ जाती है। नतीजा भाजपा हमेशा बढ़त बना लेती है। इसलिए इस बार भी मुकाबला चतुष्कोणिय होने की जगह बराबरी का भी नहीं दिख रहा।

हालांकि नामांकन वापस करने की तारीख तक कौन मैदान में रहता है। और कौन मैदान छोड़कर भागता है। यह वक्त ही बताएगा। हमें 17 नवंबर के मतदाता के निर्णय और 3 दिसंबर 2023 को नतीजे का इंतजार करना पड़ेगा।

विधानसभा चुनाव, प्रसंग वश समीक्षा।

पत्रकार – दिनेश हाबरिया की कलम से

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