
मंगला गौरी व्रत-
कन्याओ के सुखी वैवाहिक जीवन एवं अखंड सौभाग्य को देने वाला मंगला गौरी व्रत
धर्म शास्त्रों के अनुसार श्रावण मास में सोमवार की ही तरह मंगलवार का भी विशेष महत्व है-सावन मास में पड़ने वाले प्रत्येक मंगलवार को मंगला गौरी व्रत किया जाता है. यह व्रत पूर्ण निष्ठाभाव व विधि-विधान से करने पर कन्याओं को अखंड सौभाग्य- वैभव-सुख एवं दांपत्य जीवन में अपार प्रेम की प्राप्ति होती है। जिन कन्याओं के विवाह में देरी हो रही हो तथा जिन विवाहित स्त्रियों के वैवाहिक जीवन में कलह होता हो, दांपत्य जीवन सुखी नहीं चल रहा हो तो उन्हें यह व्रत अवश्य करना चाहिए। इस बार अंग्रेजी तारीख अनुसार वर्ष 2024 सावन मास में 23जुलाई 30 जुलाई 6अगस्त एवं 13 अगस्त को मंगला गौरी व्रत रखा जाना है- इस बार श्रवण मास के चारों मंगलवार को किए जाने वाले मंगला गौरी व्रत का प्रभाव और भी अधिक बढ़ जाता है: क्युकी इस बार श्रावण मास का हि प्रारम्भ सिद्दी योग मे हो रहा है तथा श्रावण मास मे मंगलागौरी व्रत का अंतिम दिन श्रीवत्स योग दुर्गा अष्टमी को पूर्ण होगा जो की विशेष शुभ पर्व है।अतः सभी स्त्रियों के लिए यह व्रत अखंड सौभाग्य को देने वाला विशेष शुभ हैं, जिस प्रकार पूरे श्रावण मास में विशेषत: प्रत्येक सोमवार को भगवान शिव की पूजा एवं अभिषेक करने से मनुष्य को आरोग्यता-यश-कीर्ति- वैभव एवं अपारसुख की प्राप्ति होती है उसी प्रकार श्रावण मास के प्रत्येक मंगलवार के दिन माता पार्वती (जिन्हें संपूर्ण सुमंगल की दात्री मां गौरी कहा जाता है) कि पूजा करने से स्त्रियों को अखंड सौभाग्य एवं सुखी दांपत्य जीवन का आशीर्वाद प्राप्त होता है।
मंगला गौरी व्रत विधान-
प्रात: काल स्नानादि से निवृत्त होकर अविवाहित (विवाह योग्य) कन्याये विवाह हेतु योग्य वर एवं विवाहित स्त्रिया सुखी वैवाहिक जीवन के लिए मां गौरी की पूजा का संकल्प करें लाल वस्त्र की चौकी सजा कर माता की मूर्ति या तस्वीर की स्थापना करें (मां गौरी की मूर्ति या तस्वीर ना होने पर भगवान शिव और माता पार्वती की स्थापना करें), माता के समक्ष ध्यान-प्रार्थना कर उनकी कुमकुम-गंधा-अक्षत-लालपुष्प-धुप-दीप-नैवेद्य आदि से पूजा करें, विशेषत: पूजा में सुहाग सामग्री (विशेषकर लाल चुनरी ओर सिंदूर )माता को अवश्य भेंट करें, माता के सामने बैठकर उन्हें प्रणाम करते हुए अपनी मनोकामना बोले फिर प्रेम पूर्वक आरती करें, पूरे दिन व्रत के नियमों का पालन करें (अधिक न बोलना,अधिक न खाना, शुद्ध फलाहार ग्रहण करना,चुगली न करना, असत्य न बोलना, दिन मे न सोना,काम-क्रोध-लोभ-आलस्य का त्याग )एवं संध्या के पूर्व ही व्रत खोलें. इस प्रकार पूर्ण श्रद्धा-विश्वास एवं आस्था से व्रत एवं माता की पूजा करने पर माता गौरी की कृपा से अविवाहित कन्याओं के विवाह में आ रही परेशानियां दूर होती है तथा उन्हें सुयोग्य वर की प्राप्ति होती है और विवाहित स्त्रियों को अखंड सौभाग्य, सुखी दांपत्य जीवन एवं पारिवारिक सुख की प्राप्ति होती है। विशेष-माता को भेंट की हुई सामग्री अगले दिन शुद्ध पवित्र भाव से योग्य सुहागिन स्त्री को भेंट करे एवं उनसे सुखी वैवाहिक जीवन का आशीर्वाद लेवे, प्रति मंगलवार को सुहाग सामग्री भेंट करने मे समर्थ न होने पर अंतिम मंगलवार को भेंट कर सकते है।
ज्योतिषाचार्य पं. यशवंत जोशी
जय दुर्गाज्योतिष सेवा
संस्थान एवं अनुष्ठान केंद्र मंदसौर
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