आध्यात्ममंदसौरमध्यप्रदेश
राम केवल नाम ही नहीं यह वह साधना है जिसके माध्यम से मनुष्य भवसागर से पार हो सकता है-संत श्री कृष्णानंद जी गुरुदेव

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मन्दसौर। राम को समझना बहुत मुश्किल है, वैसे राम बहुत सरल थे। लेकिन उनके जीवन दर्शन को समझ पाना व उसे अपने विचारों में लाना मुश्किल होता है। राम अच्छे पुत्र, अच्छे भाई ,अच्छे पति, अच्छे राजा, अच्छे मनुष्य और सबसे अच्छे परमात्मा भी हैं । राम केवल नाम ही नहीं यह वह साधना है जिसके माध्यम से मनुष्य भवसागर से पार हो सकता है। धन और सामर्थ्य सब होने के बावजूद भगवान श्री राम का जन्म और उनका जीवन हमें सिखाता है कि मनुष्य का जीवन किन मूल्यों पर आधारित होना चाहिए और उसे सार्थक करने के लिए कौन से कार्य मनुष्य को करना चाहिए।
उक्त विचार संत श्री कृष्णानंद जी गुरुदेव ने भागवत कथा के चतुर्थ दिवस श्री राम महिमा के अवसर पर व्यक्त किये। चतुर्थ दिन राम महिमा के साथ श्री कृष्ण जन्म उत्सव धूमधाम से मनाया गया। संत श्री ने कहा कि राम और कृष्ण दोनों ही श्री विष्णु के अवतार हैं लेकिन दोनों का जीवन मनुष्य को ये समझाता है कि मानवता के लिए किसी भी परिस्थिति में मनुष्य कार्य कर सकता है। राम ने त्याग कर व सोने की लंका को जीतने के बाद भी छोड़कर यह बताया कि जीवन में धन के बिना भी धर्म के कार्य को किया जा सकता है ।वहीं भगवान श्री कृष्ण के जीवन से यह प्रेरणा मिलती है कि मनुष्य सब कुछ पाने के बाद धर्म के लिए कार्य कर सकता है ।पंडित दशरथ भाई जी ने भी गुरुदेव का स्वागत कर आशीर्वाद लिया और आपने राम के जीवन व राम नाम की महिमा पर अपने संबोधन में कहा कि राम का नाम ही माला का जाप है मनुष्य को शांत चित से कुछ समय निकालकर राम नाम का जप करना चाहिए। उन्होंने कहा कि यदि आज का व्यक्ति केवल एक घंटा अपने मोबाइल से दूर रहे और भगवान में अपना मन लगाए तो भी वह अपना जीवन सार्थक कर सकता है। आज कृष्ण जन्मोत्सव के अवसर पर पधारे अतिथि गुमान सिंह जी,राजू भाई यादव शामगढ़,कविता यादव नगर परिषद अध्यक्ष कविता यादव ने सपरिवार गुरुदेव का स्वागत कर आशीर्वाद लिया। नगर के वरिष्ठ पत्रकार घनश्याम बटवाल, पं. अशोक त्रिपाठी,बृजेश जोशी, नेमीचंद राठौर ,प्रीति पाल सिंह राणा,सुरेश भावसार, लोकेश पालीवाल ,महावीर जैन, भारत सिंह, देवेंद्र मोर्य,दिलीप सेठिया ने भी गुरुदेव का स्वागत कर आशीर्वाद लिया।श्री गुर्जर गौड़ ब्राह्मण समाज ने भी गुरुदेव का अभिनंदन किया।
पंचम दिवस कथा में संत श्री ने कृष्ण बाल लीलाओं का वर्णन किया।संत श्री ने कहा कि परमात्मा परम पिता चाहते तो भोग विलास का जीवन जी सकते थे लेकिन बाल्यकाल से ही उन्होंने बाल लीलाओं के साथ कई राक्षसों का वध किया और धरती को पापाचार से मुक्त किया।संत श्री ने कहा कि कृष्ण को देखने मात्र से मन के विकार मिट जाते हे,मन स्थिर हो जाता है,चित निर्मल हो जाता हे।कृष्ण स्मरण से ही व्यक्ति बैकुंठ का भागी बन जाता हे।जब वो करुणा बरसाते हे तो उनके दर्शन हो जाते हे।जब तक अभिमान, लालच,मोह,क्रोध का वास होगा प्रभु के निकट जाना संभव नहीं।उन्हें आंखों में बसा कर क्रोध,मोह, लालच,अभिमान छोड़ो प्रभु की कृपा मिल जायेगी।संत श्री ने कहा कि परमात्मा परम पिता चाहते तो भोग विलास का जीवन जी सकते थे लेकिन बाली काल से ही उन्होंने बाल लीलाओं के साथ कई राक्षसों का वध किया और धरती को पापाचार से मुक्त किया।संत श्री ने कहा कि कृष्ण को देखने मात्र से मन के विकार मिट जाते हे,मन स्थिर हो जाता है,चित निर्मल हो जाता हे।कृष्ण स्मरण से ही व्यक्ति बैकुंठ का भागी बन जाता हे।जब वो करुणा बरसाते हे तो उनके दर्शन हो जाते हे।जब तक अभिमान, लालच,मोह,क्रोध का वास होगा प्रभु के निकट जाना संभव नहीं।उन्हें आंखों में बसा कर क्रोध,मोह, लालच,अभिमान छोड़ो प्रभु की कृपा मिल जायेगी। मनासा,नीमच से पधारे गुरुभक्तो ने गुरुदेव का आशीर्वाद लिया।