मंदसौरमध्यप्रदेशराजनीति

क्या कारण है.? भाजपा और कांग्रेस मालवा क्षेत्र में अपने उम्मीदवार के नाम की घोषणा नहीं कर रही

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पार्टिया करा रहीं बार बार सर्वे, प्रत्याशी चयन करना हुआ मुश्किल, आसान नहीं है जनता का मूड समझना

प्रत्याशी चयन को लेकर बडे दलों की स्थिति असमंजस वाली

साबिर पटेल

मध्य प्रदेश में प्रात्याशी चयन को लेकर एक तरफ जहां बडे दलों की स्थिति स्पष्ट नहीं हो पा रही है वही छोटे दल उनसे पहले फैसले ले रहे हैं।कांग्रेस अभी तक अपनी एक भी सूची जारी नहीं कर पाई है वही भाजपा है जो अपनी एक सूची जारी करने के बाद उसके रियेक्शन से परेशान हो रही है। कई दिनेां से यह बात सुनने को मिल रही है कि प्रत्याशी चयन की प्रक्रिया अंतिम चरण में हैं। सूचियों फाइनल होने वाली हैं किन्तु ऐसा नहीं हो पाया, वहीं एक तरह से भाजपा व कांग्रेस का प्रचार अभियान शुरू हो चुका है। प्रचार में भाजपा तो एक कदम आगे बढकर अपना अभियान शुरू कर दिया है। जनदर्शन यात्रा से ऐसा समझ में भी आ रहा है। क्योंकि जिस समय टिकिट की घोषणा होती है और किसी बडे नेता को उपेक्षित कर कमजोर को टिकिट दिया जाता है तो फिर उसका विरोध भी शुरू हो जाता है। किसी भी क्षेत्र में यदि इस तरह की स्थिति एक से अधिक सीटों पर हो गई तो विरोधी स्वर अधिक तेज हो जाते हैं। इसलिये अपनी पहली सूची जारी करने के बाद भाजपा को समझ में आ गया कि अभी सीटों की घोषणा करना ठीक नहीं है जब तक कि कांग्रेस भी अपनी सीटों को अंतिम नही कर लेती। कांग्रेस अभी हवा मे उड रही है उसका मानना है कि सत्ता की वापसी हो रही है और कनार्टक जैसी स्थिति बन रही है इसलिये वह प्रत्याशी चयन को लेकर इस बात का इंतजार कर रही है कि भाजपा की दूसरी सूची भी जारी हेा जाय इसके बाद ही वह अपनी पहली सूची जारी करेगी। किन्तु सत्य तो यह भी है कि सीटो की घोषणा के बाद हर दल में विरोध होता है और जहां तक कांग्रेस की बात है उसमें तो भितरघात की पुरानी परंपरा ही रही है। इस बार वह विरोध कितना होता है यह तो समय ही बतायेगा। इसलिये कांग्रेस को भी अति महत्वाकांक्षा नहीं पालनी चाहिये।

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