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सिद्ध शक्तियो से ज्यादा महत्व है प्रभु भक्ति का – संत श्री ज्ञानानंदजी महाराज

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केशव सत्संग भवन में चल रहे है चार्तुमासिक प्रवचन
मन्दसौर। नगर के खानपुरा स्थित श्री केशव सत्संग भवन में चातुर्मास हेतु ज्ञानानंदजी महाराज हरिद्वार विराजित है जिनके मुखारविन्द से प्रतिदिन श्रीमद भागवत कथा के एकादश स्कंद का वाचन किया जा रहा है, जिसमें प्रभु भक्ति के बारे मे विस्तार से बताया जा रहा है।
गुरूवार को धर्मसभा में संतश्री ज्ञानानंदजी महाराज ने कहा कि पहले के समय में विशेष लोगों में सिद्धीयां होती थी। हनुमान जी महाराज बचपन से ही सिद्ध शक्तियों में पारंगत थे। लेकिन आज के समय में यह दुर्लभ है। पहले सिद्ध पुरूष पानी पर चल लेते थे आकाश मे उड जाते थे। हमारे शास्त्रों में भी सिद्ध शक्तियों का उल्लेख है। शास्त्रों के अनुसार 18 प्रकार की सिद्धियां होती है जिसमें 8 प्रकार की सिद्धीयों को विशेष प्रधान माना गया है।
संतश्री ने कहा कि सिद्धीयों का प्रदर्शन नहीं होना चाहिए लेकिन आज के समय में लोग चमत्कार को ही नमस्कार कर रहे है और जो चमत्कार दिखा रहा है वह भी कोई सिद्ध नहीं होता है। आपने बताया कि प्रभु भक्ति को सभी सिद्धीयों से उपर माना गया है इसलिए हमें अपने मन को प्रभु भक्ति में लगाना चाहिए।
अहंकार नही करना चाहिए
संतश्री ने कहा कि पहले सतयुग के समय में जो भी सिद्ध पुरूष होते थे उन्हें किसी प्रकार का अहंकार नहीं होता था आज के समय में कोई व्यक्ति थोडा बहुत भी सफल हो जाता है तो अहंकारी हो जाती है जबकि ऐसा नहीं होना चाहिए हमें भगवान की उपासना बिना अहंकार किये करना चाहिए।
गुरूवार को धर्मसभा के अंत में भगवान की आरती उतारी गई जिसके पश्चात् प्रसाद का वितरण किया गया। धर्मसभा में विशेष रूप से केशव सत्संग भवन के अध्यक्ष जगदीशचंद्र सेठिया, सचिव कारूलाल सोनी, प्रहलाद काबरा, राधेश्याम गर्ग, मदनलाल गेहलोत, पं शिवशंकर शर्मा, शंकरलाल सोनी, प्रवीण देवडा, कमल देवडा, राव विजयसिंह सहित बडी संख्या में महिलाएं पुरूष उपस्थित थे।

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