मंदसौरमध्यप्रदेश

प्रलेसं का राष्ट्रीय अधिवेशन संपन्न,राष्ट्रीय कार्यकारिणी में मंदसौर को मिला प्रतिनिधित्व

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सामाजिक सौहार्द के लिए एकजुट प्रयासों का लिया संकल्प
पी लक्ष्मी नारायणा राष्ट्रीय अध्यक्ष सुखदेव सिंह सिरसा महासचिव चुने गए


मंदसौर। फ़ासीवादी, साम्प्रदायिक ताकतों के खिलाफ़ संयुक्त मोर्चा बनाने के आह्वान के साथ अखिल भारतीय प्रगतिशील लेखक संघ का 18वां राष्ट्रीय अधिवेशन सम्पन्न हुआ। हरिशंकर परसाई के शहर जबलपुर में  प्र. ले. सं का यह दूसरा राष्ट्रीय अधिवेशन था।परसाई जी की जन्मशती के साथ ही हबीब तनवीर, शैलेंद्र, गीता मुखर्जी, रांगेय राघव, म्रणालसेन , मायाराम सुरजन शताब्दी अंतर्गत देश के अनेक राज्यों से विभिन्न भाषाओं के लेखकों,  कलाकारों, प्रबुद्ध जनों ने आयोजन में शिरकत की।  तीन दिवसीय इस समागम में देश के 20 राज्यों से पांच सौ से अधिक प्रतिनिधियों ने भाग लिया।सम्मेलन में मणिपुर और नूंह की हिंसा के साथ ही विभाजनकारी सोच और साम्प्रदायिकता को लेकर गंभीर चिंतन  सामने आया। अधिवेशन के लगभग सभी  सत्रों में वक्ताओं ने लोकतंत्र अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता एवं सामाजिक सौहार्द में विश्वास रखने वाले जन संगठनों व देश भर के लेखकों कलाकारों से एकजुट होकर आम आदमी, किसान, मजदूर, महिला, अल्पसंख्यकों,दलितों,आदिवासियों के हक और अधिकारों के लिए आवाज बुलंद करने का आव्हान किया। सम्मेलन में आगामी वर्षों के लिए जबलपुर घोषणा पत्र जारी किया गया। निर्वाचन में आंध्र प्रदेश के पी लक्ष्मीनारायणा राष्ट्रीय अध्यक्ष तथा पंजाब के सुखदेव सिंह सिरसा पुनः महासचिव चुने गए। राष्ट्रीय कार्यकारिणी में मंदसौर निवासी हरनाम सिंह को लिया गया है। अधिवेशन में मंदसौर से असअद अंसारी तथा दिनेश बसेर ने शिरकत की।
देश के अलग-अलग क्षेत्र से आए  विद्वान वक्ताओं ने अनेक विषयों पर अपने विचार रखे गणतांत्रिक लोकतंत्र की रक्षा की जरूरत, अभिव्यक्ति के खतरे की चुनौतियां एवं संविधान की सुरक्षा, शोषण के विरुद्ध सांस्कृतिक प्रतिरोध, अच्छे समाज निर्माण में साहित्य की भूमिका, हमारे समय में रोशनी की उम्मीद तथा लेखकों की भूमिका।ष् विषय पर चिंतन- मनन किया गया।
इनका हुआ संबोधन
अधिवेशन में क्यूबा के राजदूत एले जान्दरो सीमाकांस, पद्मश्री सईदा हमीद, विख्यात रंगकर्मी इप्टा अध्यक्ष प्रसन्ना, महासचिव राकेश वेदा, जनवादी लेखक संघ के बालेंदु परसाई, जन संस्कृति मंच के राष्ट्रीय सचिव मनोज कुमार सिंह ,धर्मनिरपेक्षता के पैरोकार डॉ राम पुनियानी, क्षेत्रीय विधायक विनय सक्सेना, प्रख्यात आलोचक वीरेंद्र यादव, नरेश सक्सेना, विभूति नारायण राय, राजेंद्र राजन, अमिताभ चक्रवर्ती, , मणिपुर की राजकुमारी निर्मला देवी, छत्तीसगढ़ प्रलेसं के अध्यक्ष नथमल शर्मा  श्रम संगठन एटक के हरिद्वार सिंह, छत्तीसगढ़ साहित्य अकादमी के निदेशक ईश्वर सिंह दोस्त झारखंड के शेखर मलिक के अलावा पंजाब की नव शरण सिंह कौर, इप्टा  झारखंड के शैलेंद्र कुमार,  हिमांशु राय, कुन्दन सिंह परिहार, दिल्ली की अंजुमन आरा, राजस्थान के प्रेमचंद गांधी मध्य प्रदेश के राजेन्द्र शर्मा,विनीत तिवारी, तरुण गुहा नियोगी, शैलेंद्र शैली, दिनेश भट्ट, शशिभूषण, आरती, राजीव  कुमार शुक्ल, जाहिद खान, विजेन्द्र सोनी, राजेंद्र गुप्ता, हिमांशु राय,सत्यम, सारिका श्रीवास्तव आदि ने संबोधित किया।

 रंग कर्म और साहित्य
अधिवेशन के विभिन्न सत्रों में विवेचना रंगमंडल के कलाकारों ने अनेक नाट्य प्रस्तुतियां दी। अनूप पांडे के निर्देशन में परसाई जी की रचना निठल्ले की डायरी का मंचन किया गया। छत्तीसगढ़ नाचा के कलाकारों ने निसार अली के निर्देशन में परसाई जी की व्यंग्य रचना ष्टार्च बेचने वालाष् की प्रस्तुति दी। अलंकृति श्रीवास्तव  नेष् चिट्ठी जो लिखी नहीं गईष् पर एकल नाट्य  प्रस्तुति दी। न्रृत्यां जली कत्थक केन्द्र के कलाकारों ने शैली धोपे के निर्देशन में नागार्जुन एवम्  पाश की कविताओं पर नृत्य प्रस्तुत किया।जन गीतों का गायन अशोक नगर के हरिओम राजोरिया और उनके साथियों ने तथा मोनोतोषपाल ने  बंगाली में किया। आयोजन में अनेक पुस्तकों का विमोचन किया गया।परसाई जी के नाम से निर्मित सभागार में रूपांकन इंदौर के अशोक दुबे,अशोक नगर के पंकज दीक्षित बाप बालेन्दु परसाई सहित अनेक चित्रकारों के पोस्टरों की प्रदर्शनी लगाई गई। प्रकाशकों ने पुस्तकों के स्टाल लगाए।

पाकिस्तान से आया उपहार
पाकिस्तान के एक कलाकार ने अधिवेशन को परसाई जी के चित्र का पोट्रेट बनाकर भेजा। उल्लेखनीय है कि अधिवेशन में शामिल होने के लिए पाकिस्तान के 10 लेखकों को वीजा न मिलने के कारण वे आयोजन में शिरकत नहीं कर सके।

प्रस्ताव जो पारित हुए
अधिवेशन में प्रतिनिधियों द्वारा देश के समसामयिक मुद्दों पर प्रस्ताव रखे गए। अधिवेशन में ष्अकादमिक जगत और विश्वविद्यालयों की स्वायत्त बनाए रखने, साहित्य कला और संस्कृति के नाम पर अवैज्ञानिकता और पाखंड को प्रतिबंधित करने, मणिपुर और नूंह में शासन पोषित दंगों को समाप्त करने,  हिमाचल प्रदेश की आपदा को राष्ट्रीय प्राकृतिक आपदा घोषित करने, न्यूज क्लिक सहित मीडिया संस्थानों पर हमले समाप्त करने, रूस यूक्रेन के युद्ध को समाप्त कर शांति कायम करने, समाज के सभी वर्गों को निशुल्क शिक्षा देने, नर्मदा घाटी में बने बरगी बांध के विस्थापितों आदिवासियों के गांव में प्रस्तावित परमाणु बिजली घर को निरस्त करने, किसान आंदोलन की समाप्ति के लिए सरकार द्वारा किए गए वादों को पूरा करने की मांग के प्रस्ताव को सर्वानुमति से पारित किया गया

कार्यकारिणी में प्रदेश पदाधिकारी
सांगठनिक सत्र में कार्यकारिणी का गठन किया गया, जिसमें आन्ध्रप्रदेश के तेलुगु भाषा के  साहित्यकार पी लक्ष्मीनारायणा को राष्ट्रीय अध्यक्ष चुना गया। पंजाबी भाषा के साहित्यकार सुखदेव सिंह सिरसा को राष्ट्रीय महासचिव के रूप में दूसरी बार चुना गया।
राष्ट्रीय कार्यकारिणी में मध्य प्रदेश के 10 पदाधिकारी को प्रतिनिधित्व का अवसर दिया गया। अध्यक्ष मंडल में भोपाल  के राजेंद्र शर्मा सचिव मंडल में इन्दौर के विनीत तिवारी एवं कार्यकारिणी में भोपाल  के कुमार अंबुज,रीवा के सेवा राम त्रिपाठी, जबलपुर के तरुण गुहा नियोगी, इन्दौर की सारिका श्रीवास्तव, भोपाल  के शैलेंद्र शैली, अनूपपुर के विजेंद्र सोनी, इन्दौर के मंदसौर निवासी हरनाम सिंह व भोपाल  की आरती को लिया गया।

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