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बारिश की लम्बी खेच से किसानों की चिंता बढ़ी तो वहीं ख़डी फसलों मे होने लगा नुकसान

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बारिश की कमी से ख़राब फसलों का नहीं हुआ अभी तक सर्वे के आदेश

बंशीदास बैरागी

मल्हारगढ़ -तहसील के अंतर्गत बारिश की लबी खेंच से किसान हुए चिंतित, अंतिम समय मे बारिश की लम्बी खेंच से किसानो के मुँह का निवाला छिना जा रहा है देखा जाये तो मल्हारगढ़ क्षेत्र मे जहाँ जहाँ ऊंचे निचे ढूंगरीव ढलान वाले खेत है वहाँ पर पूरी तरह से सोयाबीन की फसल नष्ट हों चुकी है जानकारी अनुसार शासन प्रशासन का अभी तक कोई जनप्रतिनिधि, आला अधिकारी मोके पर सोयाबीन की फसल गिरदावरी करने नहीं आया है जिससे किसानो मे आक्रोश देखने को मिल रहा है व बारिश की लम्बी खेंच से किसान काफ़ी परेशान हों रहे है तो वही वो भी फसल पूरी तरह से नष्ट हों चुकी है इसी तरह मल्हारगढ़ तहसील के अंतर्गत ग्रामीणों द्वारा बताया कि कई गाँव में किसानों की सोयाबीन फसल को बारिश की कमी से नुकसान हुआ है पर अबतक शासन प्रशासन कि तरफ से कोई फसल नुकसानी का आकलन नहीं कराया गया है प्रशासन ने अबतक कोई सर्वे नहीं कराया है इसी तरह मल्हारगढ़ तहसील अंतर्गत कई गाँवो मे बारिश की लम्बी खेंच से सोयाबीन की ख़राब फसलों का अवलोकन के लिए मन्दसौर कलेक्टर व आला अधिकारी को निर्देशित नहीं दिया है ओर ना ही मंदसौर कलेक्टर द्वारा भी अभी तक कोई आदेश जारी नहीं किया है जिससे ग्रामीण क्षेत्रो मे ख़राब फसलों से किसान काफ़ी चिंतित हों रहे है मल्हारगढ़ तहसील के रतन पिपलिया, पिपल्या जौधा, नापाखेड़ा, राणायरा, लिम्बावास, मगराना, बांसखेड़ी, गरनाई, बिल्लोद, टकरावद, खड़पाल्या, गायरिखेड़ा, हिंगोरिया छोटा व आसपास के गाँवो मे बारिश की लम्बी खेंच से सोयाबीन फसल ख़राब हुईं है मगर अभी तक किसी जनप्रतिनिधि ने ईसकी सुध नहीं ली है सोयाबीन की फसले बारिश की लम्बी खेंच के चलते ख़राब हों चुकी है जिसको लेकर किसानो ने मन्दसौर कलेक्टर महोदय से माँग है की है कि जल्द से जल्द सोयाबीन की फसलों मे हुए नुकसान का सर्वे कराये ओर हल्का पटवारीयों को निर्देशित कर किसानों को हुई क्षति का आकलन कर उचित मुआवजा दिलाये जाये।

सोयाबीन में फुल और फली आने का समय था उस समय बदलो में अपना मुंह फेर लिया

मंदसौर जिले के किसान हुए परेशान सुखा पड़ने की चिंता सताने लगी शुरुवात में तो बादल अच्छे बरसे और करीब 15 से 20 दिन हो गए पानी की एक बूंद तक नही गिरी , सोयाबीन की फसल जो लहलहारही थी उसके हरे पत्ते सुख कर खेत में गिरने लगे और क्योंकि सोयाबीन में फुल और फली आने का समय था उस समय बदलो में अपना मुंह फेर लिया जिससे लगभग 50 प्रतिशत नुकसान हो चुका है और थोड़े दिन बरसात नही हुई तो सोयाबीन की फसल सूखने की कगार पर है। दूसरी तरफ अगर सरकार की बात करे तो महामहिम मुख्यमंत्री जी सरकारी कर्मचारियों को साधने में लगे हैं छोटी से छोटी समस्या हल करने का बीड़ा उठाया है भलेही अन्नदाता आत्महत्या करे या भूखा सोए बीमे की प्रीमियम तो काट ली जाती है पर अन्नदाता को बीमा और मुवावजा भी इतना ही दिया जाता जितनी राशि का बीमा हुवा था सीधे शब्दों में कहा जाए तो ऊंट के मुंह में जीरा कहावत चरितार्थ होती हैं कितने दिन हो गए बादल नही बरसे पर मंदसौर जिले में दो दो मंत्री हे और विधायक है किसी ने भी किसानों के सांत्वना के लिए दो शब्द नही कहे क्योंकि अन्नदाता मरे या जिए हम तो नेताजी है हमको क्या फर्क पड़ता है । ,अपना काम बनता तो भाड़ में जाए जनता ,आगे विधानसभा चुनाव है जो जितना है और फिर मंत्री बनना हैं अपना पेट बड़ा हो गया है मंत्री बनने पर ही भरेगा अन्नदाता का पेट भरने से कोई अपना फायदा नहीं है उनको तो सिंचाई योजना नहर या अन्य घोषणा करके बेवकूफ बना देंगे पहले चुनाव भी नहर लायेंगे कहकर जीत लिया और ये भी यही कहकर जीत जायेंगे की नहर आपके खेत से थोड़ी दूर हे इस बार और आप हमे वोट दो ये हमारा वादा है चुनाव के बाद आपका खेत नहर के पानी से पिलाना और किसानों को सर्वे कराएंगे और आपको मुववजा देंगे कहकर बेवकूफ बना देंगे , आज किसानों को पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ जी की याद आ रही है जिन्होंने किसानों के दर्द को समझा था उनके पंद्रह महीने की सरकार ने बीमे और मुवावजा से ही किसानों की मोज करदी थी , कर्ज माफी जिनके पंद्रह महीने में हो गई उनकी तो सरकार ही बन गई , और हमारा मामा सस्ती बहने बना कर स्थाई कर्मचारियों की मोज कर दी और अतिथि शिक्षक , सहकारी सोसायटियों के कर्मचारी बेरोजगार युवा आज भी मुंह तांक रहे । व्यापम घोटाले से लेकर पटवारी परीक्षा परिणाम तक घोटाले सामने है जो सरकार का मुंह चिढ़ा रहे है। इस बार अन्नदाता चुप बैठा है ऐसा ना हो किसान अपना रंग दिखा दे

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