आलेख/ विचारमंदसौरमंदसौर जिला
स्व. श्यामसुंदर पाटीदार का पुण्य स्मरण-

लोकसभा चुनाव छठी बार कांग्रेस परचम लहराएगी ?
(विक्रम विद्यार्थी)
मन्दसौर। इक्कतीस मार्च गांधीवादी नेता एवं पूर्व श्रममंत्री श्री श्यामसुंदर पाटीदार की पुण्यतिथि है, वे छः बार कांग्रेस से विधानसभा चुनाव जीते और दो बार मंत्री पद पर रहे। गरीबों, किसानों, श्रमिकों के हित में कई कार्य किए मंदसौर को विकास के मार्ग पर ले जाने की नींव रखी। लोकसभा चुनाव की घोषणा हो चुकी है। कांग्रेस कार्यकर्ता एवं आम नागरिक चर्चारत हैं कि छठी बार कांग्रेस लोकसभा चुनाव मंे परचम लहराएगी ? 17 में 5 चुनाव कांग्रेस जीत पाई।
भाजपा के बाद कांग्रेस ने भी अपना उम्मीदवार घोषित कर दिया है। दो बार के भाजपा के सांसद सुधीर गुप्ता के सामने कांग्रेस ने चार बार के विधायक रहे दिलीपसिंह गुर्जर को अपना उम्मीदवार घोषित किया है। इस चुनाव में गुप्ता एवं गुर्जर के बीच सीधा मुकाबला है। गत वर्ष दिसम्बर में हुए विधानसभा चुनाव में मंदसौर संसदीय क्षेत्र की सात सीटों पर भाजपा जीती थी इनके उम्मीदवारों को लगभग पौने दो लाख मतों की बढ़त मिली थी। मल्हारगढ़ के कांग्रेस के बागी निर्दलीय उम्मीदवार श्यामलाल जोकचंद को 50 हजार से अधिक वोट मिले थे। राजनीतिक विश्लेषक मानते हैं कि भाजपा और कांग्रेस के बीच सवा लाख मतों का मुकाबला है।
चुनावी मैदान में भाजपा के पक्ष में उपमुख्यमंत्री जगदीश देवड़ा, राज्यसभा संसद बंशीलाल गुर्जर का दरोमदार रहेगा तो कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष जीतू पटवारी, संसदीय क्षेत्र के पूर्व मंत्रियों, पूर्व विधायकों के भरोसे रहेगी।
देश में चल रहा दलबदल का खेल मंदसौर लोकसभा सीट तक पहुंच गया। चार बार के विधानसभा के कांग्रेस के पराजित उम्मीदवार उमरावसिंह गुर्जर ने भाजपा की सदस्यता ले ली तो नीमच जिला कांग्रेस में कार्यकर्ताओं ने मिठाई बांटकर पटाखे छोड़ गुर्जर की कांग्रेस से विदाई की खुशी मना ली।
इस अंचल में कांग्रेस कमजोर होती गई इसकी चिंता, समीक्षा नहीं हो सकी। तिकड़म, जुगाडू उम्मीदवारों को जनता ने हरा दिया। जिताऊ उम्मीदवार तलाशने की कोशिश नहीं होने के दुष्परिणाम सामने हैं। कोई सबक सीखने के लिये दिल्ली, भोपाली नेता तैयार नहीं हैं।
गांधीवादी नेता श्री श्यामसुंदर पाटीदार के साथी प्रखर समाजसेवी एस.एन. सुब्बारावजी, व्यंकटेश, विष्णु द्रविड़, तत्कालीन मुख्यमंत्री श्री द्वारकाप्रसाद मिश्रा, अर्जुनसिंह, दिग्विजयसिंह रहे। श्री पाटीदार जी की टीम में भी 200 से अधिक विश्वसनीय, प्रामाणिक व्यक्ति सम्मिलित रहे। इस कारण से छः बार विधानसभा चुनाव जीत पाए।
आज जब नेताओं की विश्वसनीयता में गिरावट आ रही है। ऐसे माहौल में श्री पाटीदारजी का स्मरण सुकून देता है उनके मन हमेशा दूसरों की भलाई की बात रहती थी। उनके दरवाजेे सदैव शोषित पीड़ितों की भलाई के लिये खुल रहते थे। सत्ता के आडम्बर से वे सदैव दूर रहे। आज की राजनीति में उन जैसा व्यक्ति आसानी से नहीं मिलता। वैष्णव जन तो तेने कहिए जो पीर पराई जाने रे। क्या आज के नेता इन शब्दों से सबक लेंगे या धन की जुगत में ही चलते रहेंगे ? एक-एक बार लोकसभा या विधानसभा चुनाव जीतना कोई बड़े नेता बनने की निशानी नहीं होती। बड़े नेता 12-12 चुनाव जीते हैं। बिना जीते कौन नेता मानेगा ? जुगाड़ कर टिकट लाना नेता बनने की निशानी नहीं है।
भाजपा के बाद कांग्रेस ने भी अपना उम्मीदवार घोषित कर दिया है। दो बार के भाजपा के सांसद सुधीर गुप्ता के सामने कांग्रेस ने चार बार के विधायक रहे दिलीपसिंह गुर्जर को अपना उम्मीदवार घोषित किया है। इस चुनाव में गुप्ता एवं गुर्जर के बीच सीधा मुकाबला है। गत वर्ष दिसम्बर में हुए विधानसभा चुनाव में मंदसौर संसदीय क्षेत्र की सात सीटों पर भाजपा जीती थी इनके उम्मीदवारों को लगभग पौने दो लाख मतों की बढ़त मिली थी। मल्हारगढ़ के कांग्रेस के बागी निर्दलीय उम्मीदवार श्यामलाल जोकचंद को 50 हजार से अधिक वोट मिले थे। राजनीतिक विश्लेषक मानते हैं कि भाजपा और कांग्रेस के बीच सवा लाख मतों का मुकाबला है।
चुनावी मैदान में भाजपा के पक्ष में उपमुख्यमंत्री जगदीश देवड़ा, राज्यसभा संसद बंशीलाल गुर्जर का दरोमदार रहेगा तो कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष जीतू पटवारी, संसदीय क्षेत्र के पूर्व मंत्रियों, पूर्व विधायकों के भरोसे रहेगी।
देश में चल रहा दलबदल का खेल मंदसौर लोकसभा सीट तक पहुंच गया। चार बार के विधानसभा के कांग्रेस के पराजित उम्मीदवार उमरावसिंह गुर्जर ने भाजपा की सदस्यता ले ली तो नीमच जिला कांग्रेस में कार्यकर्ताओं ने मिठाई बांटकर पटाखे छोड़ गुर्जर की कांग्रेस से विदाई की खुशी मना ली।
इस अंचल में कांग्रेस कमजोर होती गई इसकी चिंता, समीक्षा नहीं हो सकी। तिकड़म, जुगाडू उम्मीदवारों को जनता ने हरा दिया। जिताऊ उम्मीदवार तलाशने की कोशिश नहीं होने के दुष्परिणाम सामने हैं। कोई सबक सीखने के लिये दिल्ली, भोपाली नेता तैयार नहीं हैं।
गांधीवादी नेता श्री श्यामसुंदर पाटीदार के साथी प्रखर समाजसेवी एस.एन. सुब्बारावजी, व्यंकटेश, विष्णु द्रविड़, तत्कालीन मुख्यमंत्री श्री द्वारकाप्रसाद मिश्रा, अर्जुनसिंह, दिग्विजयसिंह रहे। श्री पाटीदार जी की टीम में भी 200 से अधिक विश्वसनीय, प्रामाणिक व्यक्ति सम्मिलित रहे। इस कारण से छः बार विधानसभा चुनाव जीत पाए।
आज जब नेताओं की विश्वसनीयता में गिरावट आ रही है। ऐसे माहौल में श्री पाटीदारजी का स्मरण सुकून देता है उनके मन हमेशा दूसरों की भलाई की बात रहती थी। उनके दरवाजेे सदैव शोषित पीड़ितों की भलाई के लिये खुल रहते थे। सत्ता के आडम्बर से वे सदैव दूर रहे। आज की राजनीति में उन जैसा व्यक्ति आसानी से नहीं मिलता। वैष्णव जन तो तेने कहिए जो पीर पराई जाने रे। क्या आज के नेता इन शब्दों से सबक लेंगे या धन की जुगत में ही चलते रहेंगे ? एक-एक बार लोकसभा या विधानसभा चुनाव जीतना कोई बड़े नेता बनने की निशानी नहीं होती। बड़े नेता 12-12 चुनाव जीते हैं। बिना जीते कौन नेता मानेगा ? जुगाड़ कर टिकट लाना नेता बनने की निशानी नहीं है।