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दुनिया के लिए 21वीं सदी भारत……………
देश आजादी के 75 वर्ष मना रहा है, लेकिन इस तरह के योग केवल संयोग नहीं होते। 1947 के पहले
भारत ने निरंतर अपने पुनर्जागरण के लिए अलग-अलग क्षेत्रों में प्रयास किए।
अलग-अलग संस्थाओं ने भारत की आत्मा को जगाने के लिए आकार लिया। इसी का परिणाम था
कि 1947 आते-आते भारत मन और मानस से गुलामी की बेड़ियों को तोड़ने के लिए पूरी तरह से
तैयार हो गया। उसी तरह अमृत महोत्सव के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आह्वान किया कि
आजादी के 75 वर्ष के अवसर पर हर जिले में 75 अमृत सरोवर बनाएं। परिणाम हुआ कि एक वर्ष से
कम समय में निर्धारित लक्ष्य से अधिक 60 हजार से अधिक अमृत सरोवर देश भर में बनाए जा
चुके हैं। बीते 9 वर्षों में केंद्र सरकार ने जिस तरह से सिंचाई, पीने के पानी के लिए जो काम किए हैं,
उसमें अमृत सरोवर पानी के स्रोत बढ़ाने का एक नया मार्ग अमृत महोत्सव में बना है। अमृत काल
में आदिवासी इलाकों को स्वस्थ वातावरण देने के उद्देश्य से सिकल सेल एनीमिया से मुक्ति का
अभियान एक मिशन बनेगा, ताकि जब भारत अपनी आजादी का शताब्दी वर्ष मनाए तब इस रोग से
जनजातीय परिवारों और राष्ट्र को मुक्ति मिले। आजादी के 100 वर्ष के लक्ष्य की ओर आगे बढ़ते
हुए, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अब अमृतकाल को कर्तव्यकाल का नाम दिया है। इन कर्तव्यों में
आध्यात्मिक मूल्यों का मार्गदर्शन भी है, और भविष्य के संकल्प भी हैं। इसमें विकास भी है, और
विरासत भी है। आज एक ओर देश में आध्यात्मिक केंद्रों का पुनरुद्धार हो रहा है तो साथ ही भारत
अर्थव्यवस्था और तकनीक के क्षेत्र में दुनिया का नेतृत्व करने की ओर अग्रसर है। आज भारत दुनिया
की शीर्ष-5 अर्थव्यवस्था में शामिल हो चुका है। आज भारत में दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा स्टार्टअप
ईको-सिस्टम है। डिजिटल टेक्नोलॉजी और 5जी जैसे क्षेत्रों में बड़े-बड़े देशों का मुकाबला कर रहा है।
दुनिया में आज जितने भी रीयल टाइम ऑनलाइन लेनदेन हो रहे हैं, उसका 46 प्रतिशत अकेले भारत
में हो रहा है।
अब नया भारत किसी विशेष के तुष्टिकरण की बात नहीं करता, उसने एक सही रास्ता अपनाया है
और वह है- विकास के मार्ग पर सबका संतुष्टिकरण। देश के हर नागरिक के लिए ‘सबका साथ,
सबका विकास’ की भावना से काम हो रहा है। यानी स्वर्णिम वर्ष के लिए नए भारत का संकल्प है-
100 प्रतिशत सैचुरेशन। जैसे-जैसे राजस्व बढ़ेगा, मदद पहुंचती जाएगी। आज देश के हर नागरिक के
लिए समान भाव से काम हो रहा है। बीते 9 वर्षों में देश में लाभार्थियों का एक बड़ा वर्ग तैयार हुआ
है। जो पहले वंचित था, उसे अब वरीयता मिल रही है। यह ऐसा सच्चा सामाजिक न्याय है जिसकी
कामना पूज्य बापू से लेकर डॉ अंबेडकर और राम मनोहर लोहिया तक, हर महापुरुष ने की थी। नया
भारत इसी रास्ते पर आगे बढ़ रहा है। आने वाले कालखंड के लिए सबको ध्यान रखना चाहिए कि
देश के गरीब को परेशानियों से मुक्त करना है। इसके लिए हर व्यक्ति तक पहुंचने के लक्ष्य के साथ
उसे किसी एक योजना का लाभ देना नहीं, बल्कि सभी योजनाओं से जोड़ना है, जिसके वे पात्र हैं।
आज की विकास यात्रा, कल की विरासत
भारत देश का इतिहास प्राचीन और सूर्य जितना ही तेजस्वी है तो आकाशा जितना ही विशाल भी है।
ज्ञान-विज्ञान और समृद्धि से सजा, शौर्य-आध्यात्म और कलाकारी से छलकते गौरवशाली भारत को
जब अंग्रेजी हुकूमत ने गुलामी की बेड़ियों में जकड़ा तब आजादी के दीवानों ने अलख जगाई।
अनगिनत बलिदान के बाद अंग्रेजों की गुलामी से भारत आजाद हुआ। लेकिन जिस देश को कभी
सपेरों का देश कहा जाता था, वही देश अपने पहले प्रयास में मंगल तक पहुंचा। मेक इन इंडिया, इन
तीन शब्दों ने दुनिया में देश का नाम ऊंचा कर दिया। आज हर घर में बिजली है, हर हाथ में
मोबाइल फोन है, हर जेब में डिजिटल पहचान, हर खाते में डायरेक्ट बेनिफिट, हर रसोई में स्वच्छ
ईंधन और हर आवास में शौचालय की सुविधा सम्मान का जीवन दे रही है। स्वच्छता और योग नए
भारत के संस्कार बन चुके हैं। वसुधैव कुटुंबकम् की भावना से पूरा विश्व हमारा परिवार एक सोच बन
चुकी है। जिस भारत के बिखरने की भविष्यवाणी अंग्रेजों ने की थी, वह आज 140 करोड़ की आबादी
के साथ विशाल लोकतंत्र के रूप में निखर चुका है।
अगर भारत के विकास की ताजा गति को देखें तो केवल 8-10 साल पहले ही देश में जन्म प्रमाण
पत्र लेने से लेकर बिल जमा करने, राशन लेने, नामांकन कराने, परिणाम और प्रमाण पत्र लेने और बैंकों
में लाइन जैसी स्थिति लोगों को घंटों परेशान करती थी, लेकिन आज सबका समाधान हो चुका है।
तकनीक के जरिए सुगमता लाकर सुविधाओं के लिए ऑनलाइन व्यवस्था हो चुकी है। आज जन्म
प्रमाण पत्र से लेकर वरिष्ठ नागरिक की पहचान देने वाले जीवन प्रमाण पत्र तक, सरकार की
अधिकतर सेवाएं डिजिटल हैं। आज डिजिटल गवर्नेंस का एक बेहतरीन इंफ्रास्ट्रक्चर भारत में है।
जनधन-मोबाइल और आधार (जैम ट्रिनिटी) की त्रिशक्ति का देश के गरीब और मध्यम वर्ग को सबसे
अधिक लाभ हुआ है। इंडस्ट्री 4.0 के लिए जरूरी कौशल तैयार करने के लिए आज स्कूल के स्तर पर
भी फोकस है। करीब 10 हजार अटल टिंकरिंग लैब में आज 75 लाख से अधिक
छात्र-छात्राएं इनोवेशन पर काम कर रहे हैं। नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति में भी टेक्नॉलॉजी को महत्ता दी
गई है। अटल इन्क्यूबेशन सेंटर का एक बहुत बड़ा नेटवर्क देश में तैयार किया जा रहा है। इसी
प्रकार, पीएम ग्रामीण डिजिटल साक्षरता अभियान यानी पीएम-दिशा देश में डिजिटल सशक्तीकरण को
प्रोत्साहित करने का एक अभियान चला रहा है।
अब अमृत काल में नए भारत का लक्ष्य अपने स्वाधीनता सेनानियों के सपनों को पूरा करना है। नए
भारत को उनके सपनों का भारत बनाना है। एक ऐसा भारत- जिसमें गरीब, किसान, मजदूर, पिछड़ा,
आदिवासी सबके लिए समान अवसर हों। पिछले नौ वर्षों से देश ने इसी संकल्प को पूरा करने के
लिए नीतियां भी बनाईं और पूरी निष्ठा से काम भी किया है। अमृत काल में भारत की सोच
समावेशी है और करोड़ों लोगों की आकांक्षाओं को पूरा करने में जुटा है।
अमृत काल के लिए विराट संकल्प के साथ भारत अग्रसर है। आर्थिक हो या सामाजिक, देश आज
निर्णायक फैसला इसलिए ले पा रहा है क्योंकि दशकों बाद देश ने एक मजबूत और स्थिर सरकार
चुनी है। आज पूरी दुनिया में भारत को लेकर सोच में इतनी सकारात्मकता इसलिए है, क्योंकि यहां
एक मजबूत सरकार है। आने वाले 25 साल यानी आजादी के अमृत काल में विकसित भारत के
निर्माण के लिए यही स्थिरता, यही मजबूती आवश्यक है, जिसे देश के जन-जन को आगे बढ़ाना है।
बीते दशकों में देश के जन-जन ने अपने काम से भारत की सशक्त छवि बनाई है तो अमृत महोत्सव
ने 9 वर्षों की यात्रा से अमृत काल को एक आधार प्रदान किया है। इस कारण आजादी के अमृत काल
में यानी आने वाले 25 साल में अपेक्षाएं और बढ़ गई हैं क्योंकि आज भारत का हर नागरिक स्वयं में
सफलता की कहानी भी है और उसका वाहक भी। n
उत्तर प्रदेश के झांसी में रहने वाले इंटर पास गुलाब सिंह रायकवार के घर में पत्नी, दो बेटे और एक
बेटी है। इनके सभी बच्चे पढ़ाई कर रहे हैं। इसके अलावा बेटे काम में भी हाथ बटाते हैं। गुलाब सिंह
रायकवार मछली पालन का कार्य 10-15 वर्षों से कर रहे हैं लेकिन उनकी जिंदगी का टर्निंग प्वाइंट
वर्ष 2018-19 में तब आया जब प्रधानमंत्री मोदी के मत्स्य संपदा योजना के तहत उन्हें 10 लाख
रुपये का अनुदान मिला। इस योजना की मदद से उनके मत्स्य पालन के काम में 100 फीसदी
फायदा हुआ। अब वह मछली का बीज भी तैयार करने लगे हैं। देसी प्रजाति में कतला, रोहू, नैनी और
चीनी प्रजाति में सिल्वर कॉर्प, ग्रास कॉर्प और वियतनामी प्रजाति में पंगास का भी पालन करते हैं।
यूपी, मध्यप्रदेश और राजस्थान में सप्लाई करते हैं। इसके साथ ही इन्होंने 1500 किसानों को मछली
पालन करने का नि:शुल्क प्रशिक्षण भी दिया है।
आज 21वीं सदी में दुनिया तेजी से बदल रही है। नई जरूरतों के हिसाब से भारत के लोगों की
आशाएं-अपेक्षाएं भी बढ़ रही हैं। जब हम आजादी के 75वें साल में एक नए भारत के संकल्प के साथ
आगे बढ़ रहे हैं, तो इन संकल्पों को आगे बढ़ाने की जिम्मेदारी हमारी संसद और विधानसभाओं पर
भी है। इसके लिए हमें ईमानदारी और निष्ठा से दिन रात मेहनत करने की जरूरत है।
– नरेंद्र मोदी, प्रधानमंत्री
अगर हमें आजादी के 100 वर्ष पर, भारत को नई ऊंचाई पर ले जाना है, तो उसके लिए परिश्रम की
पराकाष्ठा करनी होगी। और परिश्रम का कोई शॉर्ट-कट नहीं होता। आजादी के बाद, देश में जो
राजनीतिक दल हावी रहे, उन्होंने बहुत से शॉर्ट-कट अपनाए थे।
– नरेंद्र मोदी, प्रधानमंत्री
दुनिया के लिए 21वीं सदी भारत की सदी है। हम लगातार ये सुनते आए हैं लेकिन मैं ये कहूंगा कि
भारत के लिए ये सदी कर्तव्यों की सदी है। हमें इसी सदी में, अगले 25 सालों में नए भारत के
स्वर्णिम लक्ष्य तक पहुंचना है। इन लक्ष्यों तक हमें हमारे कर्तव्य ही लेकर जाएंगे। इसलिए, ये 25
साल देश के लिए कर्तव्य पथ पर चलने के साल हैं। ये कर्तव्य भावना से स्वयं को समर्पित करने का
कालखंड है।
– नरेंद्र मोदी, प्रधानमंत्री