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ताल — शिवशक्ति शर्मा
ताल तहसील को रतलाम जिले में यथावत रखने के समर्थन में चल रहे धरना प्रदर्शन का आज पांचवा दिन है लेकिन सरकार के कानों जूं तक नहीं रेंगी है?
धरना प्रदर्शन मंच पर पूर्व पार्षद व पूर्व सांसद प्रतिनिधि अरुण सकलेचा ने जानकारी दी व पत्र की प्रति प्रेषित कर बताया कि मुख्यमंत्री को इस संबंध में पत्र लिखा है और प्रति भी उपलब्ध कराई।आपने लिखा कि जब आप ने पिछले दिनों नागदा प्रवास के दौरान नागदा को जिला बनाने की घोषणा कर कहा कि जो तहसील नागदा में सम्मिलित होना चाहे वही होगी जो नहीं होना चाहे नहीं होगी बावजूद इसके जारी नोटिफिकेशन में ताल और आलोट को शामिल कर दिया गया जो ताल आलोट के समूचे क्षेत्र की जन भावना के विपरीत है। इस विषय में खास बात यह है कि ताल क्षेत्र का लगाव प्रारंभ से ही रतलाम में रहा है। व्यापारिक, शैक्षणिक, राजनीतिक, सामाजिक एवं रोजगार के सभी मामले ताल से रतलाम तक जुड़े हुए हैं। ताल क्षेत्र के लिए रतलाम जावरा सदैव हितकारी रहे हैं। अतः ताल तहसील को रतलाम जिले में ही रखा जाए अन्यथा आंदोलन उग्र रूप धारण करेगा जिसकी समस्त जवाबदारी सरकार की होगी।इसे देखते हुए आंदोलन के उग्र रूप लेने की संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता है।
आज धरने में प्रमुख रूप से पूर्व पार्षद एवं पूर्व सांसद प्रतिनिधि अरुण सकलेचा, व्यापारी महासंघ अध्यक्ष श्याम माहेश्वरी, पूर्व पार्षद नवीन मेहता, नरेंद्र मेहता, ललिता शंकर दुबे, राधेश्याम सोनी, अनिकेत देवड़ा, राहुल पांचाल, सुखराम माली आदि सम्मिलित रहे।