संसार से ज्यादा मोह माया नहीं रखना चाहिए – संत श्री ज्ञानानंदजी महाराज
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केशव सत्संग भवन में चल रहे है चार्तुमासिक प्रवचन
मन्दसौर। नगर के खानपुरा स्थित श्री केशव सत्संग भवन में चातुर्मास हेतु ज्ञानानंदजी महाराज हरिद्वार विराजित है जिनके मुखारविन्द से प्रतिदिन श्रीमद भागवत कथा के एकादश स्कंद का वाचन किया जा रहा है, जिसका श्रवण करने के प्रतिदिन प्रातः 8.30 बजे से 10 बजे तक बडी संख्या में धर्मालुजन पधार रहे है।
बुधवार को धर्मसभा में संतश्री ज्ञानानंदजी महाराज ने कहा कि हमें किसी से भी ज्यादा मोह माया नहीं रखना चाहिए यही हमारे दुख कारण बनता है इसलिए मोह माया से दूर रहो और जीवन में प्रभु भक्ति करों।
संतश्री ने बताया कि हमें पृथ्वी से सीखना चाहिए हम पृथ्वी को कितना कुछ अपशिष्ट देते है कूडा कचरा सब लेकिन फिर भी पृथ्वी सब सहन करती है क्योंकि पृथ्वी ही सहनशीलता बहुत अधिक होती है इसलिए ही पृथ्वी को मां का दर्जा दिया गया है। मां की सहनशीलता भी बहुत अधिक होती है एक पिता के मुकाबले एक मां अपने अंदर बहुत सहनशीन होती है।
संतश्री ने बताया कि संतों के तीन गुण महत्वपूर्ण होते है। संत सहनशील होता है किसी भी बात पर एक दम प्रतिक्रिया नहीं देता संत करूणा वाला होता है और संत अजातशत्रु होता है संतों का कोई शत्रु नहीं होता वे किसी को भी शत्रु नहीं मानते है। किसी भी संत में यह तीन विशेषताएं अवश्य होनी चाहिए यह हमारो शास्त्रों में बताया गया है।
धर्मसभा में केशव सत्संग भवन के अध्यक्ष जगदीशचंद्र सेठिया, पं शिवनारायण शर्मा, प्रवीण देवडा, कमल देवडा, इंजि आर सी पाण्डेय, डॉ रविन्द्र पाण्डेय, प्रहलाद काबरा, राव विजयसिंह, शिवशंकर सोनी, घनश्याम भावसार, जगदीश गर्ग सहित बडी संख्या में महिलाएं पुरूष उपस्थित थे।