सावन के तीसरे सोमवार पर बन रहा है बेहद शुभ योग, इस विधि के साथ पूजा करने से शिवजी होंगे प्रसन्न:–डब्लू कुमार पाण्डेय

सावन के तीसरे सोमवार पर बन रहा है बेहद शुभ योग, इस विधि के साथ पूजा करने से शिवजी होंगे प्रसन्न:–डब्लू कुमार पाण्डेय
बिहार औरंगाबाद से धर्मेन्द्र गुप्ता
इस पावन सावन के महीना में शहर के चर्चित ब्राम्हण डब्लू कुमार पाण्डेय (बाबा) जी ने संस्कार दर्शन न्यूज से बात करते हुए कहा है:–
आज सावन महीने का तीसरा सोमवार है। आज के दिन भगवान शिव के निमित्त व्रत किया जाता है और उनकी विशेष रूप से पूजा-अर्चना की जाती है। वैसे तो सावन का पूरा महीना ही शिव भक्ति के लिये समर्पित है, लेकिन शास्त्रों में सावन महीने में पड़ने वाले सोमवार का बहुत अधिक महत्व बताया गया है। कहते हैं सावन के सोमवार के दिन जो कन्याएं व्रत रख भगवान शिव की पूजा अर्चना करती है, उनको सुयोग्य और मनचाहे वर की प्राप्ति होती है। साथ ही विवाहित महिलाएं अपने पति के साथ अपने रिश्ते को मजबूत बनाए रखने के लिए, उनके अच्छे स्वास्थ्य के लिए और उनके सुख समृद्धि के लिए भी सावन के सोमवार का व्रत रखतीं हैं। साथ ही पुरुष भी इस व्रत को कर सकते हैं।
सावन के तीसरे सोमवार पर बन रहा है ये 3 शुभ योग
सावन का तीसरा सोमवार का व्रत बेहद शुभ योग में रखा जा रहा है। आज रवि योग, व योग और सिद्ध योग बन रहा है। ऐसे में आज के दिन महादेव की उपासना और रुद्राभिषेक करने से कई गुना अधिक शुभ फलों की प्राप्ति होगी। आज दोपहर 2 बजकर 51 मिनट तक शिव योग रहेगा। रवि योग सुबह 05 बजकर 38 मिनट से शुरू हो जाएगा जो रात 10 बजकर 12 मिनट तक रहेगा। वहीं सिद्ध योग दोपहर 02:52 बजे से पूरी रात तक रहेगा।
सावन सोमवार पूजा विधि
सावन सोमवार के दिन प्रात:काल उठकर स्नान कर साफ वस्त्र पहन लें
इसके बाद मंदिर को साफ कर गंगाजल छिड़क लें
हाथ में जल लेकर व्रत का संकल्प लें
शिवलिंग पर जल या गंगाजल और कच्चा दूध चढ़ाएं
शिवलिंग पर चीनी, मिश्री, शहद, पंचामृत, सुपारी बेलपत्र, भांग, धतूरा, शमी के पत्ते, फल, फूल, सफेद या पीली चंदन और अन्य पूजा सामग्री अर्पित करें
अब शंकर जी के सामने घी या तेल का दीपक जलाएं
पूजा के बाद शिव चालीसा का पाठ करें
फिर शिवजी की आरती अवश्य करें
शिव मंत्रों का जाप करें
ओम नमः शिवाय
कर्पूरगौरं करुणावतारं संसारसारं भुजगेन्द्रहारम् । सदा बसन्तं हृदयारबिन्दे भबं भवानीसहितं नमामि ।।
महामृत्युंजय मंत्र- ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्। उर्वारुकमिव बन्धनान मृत्योर्मुक्षीय मामृतात्॥