पीएम मोदी ने अपने हनुमान को लगाया गले, बिहार में नया सियासी चिराग जलाने के लिए दिया संदेश।
पीएम मोदी ने अपने हनुमान को लगाया गले, बिहार में नया सियासी चिराग जलाने के लिए दिया संदेश।
दिल्ली:–
बिहार की राजनीति में इन दिनों चिराग पासवान की काफी चर्चा हो रही है. वहीं, मंगलवार को पीएम मोदी द्वारा चिराग को गले लगाने पर कई सियासी मायने निकाले जा रहे हैं.
NDA Meeting: पीएम मोदी ने अपने हनुमान को लगाया गले, बिहार में नया सियासी चिराग जलाने के लिए दिया संदेश
चिराग पासवान को गले लगाते पीएम मोदी
पटना: एनडीए की बैठक (NDA Meeting) मंगलवार को नई दिल्ली में शुरू हो गई है. इस दौरान पीएम नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) ने एनडीए (NDA) के घटक दल के नेताओं से मुलाकात की. नेताओं से मुलाकात के दौरान पीएम नरेंद्र मोदी ने अपने ‘हनुमान’ एलजेपी रामविलास के राष्ट्रीय अध्यक्ष चिराग पासवान (Chirag Paswan) को गले लगाया. चिराग ने पीएम मोदी के पांव छुए. इस पल की हर तरफ चर्चा हो रही है. पीएम मोदी के प्रति चिराग पासवान की वफादारी जगजाहिर है. 2014 लोकसभा चुनाव में चिराग की ही सलाह पर रामविलास पासवान ने एनडीए के साथ गठबंधन किया था. इसके बाद से ही चिराग पासवान हमेशा पीएम मोदी के साथ रहे हैं. चिराग एनडीए गठबंधन में रहे या नहीं रहे, लेकिन बीजेपी (BJP) का समर्थन करते रहे हैं. पीएम मोदी ने चिराग को गले लगाकर महागठबंधन को साफ संदेश दे दिया कि बिहार के लिए चिराग क्या मायने रखते हैं और चिराग पीएम मोदी के लिए कितना महत्वपूर्ण हैं.
चिराग पीएम मोदी के मुरीद रहे हैं
चिराग पासवान की इन दिनों हर तरफ काफी चर्चा हो रही है. सोमवार को उन्होंने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकात की थी. इसके बाद मंगलवार को उन्होंने एनडीए शामिल होने का एलान कर दिया. चिराग पासवान का कद बिहार में एक बड़ा नेता के रूप में इन दिनों होने लगा है. चिराग पासवान की राजनीतिक शुरुआत एक तरह से देखा जाए तो बीजेपी के साथ ही हुआ. 2014 लोकसभा चुनाव के साथ ही चिराग पासवान राजनीति में सक्रिय हुए. इस समय से ही चिराग पासवान पीएम मोदी के मुरीद रहे हैं तब से ही चिराग पासवान प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से बीजेपी के साथी रहे हैं.
2020 में नीतीश कुमार को दे चुके हैं पटखनी
चिराग में वो पूरा दमखम है जो महागठबंधन के लिए परेशानी के खड़ा कर सकते हैं. 2022 में बिहार में तीन विधानसभा सीटों पर उपचुनाव हुए. इसमें दो सीटों पर बीजेपी की जीत हुई. इस चुनाव में चिराग पासवान बीजेपी के लिए प्रचार-प्रसार किए थे. महागठबंधन को सिर्फ अनंत सिंह की सीट पर जीत हासिल हुई थी. वहीं, 2020 विधानसभा चुनाव में चिराग पासवान ने 135 सीटों पर चुनाव लड़ने का फैसला किया और ज्यादातर ऐसी सीटों पर उम्मीदवार दिए जहां से जेडीयू के उम्मीदवार मैदान में थे. जेडीयू की सीटों की संख्या पिछले चुनाव के मुकाबले 28 कम करने में वे सफल रहे. जेडीयू 43 सीटों पर ही जीत सकी. इससे नीतीश की पार्टी को झटका लगा था.
अब भी बीजेपी चिराग को देती है ज्यादा तवज्जो
वहीं, 2020 में बिहार विधानसभा चुनाव से पहले रामविलास पासवान के निधन होने के बाद लोजपा में उथल-पुथल होता है. रामविलास पासवान के भाई पशुपति कुमार पारस के नेतृत्व में पार्टी में बगावत होती है. पशुपति पारस फिलहाल हाजीपुर से सांसद और केंद्रीय मंत्री हैं. वे अक्टूबर 2021 में राष्ट्रीय लोक जनशक्ति पार्टी के नाम से अलग पार्टी बना लेते हैं और रामविलास पासवान की राजनीतिक विरासत का वास्तविक उत्तराधिकारी खुद को बताते हैं. लेकिन बीजेपी अभी भी चिराग को ही रामविलास का असली उत्तराधिकारी मानती है. इस वजह से हमेशा वह चिराग को तवज्जो देती है. चिराग भी हमेशा बीजेपी के साथ रहे हैं.
रामविलास पासवान मोदी सरकार में रह चुके हैं केंद्रीय मंत्री
बता दें कि 2014 के लोकसभा चुनाव में रामविलास पासवान, उनके बेटे चिराग पासवान एलजेपी के उन छह सांसदों में शामिल थे जो मोदी लहर में जीते थे. वहीं, एलजेपी प्रमुख रामविलास पासवान मोदी सरकार में केंद्रीय मंत्री रह चुके हैं. इसके पहले एनडीए गठबंधन वाली वाजपेयी सरकार में भी केंद्रीय मंत्री थे. रामविलास पासवान एक एकमात्र ऐसे केंद्रीय मंत्री थे जिन्होंने छह प्रधानमंत्रियों के साथ काम किया था. रामविलास पासवान यूपीए सरकार में भी केंद्रीय मंत्री रह चुके हैं.