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अफीम उत्पादक किसानों से अफीम के साथ ही पोस्त डोड़ाचूरा भी शासन खरीदे- राजेन्द्र अग्रवाल

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मन्दसौर। भाजपा नेता व सामाजिक कार्यकर्ता राजेन्द्र अग्रवाल ने एक वक्तव्य में केन्द्र सरकार एवं राज्य सरकार से यह मांग की है कि वर्तमान में अफीम काश्तकारों को केन्द्र सरकार के नारकोटिक्स विभाग के अंतर्गत अफीम की खेती के लिये विधिवत लायसेंस दिये जाते है। पूरे देश में वर्तमान में मध्यप्रदेश, राजस्थान एवं उत्तरप्रदेश के कुल 12 जिलों में अफीम की खेती होती है। तथा नारकोटिक्स विभाग खेती में उत्पन्न अफीम किसानों से एक निश्चित मात्रा मंे खरीदती है। विगत 8-10 वर्षों पूर्व मध्यप्रदेश एवं राजस्थान की सरकारे पोस्त डोड़ाचूरा के खरीदी-बिक्री के ठेके नीलाम करती थी जिसके माध्यम से ठेकेदार उक्त पोस्त डोड़ाचूरा किसानों से खरीदते थे। परन्तु उसके बाद वर्ष 2015 के बाद से डोड़ाचूरा खरीदी के ठेके नीलाम करना बन्द कर दिये एवं राज्य सरकारों ने यह कहा कि उक्त अफीम की फसल से उत्पादित डोड़ाचूरा को हम नष्ट करवायेंगे। परन्तु राज्य सरकारों द्वारा आज तक ऐसा नहीं किया गया। जिसके कारण लगभग 40 हजार कृषकों का डोड़ाचूरा अधिकतर तस्करों द्वारा खरीदा जा रहा है। जो एक गंभीर विषय है।
श्री अग्रवाल ने कहा कि वर्तमान में डोड़ाचूरा की तस्करी के सैकड़ों आरोपी विभिन्न जेलों मंे बंद है। एवं तस्करी से अधिक फायदा शासकीय मशीनरी उठा रही है। बार-बार इस बात को रखने के बाद भी केन्द्र सरकार व राज्य सरकार इस समस्या का निदान नहीं कर रही है जो एक गंभीर समस्या बनी हुई है।
श्री अग्रवाल ने कहा कि वर्तमान में केन्द्र सरकार किसानों की अफीम बहुत कम मूल्य पर खरीदती है जबकि तस्करी में बहुत उंचे भाव पर अफीम व डोड़ाचूरा बिक रहा है। एक ओर जहां केन्द्र सरकार व राज्य सरकार नशा उन्मूलन के लिये योजना चला रही है वहीं दूसरी ओर इस प्रकार उल्टे सीधे नियम के कारण तस्करी व नशाखोरी को बढ़ावा मिल रहा है। वर्तमान में विभिन्न राजनीतिक पार्टीयों के जनप्रतिनिधि एवं नेतागण को भी यह पुरी स्थिति का ज्ञान होने के बाद भी इस ओर कोई ध्यान नहीं दिया गया।
श्री अग्रवाल ने केन्द्र व राज्य सरकार से मांग की है कि चाहे केन्द्र सरकार या राज्य सरकार अफीम के साथ डोड़ाचूरा भी अफीम उत्पादक किसानो ंसे खरीदे। अफीम खरीदी के भाव कम से कम 10 हजार रू. किलो एवं डोड़ाचूरा खरीदती है तो 100 रू. किलो के हिसाब से भुगतान अफीम कास्तकारों को किया जाए। आने वाली फसल के पूर्व उचित निर्णय कर अफीम उत्पादक किसानों को लाभ देवे एवं तस्करी के इस व्यापार पर लगाम लगावे।

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