किसी की निंदा नहीं करना चाहिए यह सबसे बडा दोष – संत श्री ज्ञानानंदजी महाराज

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केशव सत्संग भवन में चल रहे है चार्तुमासिक प्रवचन
मन्दसौर। श्री केशव सत्संग भवन खानपुरा में चातुर्मास हेतु ज्ञानानंदजी महाराज हरिद्वार विराजित है। चातुर्मासिक प्रवचनों के अंतर्गत शुक्रवार 7 जुलाई को संतश्री ने मनुष्य के दोषो के बारे में बताया। संतश्री द्वारा केशव सत्संग भवन में श्रीमद भागवत कथा के एकादश स्कंद का वाचन किया जा रहा है।
शुक्रवार को धर्म सभा में संतश्री ज्ञानानंदजी महाराज ने बताया कि मनुष्य का सबसे बडा दोष हैं निंदा करना। निंदा करने वाला व्यक्ति सदैव दूसरों में कमीयों को ही खोजता रहता है। ऐसे व्यक्ति ईशवर से भी दूर होते है। निंदा करने वाले कभी दूसरे के गुणों को नहीं देखते वै सदैव हर चीज की निंदा करते है ऐसे व्यक्ति अपने जीवन मे सुखी भी नही रह पाते है। संतश्री ने कहा कि हमें किसी की निंदा नहीं करना चाहिए सदैव मन को नियंत्रित रखना चाहिए। मन नियंत्रित रहेगा तो ईश्वर भक्ति में लगेगा अन्यथा यह चंचल मन इधर उधर लगा रहेगा।
संतश्री ने कहा कि अच्छे और बुरे का विवेक हमें हमारी बुद्धि देती है इसलिए बुद्धि में हमेशा नारायण का वास रखना चाहिए ताकि हम कोई पाप नहीं करंे। अभिमान के कारण हम गलत कार्य कर बैठते है इसलिए इससे बचने के लिए अपना सर्वस्व ईश्वर को समर्पित कर दों फिर देखों बुद्धि में किसी बात का अभिमान नहीं रहेगा और बुद्धि एवं मन दोनों प्रभु भक्ति में लग जायेंगे।
पापी व्यक्ति को कथा सुनना अच्छा नहीं लगता
संतश्री ने कहा कि कथा का श्रवण करने से पुण्य की प्राप्ति होती है और कर्मो के बंधन से छुटकारा मिलता है। लेकिन पापी व्यक्ति को कथा सुनने अच्छा नहीं लगता क्योंकि इसकी बुद्धि और मन दोनों में पाप भरा होता है। इसलिए पाप नहीं करना चाहिए और अधिक से अधिक पुण्य की प्राप्ति करना चाहिए।
प्रतिदिन अपनों से बडों का अभिवादन करें
धर्मसभा में ज्ञानानंदजी महाराज ने बताया कि प्रतिदिन सुबह उठकर अपने से बडे सभी के पैर छूकर आर्शीवाद लेना चाहिए इससे स्नेह बढता है। आपने कहा कि कोई आप से आगे रहकर नहीं बोले तो आप बोलों इससे आपसी मनभेद खत्म होते है। शास्त्रों के अनुसार बडों को आशीर्वाद लेने से आयु, विद्या, यश और बढ में बढोत्तरी होती है।
इस अवसर पर केशव सत्संग भवन के अध्यक्ष जगदीशचंद्र सेठिया, मदनलाल गेहलोत, पुरूषोत्तम बडसोलिया, राधेश्याम गर्ग, इंजिनियर आरसी पाण्डे, आर सी पंवार, प्रहलाद काबरा, राव विजयसिंह, जगदीश गर्ग, कन्हैयालाल रायसिंघानी, शंकरलाल सोनी, सहित बडी संख्या में महिलाएं पुरूष उपस्थित थे।