प्रदेश में अपराधी कानून को धड़ल्ले से धूल चटा रहे हैं : जीतू पटवारी

मध्यप्रदेश कांग्रेस कमेटी
मध्यप्रदेश में बढ़ रहे बेलगाम अपराध, टोल नाकों पर हो रही है अवैध वसूली जीतू पटवारी
भोपाल-प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष श्री जीतू पटवारी ने आज प्रदेश कांग्रेस मुख्यालय में पत्रकारों से चर्चा के दौरान प्रदेश में बेलगाम बढ़ रहे अपराध, टोल नाकों पर हो रही अवैध वसूली पर चर्चा करते हुऐ कहा कि मध्य प्रदेश की व्यावसायिक राजधानी इंदौर में शुक्रवार तड़के दूसरी बड़ी डकैती हो गई। दस दिन में यह दूसरी बड़ी वारदात है। इंडियन ऑयल कॉर्पोरशन के डिपो मैनेजर के घर में डकैत घुसे और मारपीट कर परिवार को बंधक बना दिया। फिर कार, जेवर और नगद लेकर भाग गए। इसके पहले ग्वालियर-चंबल संभाग से फिर एक चौंकाने वाली जानकारी सामने आ रही है। बदमाश खुलेआम बोल रहे हैं-हमें जीएसटी दो। यह खुलासा तब हुआ, जब ग्वालियर पुलिस ने रेत डंपरों के स्टाफ को लूटने वाली गैंग को पकड़ा. अपराध के तरीके को समझने के लिए पूछता शुरू की! गैंग के सरगना ने पुलिस से कहा है, “मुझे रेत खदान पर आने-जाने वाले वाहनों से 15 हजार रुपए महीना जीएसटी चाहिए“ यहां जीएसटी का मतलब ‘‘गुंडा सर्विस टैक्स“ है। यह वही इलाका है जहां आप मुख्यमंत्री के साथ गृहमंत्री के रूप में भी संभागीय स्तर की कानून व्यवस्था की बैठक कर चुके हैं।
अब बदमाशों के हौसले की कहानी भी सुन ही लीजिए। गैंग बेहट से सटे जंगल में सिंध नदी से रेत भरकर आने-जाने वाले डंपरों को निशाना बनाती। गायों के झुंड रास्ते में हांके जाते, ड्राइवर ब्रेक लगाते, बदमाश फायरिंग कर दहशत बनाते, और फिर लूट लेते।
कुछ दिन पहले पूरे देश में मध्य प्रदेश का सिर शर्म से झुकना वाली एक घटना बैतूल में हुई. आदिवासी युवक के पूरे कपड़े उतारकर पहले तो छत से उल्टा लटकाया, फिर बेल्ट-डंडों से जमकर पीटा!
मैंने तब भी मीडिया के साथियों से बातचीत करते हुए कहा था यह एक घटना ही गृहमंत्री के रूप में मुख्यमंत्री के इस्तीफे के लिए पर्याप्त है। जंगलराज से आगे निकलने की जंग लड़ते ’अपराधी’ खुलेआम कानून को धूल चटा रहे हैं। लेकिन, डबल इंजन की सरकार बिल्कुल खामोश हैं।
मैंने तब भी यह सवाल उठाया था कि भाजपा के पिछले 20 साल के शासनकाल में केवल आदिवासी ही सबसे ज्यादा निशाने पर क्यों है? आदिवासी समाज से क्या भाजपा की व्यक्तिगत राजनीतिक दुश्मनी है? या फिर भाजपा ने वंचित वर्ग की प्रताड़ना का ठेका ले लिया है?
ग्वालियर के भंवरपुरा में जिस 15 साल की बच्ची से गैंगरेप किया गया, उसके परिवार ने गांव छोड़ दिया। चूंकि, आरोपी व उनके रिश्तेदार इसी गांव के हैं, इसलिए पुलिस का भी कहना है कि गांव में परिवार को जान का खतरा है। पुलिस निगरानी में पीड़ित परिवार को शिवपुरी भेजा गया! मध्य प्रदेश पुलिस का ऐसा चेहरा तो पहले कभी नहीं देखने में आया? मैंने तब भी पूछा था की मुख्यमंत्री जी पीड़ित को आपकी सरकार यदि सुरक्षा नहीं दे पा रही है तो ऐसी सरकार का क्या मतलब?
कितनी बार याद दिलाएं कि आप मुख्यमंत्री के साथ गृहमंत्री भी हैं. आपके गृह जिले उज्जैन के हालात तो बेकाबू हैं ही, अब ग्वालियर-चंबल में भी माफियाओं ने खुलेआम कानून का मखौल उड़ाना शुरू कर दिया है।
उज्जैन में बीजेपी नेता और पूर्व सरपंच रामनिवास जी और उनकी पत्नी मुन्नीबाई की हत्या कर दी गई। इसके पहले उज्जैन जिले में ही महापुरुषों की मूर्तियां लगाने का विवाद होता रहा, लेकिन सरकार का खुफिया तंत्र सोता रहा।
बदमाशों द्वारा प्रधान आरक्षक को गोली मारकर हत्या कर दी जाती है, फिर रतलाम जिले में थाने से जीप की चोरी हो जाती है।
एक शहर में कहीं जीप चढ़ाकर पुलिस अधिकारी को मार दिया जाता है, तो कहीं से माफियाओं के द्वारा बेकसूरों को प्रताड़ित करने की खबरें आ जाती हैं।
सोचिए, यदि सीधे तौर पर बार-बार, लगातार पुलिस को ही निशाना बनाया जा रहा है, तो समझा जा सकता है कि मध्यप्रदेश में हालात नियंत्रण से बाहर हो चुके हैं।
मैं फिर दोहराना चाहता हूं सुनियोजित अपराध मध्यप्रदेश की पहचान बनते जा रहे हैं और इन्हें नियंत्रित नहीं करने के रूप में डॉ. मोहन यादव जी ‘असफल मुख्यमंत्री’ के साथ ‘‘असफल गृहमंत्री“ के रूप में अपनी पहचान बनाते जा रहे है।
मैं सरकार और मुख्यमंत्री जी से अनुरोध करना चाहता हूं कि गंभीर होते जा रहे अपराधों को नियंत्रित करने के लिए अगले 100 दिन की कार्ययोजना जनता के सामने रखे. और जनता को इस बात का विश्वास दिलाए की आने वाले 100 दिन वह पूरी तरह से निश्चिंत होकर सुरक्षित महसूस कर सकते हैं!
आरटीओ के माध्यम से हो रही खुली लूट
जीएसटी लागू होने के बाद केंद्रीय सड़क परिवहन मंत्री नितीन गडकरी आदेश दे चुके हैं कि ‘वन नेशन, वन टैक्स’ होने से न सिर्फ सेल्स टैक्स के, बल्कि परिवहन विभाग के बैरियर भी बंद किए जाएं। मप्र में आरटीओ के 47 चेक पोस्ट हैं। इनमें से 16 बैरियर पर कागजों की जांच के नाम पर धड़ल्ले से अवैध वसूली हो रही है। बैरियर से पहले विभाग ने बोर्ड पर दरें लिखी हैं, जिनमें अधिकतम रेट 105 रुपए है, जबकि वसूली 500 से 3000 तक हो रही है। प्रति वाहन औसत 1500 रुपए के हिसाब से रोजाना 7.63 करोड़ रुपए की वसूली की जा रही है।
● मुलताई बैरियर से महाराष्ट्र के नागपुर एवं छत्तीसगढ़ राजनंदगांव की तरफ वाहन जाते हैं। यहां अवैध वसूली को लेकर वाहन चालकों की अकसर बैरियर के कर्मचारियों से बहस होती है क्योंकि उन्हें घंटों लाइन में खड़ा किया जाता है।
● यूपी बॉर्डर स्थित शिवपुरी के सिकंदरा दिनारा चेक पोस्ट पर बस-ट्रक व अन्य कमर्शियल वाहनों के ड्राइवर लाइन में लगकर 500 से 2500 रुपए तक जमा करवाते हैं।
● अहमदाबाद हाइवे स्थित झाबुआ जिले के पिटोल बैरियर पर ट्रक ड्राइवर से 100 से लेकर 500 रू. अतिरिक्त वसूले जाते हैं।
● यही स्थिति राजस्थान छत्तीसगढ़ और महाराष्ट्र से लगता दूसरे बैरियर पर भी है। बगैर सुविधा शुल्क दिए कोई भी गाड़ी मध्य प्रदेश में न आ सकती है और ना बाहर निकल सकती है।
● मैं आज मीडिया के साथ ही हूं कोई यह भी बताना चाहता हूं कि पिछले दिनों पब्लिक डोमेन में आई कुछ रिपोर्ट के जरिए यह अनुमान लगाया गया कि कहां रोजाना कितनी वसूली हो रही है?
बैरियर पर वाहनों की संख्या और उससे हो रही वसूली
● सेंधवा 7.5 हजार वाहन 1.12 करोड़ रू.
● पिटोल 3.5 हजार वाहन 35 लाख रू.
● नयागांव 6.5 हजार वाहन 97 लाख रू.
● सिकंदरा दिनारा 6 हजार वाहन 60 लाख रू.
● चाकघाट 4 हजार वाहन 40 लाख रू.
● खवासा 5 हजार वाहन 75 लाख रू.
● हनुमना 3.5 हजार वाहन 35 लाख रू.
● मुलताई 3.5 हजार वाहन 52 लाख रू.
● मालथोन 3.5 हजार वाहन 35 लाख रू.
● मुरैना 6.5 हजार वाहन 97 लाख रू.
● चिरुला 2.5 हजार वाहन 25 लाख रू.
● रजेगांव 1.5 हजार वाहन 15 लाख रू.
● सौंसर 1.5 हजार वाहन 15 लाख रू.
मोतीनाल 2.5 हजार वाहन 25 लाख रू.
मध्य प्रदेश में बढ़ते हुए बेलगाम अपराधों को लेकर मैं फिर अपनी बात दोहरा रहा हूं या तो गृहमंत्री का पद छोड़ दें या किसी ऐसे व्यक्ति को जिम्मेदारी दे दें, जो बेलगाम अपराध और बर्बर अपराधियों को निर्णायक रूप से नियंत्रित कर सके।
कर्ज के काका
मध्यप्रदेश सरकार 20 फरवरी को बाजार से पांच हजार करोड़ रुपये का कर्ज लिया। आरबीआई के माध्यम से गवर्मेन्ट सिक्युरिटीज का विक्रय कर यह कर्ज कुल तीन हिस्सों में लिया जाएगा।
● पहला कर्ज 1,500 करोड़ रू. 16 वर्ष और इतनी ही राशि का दूसरा कर्ज 20 वर्ष के लिए लिया जाएगा। 2000 करोड़ रू. का तीसरा कर्ज 21 वर्ष में चुकाया जाएगा। तीनों ही कर्ज पर साल में दो बार कूपन रेट पर ब्याज का भुगतान भी किया जाएगा!
● वित्तीय वर्ष 2023-24 में भाजपा सरकार अब तक कुल 27 हजार 500 करोड़ रुपए का कर्ज ले चुकी है। 5000 करोड़ रू. के इस कर्ज को मिला लिया जाए, तो यह राशि 32 हजार 500 करोड़ हो जाएगी।
● 31 मार्च 2023 की स्थिति में सरकार पर तीन लाख 31 हजार करोड़ रुपए से अधिक कर्ज है। उल्लेखनीय यह भी है कि इसी माह 06 फरवरी को सरकार ने तीन हजार करोड़ रुपए का कर्ज लिया था।
● मोदीजी के चुनावी वादे और ‘‘मोदी की चुनावी गारंटी“ के बावजूद लाड़ली बहनों को 3000 रू. प्रतिमाह नहीं दिए जा रहे। धान का समर्थन मूल्य 3100 रू. प्रति क्विंटल घोषित करने के बावजूद नहीं दिया गया। वहीं गेहूं को लेकर भी 2700 रू. प्रति क्विंटल सिर्फ ‘‘चुनावी जुमला“ ही साबित हो रहा है।
● एक ओर आर्थिक अराजकता का बढ़ता दायरा प्रदेश को कर्जदार बना रहा है, वहीं दूसरी तरफ युवा, गरीब, किसान और महिलाएं सरकारी वादे की पूरा होने का इंतजार कर रहे हैं। लोकसभा चुनाव में उतरने की तैयारी कर रही भाजपा पहले जनता के सवालों के जवाब दे। ताकि, झूठे वादे करने वाले मुंह से, फिर कोई नया झूठ निकल नहीं पाए।