औरंगाबादन्यायबिहार

जिला जज द्वारा किया गया नये जेल भवन एवं परिसर का विस्तृत निरीक्षण, दिये गये आवश्यक निर्देश।

जिला जज द्वारा किया गया नये जेल भवन एवं परिसर का विस्तृत निरीक्षण, दिये गये आवश्यक निर्देश।

 

 

बिहार औरंगाबाद से धर्मेंद्र गुप्ता

 

 

जिला एवं सत्र न्यायाधीश  सम्पूर्णानन्द तिवारी के द्वारा  शनिवार को नये जेल का भ्रमण करते हुए निरीक्षण किया गया। नये जेल के स्थानान्तरण के बाद जिला जज द्वारा यह प्रथम निरीक्षण है और निरीक्षण में जिला जज द्वारा मौजूद बुनियादी व्यवस्था को देखा गया तथा जेल के सुरक्षात्मक तथ्यों पर विशेष प्रकाश डाला गया। नये जेल भवन का स्थानान्तरण कुछ दिन पहले ही हुआ है जिसके परीधी में छायादार पौधारोपण पर विशेष प्रकाश डाला गया।
जिला जज द्वारा जेल निरीक्षण के दौरान जिला विधिक सेवा प्राधिकार के सचिव प्रणव शंकर, मुख्य न्यायिक दण्डाधिकारी श्री सुकुल राम तथा जेल भ्रमण अधिवक्ता श्रीमती निवेदिता कुमारी श्री महेश प्रसाद सिंह भी मौजूद रहें तथा निरीक्षण के दौरान मण्डल कारा में पदस्थापित जेल अधीक्षक श्री सुजीत कुमार झा भी मौजूद थे तथा उनके द्वारा सभी न्यायिक पदाधिकारियो को प्रत्येक सेल से अवगत कराया गया तथा जिला जज द्वारा कैदियों को कारा में उत्पन्न हो रही समस्याओं से अवगत होने के उपरान्त कैदियों के समक्ष ही तत्काल निदान करने का निर्देश जेल अधीक्षक को दिया। जिला जज ने अपने निरिक्षण के दरम्यान जेल के समस्त वार्डो में जा कर कैदियों से उनकी समस्याओं से अवगत हुए तथा बंदियों से यह अपील भी किये की जितना अपने से हो सके जेल के वार्ड को साफ़ रखें ताकि आपकी स्वास्थ्य अच्छा रहे आप सभी कूड़ा हमेसा कूड़ेदान में डालें और निजी सामानों जैसे कपडा और चप्पल इत्यादि करीने से रखें ताकि जेल प्रशासन को जेल को सुंदर बनाने में सहयोग मिल सके इसके साथ जिला जज कारा के अस्पताल में गये वहां की व्यवस्था को देखें और इलाजरत बंदी से उसके स्वास्थ की जानकरी प्राप्त किये
अपने निरिक्षण के क्रम में जिला जज जेल के नवनिर्मित रसोई घर का निरिक्षण किया और बन रहे खाना की गुणवता को देखा और जेल प्रशासन को खाने की गुणवता पर कई दिशा निर्देश दिया| जिला जज ने जेल प्रशासन को बंदियों के बौद्धिक और शारीरिक स्वास्थ्य के विकाश हेतु समय समय पर शैक्षणिक गतिविधियाँ और योगा अभ्यास हेतु कार्यक्रम और जागरूकता करने हेतु कहा गया
अपने जेल निरिक्षण के क्रम में जिला जज ने जेल के सौंदर्यीकरन हेतु बृक्ष लगाने जिनमे छायादार, फलदार और फुल पौधे तीनो तरह के पौधे हों ताकि जल्द ही जेल एक मॉडल जेल के रूप में विकसित हो सके इसके अतिरिक्त उनके द्वारा कई अन्य सुरक्षात्मक और सुविधात्मक निर्देश जेल प्रशासन को दिये इसके साथ साथ उन्होंने आज जेल परिसर में उक्त सौन्दर्यीकरण कर्यक्रम की शुरुआत स्वयं वृक्ष लगा कर किया जिसमे उनका साथ सचिव श्री प्रणव शंकर, मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी श्री सुकुल राम ने भी वृक्ष लगा कर दिया
जिला जज द्वारा सिद्धदोष बंदियों के निर्मुक्त हेतु अधिकार से बंदियों को अवगत कराते हुए किन परिस्थितियों में स्थानीय स्तर पर तीन दिन के लिए पेरोल तथा इससे अधिक अवधि के लिए आगे की प्रक्रिया हेतु जिला विधिक सेवा प्राधिकार द्वारा उपलब्ध कराये गये बैनर को जेल में लगाया गया है की जानकरी बंदियों को उपलब्ध कराया। पेरोल के बारे में जानकारी देते हुए बताया गया कि कैदी के माता-पिता, पत्नी, पति, अथवा बच्चे की मृत्यु, कैदी की पुत्री की विवाह पर पेरोल पर छूटने (तीन दिन तक) आवेदन जेल अधीक्षक के द्वारा जिला पदाधिकारी को अग्रसारित किया जायेगा और इसकी स्वीकृति जिला पदाधिकारी द्वारा दी जायेगी और इससे सम्बन्धित आवेदन को तैयार करने में जेल अधीक्षक सम्बन्धित सिद्धदोष बंदियों को सहायता करेगें। साथ ही तीन दिन से अधिक के पेरोल के लिए पेरोल बोर्ड को भेजा जायेगा।
निरिक्षण के क्रम में जिला विधिक सेवा प्राधिकार के सचिव प्रणव शंकर द्वारा जेल के वैसे कैदी जो प्रथम दृष्टया देखने से ऐसा प्रतीत हुआ कि उनकी उम्र 18 वर्ष से कम है को लेकर सचिव ने तत्काल कारा अधीक्षक को यह निदेशित किया कि इनकी सूची सम्बन्धित न्यायालयों में उनकी आयु के सत्यापन हेतु प्रेषित करें, ताकि विधि अनुसार उनके मामलों पर कार्रवाई हो सके तथा वैसे कैदियों की सूची तत्काल जिला विधिक सेवा प्राधिकार के कार्यालय को तथा जेल में प्रतिनियुक्त जेल भ्रमण अधिवक्ता को आवश्यक रूप से देना सुनिष्चित करने हेतु कहा सचिव ने साथ रहे दोनों जेल भ्रमण पैनल अधिवक्ताओं को निर्देश दिया कि किसी भी परिस्थिति में 18 साल से नीचे प्रथम दृष्टया प्रतीत होने वाले बंदी की जाँच अपने स्तर से जेल भ्रमण के दौरान आवश्यक रूप से प्रत्येक भ्रमण के दिन करने के लिए निदेशित किया।
अधिवक्ता की सेवा तत्काल देने की बात कही तथा तत्काल कारा में स्थापित लिगल एड क्लििनक में अधिवक्ता उपलब्ध कराने हेतु अग्रेत्तर कार्रवाई का निर्देश दिया। सचिव द्वारा यह भी निर्देश दिया गया कि जो भी नये कैदी जेल में आते हैं तो बंदी के दौरान उनके अधिकार एवं कर्तव्य के बारे में बतायें साथ ही साथ अगर उन्हें विधिक सहायता की आवष्यकता है तो किस प्रकार उन्हें विधिक सहायता मिल सकती है के बारे में भी बतायें। सचिव द्वारा बताया गया कि मण्डल कारा, औरंगाबाद में लिगल एड क्लिनिक अपना कार्य सुचारू रूप से कर रहा है जिसमें जिला विधिक सेवा प्राधिकार के माध्यम से उन्हें विधिक सहायता मुहैया कराने में भरपुर मदद की जा रही ।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button
site-below-footer-wrap[data-section="section-below-footer-builder"] { margin-bottom: 40px;}