रूद्र महायज्ञ का समापन पर किया गया विशाल भंडारा का आयोजन।
रूद्र महायज्ञ का समापन पर किया गया विशाल भंडारा का आयोजन।
बिहार औरंगाबाद से धर्मेन्द्र गुप्ता
शहर के सबसे पुरानी मोहल्ला शाहपुर अखाड़ा शिव हनुमत जीणोद्धार प्राण प्रतिष्ठा रुद्र महायज्ञ का शाहपुर अखाड़ा परिसर में आयोजित 6 दिवसीय रूद्र महायज्ञ का समापन पर मंगलवार को हवन यज्ञ और विशाल भंडारा का आयोजन किया गया ।
मंगलवार को अयोध्या से विद्वान ब्राह्मणों के द्वारा मंत्रोच्चारण के साथ-साथ विधि विधान से पूजा अर्चना के कर हवन का कार्य संपन्न कराया। इस क्रम में श्रद्धालुओं द्वारा विभिन्न देवी देवताओं के नाम हवन किया। हवन करने को लेकर शहर के साथ-साथ आस पास के श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ पडी। वहीं हवन से संपूर्ण वातावरण भक्तिमय बना रहा। 6 दिनों तक चलने वाला यज्ञ में प्रवचन सुनने को लेकर भी श्रद्धालुओं की भीड़ लगी रही। अयोध्या से आये प्रवचनकर्ता ने भी श्रद्धालुओं को विभिन्न सामाजिक सरोकार के साथ-साथ धार्मिक ग्रन्थ पर आधारित प्रवचन सुना कर लोगों को मंत्रमुग्ध कर दिया। जबकि यज्ञ मंडप परिक्रमा करने को लेकर भी महिला-पुरुष व बच्चे काफी उत्सुक दिखे। 6 दिनों तक चलने वाला रुद्र महायज्ञ से संपूर्ण शहर भक्ति के सागर में डूबा रहा। मगंलवार को हवन विशााल भंडारे के साथ यज्ञ का भव्य समापन हुआ। इस रुद्र महायज्ञ और भंडारा को शहर मेंं बहुत ही चर्चा चल रही। इस मे खासकर महिला और बच्चों का उत्साह देखने लायक था।
भंडारा में महा प्रसाद ग्रहण करने को लेकर भी श्रद्धालुओं की काफी भीड़ देखी गई। यह भंडारा दोपहर 11:00 बजे से शुरू हुई जो देर रात्रि तक चली। इस भंडारा में समरसता झलक रही थी। भंडारा में श्रद्धालुओं को महाप्रसाद के रूप में पूरी , पुनिया, सब्जी का महाभोग परोसा गया।
यज्ञ समिति के सदस्यों के द्वारा कहा कि जनसहयोग से करवाया गया था।
डब्लू कुमार पाण्डेय बाबा जी ने कहा कि
लगातार 6दिन तक चली कथा में भक्तों को मानव जीवन से जुड़े सत्कर्म तथा भागवत कथा की महिमा बताई। उन्होंने लोगों से भक्ति मार्ग से जुड़ने और सत्कर्म करने को कहा। उन्हों ने कहा कि हवन- यज्ञ से वातावरण एवं वायुमंडल शुद्ध होने के साथ-साथ व्यक्ति को आत्मिक बल मिलता है। व्यक्ति में धार्मिक आस्था जागृत होती है। दुर्गुणों की बजाय सद्गुणों के द्वार खुलते हैं। यज्ञ से देवता प्रसन्न होकर मनवांछित फल प्रदान करते हैं। उन्होंने बताया कि महा रुद्राक्ष यज्ञ करने तथा से व्यक्ति भव सागर से पार हो जाता है। महायज्ञ से जीव में भक्ति, ज्ञान एवं वैराग्य के भाव उत्पन्न होते हैं। इसके श्रवण मात्र से व्यक्ति के पाप पुण्य में बदल जाते हैं। विचारों में बदलाव होने पर व्यक्ति के आचरण में भी स्वयं बदलाव हो जाता है। उहोंने भंडारे के प्रसाद का भी वर्णन किया। उन्होंने कहा कि प्रसाद तीन अक्षर से मिलकर बना है। पहला प्र का अर्थ प्रभु, दूसरा सा का अर्थ साक्षात व तीसरा द का अर्थ होता है दर्शन। जिसे हम सब प्रसाद कहते हैं। प्रसाद हर कथा या अनुष्ठान का तत्वसार होता है जो मन बुद्धि व चित को निर्मल कर देता है। मनुष्य शरीर भी ‘भगवान का दिया हुआ सर्वश्रेष्ठ प्रसाद है। जीवन में प्रसाद का अपमान करने से भगवान का ही अपमान होता है। भगवान का लगाए गए भोग का बचा हुआ शेष भाग मनुष्यों के लिए प्रसाद बन जाता है। कथा समापन सोमवार को विधि विधान से पूजन अर्चन के बाद करवाई। मगंलवार को हवन और भंडारा कराया गया।
यज्ञ के सफल संचालन में यज्ञ समिति के सदस्यो, युवा सदस्यों , बाल सदस्यों सहित शाहपुर मोहल्ले वासी और अन्य की भूमिका अहम रहा।