परिषद की बैठक में पार्षदों ने अपनाया अनोखा तरीका,खुद के प्रस्ताव कर लिए पास,अध्यक्ष के सारे प्रस्ताव कर दिए निरस्त

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मल्हारगढ़-हमेशा से सुर्खियों में रहने वाली नगर परिषद मल्हारगढ़ इस बार फिर बैठक को लेकर सुर्खियों में हैं
चुकी यहाँ भाजपा की परिषद है जिसमे 9 भाजपा,1 निर्दलीय व 5 कांग्रेस के पार्षद है। जब से परिषद बनी है तब से लेकर अभी तक यहा विवाद ही हो रहा है। पार्षद हर बार की तरह अध्यक्ष के सामने अपनी बात रखते आए हैं पर इन पार्षदों की हर बार की तरह इस बार भी सुनी नही गई है। यहाँ तक कि भाजपा मंडल अध्यक्ष जीतू जाट की उपस्थिति में भी समन्वय को लेकर बैठक हो गई ,उसके बाद लग रहा था कि शायद समन्वय बन जाए। बैठक में तय हुआ था कि सभी भाजपा पार्षद मिलकर कच्चे एजेंडे पर चर्चा करेंगे और जो भी प्रस्ताव कच्चे एजेंडे में आएंगे या जिन पर चर्चा होगी उन्हें ही परिषद की बैठक में लिया जाएगा। इस बार भाजपा पार्षदों की बैठक भी कच्चे एजेंडे पर हो गई और प्रस्ताव भी बना लिए गए परन्तु अंत मे जब एजेंडा आया तो कच्चे एजेंडे के कुछ प्रस्तावों को छोड़कर सभी प्रस्ताव अध्यक्ष ने हटा दिए ओर खुद की मर्जी से कई प्रस्ताव एजेंडे में जोड़ दिए।
बैठक तय समय पर प्रारम्भ हुई तो 15 में से 8 पार्षदों ने सहमति करके नामांतरण के साथ साथ,अपने अपने प्रस्ताव भी पास कर लिए ओर अध्यक्ष के द्वारा जबरदस्ती थोपे गए प्रस्ताव सभी निरस्त कर दिए। ऐसा करके सभी पार्षदों ने यह बता दिया कि जरूरी नही की परिषद में केवल अध्यक्ष ही महत्वपूर्ण हो,परिषद में पार्षद का महत्व भी अध्यक्ष के बराबर ही रहता है, ओर अध्यक्ष खुद पहले पार्षद ही है। हालांकि पिछली बैठकों में इन्ही पार्षदों ने लगभग 100 से ज्यादा प्रस्ताव विकास कार्यो के पास कर रखे है जिनमें से अधिकांश पर अभी तक कार्य भी प्रारंभ नही हो पाया है
बैठक में कायाकल्प वाले प्रस्ताव को 9 पार्षदों ने मिलकर खारिज कर दिया सभी का कहना था कि शासन ने जो मूल्य तय करा है यह रोड उससे भी कई ज्यादा कीमत में बनाया जा रहा है। कुछ पार्षदों का कहना था कि जो रोड कायाकल्प में बनाया जा रहा हैं वह पुरी तरह व्यवस्थित हैं तो उसी रोड को क्यो बनाया जा रहा है। इससे शासन के पेसो का दुरुपयोग हो रहा है। अस्पताल के सामने वाला रोड भी कायाकल्प में बनाया जा रहा है । गाँधी चोक के पास ही अस्पताल है जिसमे आधा रोड एक महीने पहले ही लागत मूल्य से 27 प्रतिशत कम लागत में बनाया गया है और एक महीने बाद ही उसी के पास बचा हुआ आधा रोड लागत मूल्य से भी कई गुना ज्यादा कीमत में बनाया जा रहा है। इस कारण से इस प्रस्ताव को निरस्त करके पुनः टेण्डर निकालने की कहा गया है। ये सभी वे ही पार्षद है जिन्होंने स्वयं का मत देकर इनको अध्यक्ष बनाया,ओर अब अध्यक्ष किसी भी काम मे इन पार्षदों की सहमति नही लेती है।
खैर जो भी हो पर लग ऐसा रहा है कि परिषद में पार्षद इस बार आर पार के मूड़ में है।