रीवामध्यप्रदेश

सुंदरजा आम विदेश में भी फैला रहा खुशबू, जीआइ टैग मिलने से विंध्य की बनेगा पहचान

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सफेद बाघ के साथ दुनिया में सुंदरजा आम के लिए भी जाना जाएगा

✍🏻विकास तिवारी

रीवा। मध्य प्रदेश के रीवा जिले का सुंदरजा आम अब देश के अलावा विदेशों में भी लोगों को अपना दीवाना बना रहा है। गोविंदगढ़ के बगीचों से निकलकर ये आम विदेश में भी अपनी खुशबू फैला रहा है। इस आम की खासियत ये है कि यह बिना रेशों वाला होता है और इसे मधुमेह के मरीज भी खा सकते हैं। यह आम पकने के बाद भी 15 दिन तक रखा जा सकता है। दुनिया में रीवा सफेद बाघ के साथ ही फलों के राजा आम सुंदरजा के लिए भी विख्यात है। इस आम की देश-विदेश में खासी मांग है। जीआइ टैग मिलने से यह विंध्‍य की पहचान बनेगा।

रीवा में बहुतायत में होता है-

पहले सुंदरजा आम केवल गोविंदगढ़ किले के बगीचों में होता था, लेकिन अब कुठुलिया फल अनुसंधान केंद्र में भी इसकी खेती की जा रही है। गोविंदगढ़ का सुंदरजा आम हल्का सफेद रंग का होता है, जबकि कुठुलिया फल अनुसंधान केंद्र में हल्का हरा होता है।

यहां है सुंदरजा आम की विशेषता:-

-गोविंदगढ़ की मिट्टी में उगने वाले पेड़ों के आम का स्वाद लाजवाब है।

-खुशबू इतनी जबरदस्त है कि आंख बंद करके भी पहचान सकते हैं।

-1968 में सुंदरजा आम के नाम पर डाक टिकट जारी किया गया था।

-दिल्ली, मुंबई, छत्तीसगढ़, गुजरात सहित कई शहर व राज्यों के लोग एडवांस आर्डर देकर मंगवाते हैं।

फ्रांस, इंग्लैंड, अमेरिका, जर्मनी, कनाडा व अरब देशों में इसकी काफी मांग है।

-सुंदरजा आम को एक जिला एक उत्पाद योजना में शामिल किया गया है।

मार्केटिंग के लिए भी प्रयास

कलेक्टर प्रतिभा पाल ने बताया कि सुंदरजा आम की खेती और मार्केटिंग के लिए भी प्रयास किए जा रहे हैं। किसान इसकी आनलाइन बिक्री भी कर रहे हैं। बड़े पैमाने पर खेती होने से यह विंध्य के किसानों के लिए वरदान साबित होगा।

महाराजा गुलाब सिंह ने लगवाया था बगीचा

फल एवं अनुसंधान केंद्र कुठुलिया का आम का बगीचा रीवा राज्य के महाराजा गुलाब सिंह के समय में लगवाया गया था। रियासत काल में यह राजे-राजवाड़ों की पसंद हुआ करता था। इसे बाद में कृषि विभाग को सौंप दिया गया। बगीचे में देवी-देवताओं के नाम से विष्णु भोग, हनुमान भोग, कृष्ण भोग, कृष्ण पक्ष और शुक्ल पक्ष के नाम से आम के पेड़ लगे हैं। कृषि वैज्ञानिक आरपी जोशी ने बताया कि 132 एकड़ में फैले फल अनुसंधान केंद्र कुठुलिया में लगभग ढाई हजार आम के पेड़ों का बगीचा है। यहां सुंदरजा, मलिका, आम्रपाली, महमूद बहार, चौसा, स्वर्ण रेखा, प्रभा शंकर, विष्णु भोग, कृष्ण भोग, गोपाल भोग, फजली, दशहरी व लंगड़ा आम के पेड़ हैं।

आम की कीमत प्रति किलो रुपये में

मध्य प्रदेश-130 से 180

महाराष्ट्र-200 से 250

दिल्ली-150 से 180

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