भाजपा जिलाध्यक्ष के रुपए बांटने के वायरल वीडियो पर डीएम ने दिए जांच के आदेश।
भाजपा जिलाध्यक्ष के रुपए बांटने के वायरल वीडियो पर डीएम ने दिए जांच के आदेश।
गया :–बिहारी
गया में शुक्रवार को विधान परिषद की सीटों के लिए चुनाव शांतिपूर्ण तरीके से संपन्न हो गया। शुक्रवार को मतदान हुए। इसी बीच भाजपा के जिलाध्यक्ष का एक वीडियो हवा में तैरने लगा। वायरल वीडियो में साफ सुना और देखा जा रहा है कि रुपये का लेनदेन वोटिंग के लिए ही हुआ है। जब सोशल मीडिया में वीडियो तेजी से फैलने लगा और विपक्षी ने इस मामले को चुनाव आयोग तक पहुंचा दिया तो मामला जांच का बन गया। गया जिलापदधिकारी डॉ त्यागराजन एसएम ने वायरल वीडियो को लेकर संबंधित क्षेत्र के पदाधिकारियों को इसकी सत्यता की जांच करने को कहा है। जांच में क्या आता है यह तो जांच के बाद ही पता चल पाएगा। लेकिन, वायरल वीडियो ने राजनीति तूफान खड़ा कर दिया है। अब विपक्ष के लोग कहने लगे हैं कि हाल ही में भाजपा के नीति निर्धारकों ने प्रेम प्रकाश को इसी तरह से चुनावी लाभ दिलाने के लिए पार्टी का जिलाध्यक्ष बनाया है। इससे तो यही लगता है कि आगामी लोकसभा चुनाव में जिलाध्यक्ष प्रेम प्रकाश पार्टी प्रत्याशी की जीत सुनिश्चित करने के लिए इसी प्रकार के हथकंडों को अपनाएंगे। विपक्षी पार्टियों के लोग भी अधिकारी की जांच पर भरोसा करते हुए कह रहे हैं कि जबतक उनकी रिपोर्ट नहीं आ जाती, कुछ कह नहीं सकते हैं लेकिन वायरल वीडियो में दम है।
निवर्तमान जिलाध्यक्ष धनराज शर्मा के उत्तराधिकारी के रूप में प्रेम प्रकाश को जिलाध्यक्ष बनाया गया है। गया जिला भाजपा के अध्यक्ष के इतिहास के पन्ने को पलटने से स्पष्ट रूप से यह कहा जा सकता है पिछले कई सालों से जिलाध्यक्ष एक खास वरिष्ठ नेता के चहेते ही बनते आ रहे हैं। प्रेम प्रकाश पहले धनराज शर्मा, धनराज शर्मा के पहले जैनेंद्र कुमार, इनके पहले ललिता कुमारी, इनके पहले अनिल स्वामी, इनके पहले कृष्ण कुमार उर्फ कुमार बाबू, इनके पहले स्व. जितेंद्र मोहन सिंह आदि के नाम पार्टी की कमान गया जिला में रहा है। ऐसे में एक खास व्यक्ति के प्रभाव से आने वाले जिलाध्यक्ष प्रेम प्रकाश के शुरुआती के कार्यकाल में यदि ऐसा आरोप लगाया जा रहा है तो इससे पार्टी की छवि के साथ साथ कार्यकर्ताओं के कार्यशैली पर एक प्रश्नचिह्न लगता नजर आता है। लेकिन जांच पूरी होने तक यह दावे के साथ कहना गलत होगा कि वायरल वीडियो सत्य है या असत्य।